नेट्फ़्लिक्स पर ‘द ग्रेट हैक’ नाम की डॉकुमेंटरी का प्रसारण किया जा रहा है और यह फिल्म कैंब्रिज एनालिटिका घोटालों पर आधारित है। इस घोटाले में कैंब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी सोशल मीडिया से लोगों का डाटा चोरी कर विश्लेषित कर रहा था। इस डाटा का उपयोग वह अपने ग्राहकों को चुनाव में लाभ पहुंचाने के लिए कर रहा था। इस फिल्म में भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा एक ग्राहक के रूप में दिखाया गया है। इस फिल्म के एक दृश्य में कंपनी के सीईओ की कुर्सी के बगल में कांग्रेस पार्टी का चुनावी चिन्ह “पंजा” को देखा जा सकता है।
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दरअसल, वर्ष 2017 के दौरान कांग्रेस ने लाखों लोगों का डाटा चोरी करने वाली ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका की सेवाएँ ली थी। इस कंपनी के ऊपर फेसबूक से डाटा चुरा कर चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगा था। यह कंपनी यूजर्स की इंटरनेट गतिविधियों का विश्लेषण कर उन्हें प्रभावित करती थी।
कैंब्रिज एनालिटिका के अवैध कार्यो का खुलासा उसके ही एक कर्मचारी ने किया था और बताया था कि यह कंपनी गलत ढंग से इंटरनेट यूजर्स का डाटा चोरी करती है और उनकी गोपनियता का उल्लंघन करती है। क्रिस्टोफर विल्ली नाम के इस कर्मचारी ने लंदन कोर्ट में बताया,” कैंब्रिज एनालिटिका ने भारत में व्यापक रूप से काम किया है। इसका ऑफिस भी भारत में स्थित है। और मुझे पूर्ण विश्वास है कि कांग्रेस इस कंपनी की ग्राहक थी जिसने कैंब्रिज एनालिटिका की सेवाएँ ली और कई प्रकार की परियोजनाओं पर काम करवाया।
इस बयान से कांग्रेस पार्टी की कैंब्रिज एनालिटिका से संलिप्तता स्पष्ट हो गयी थी। आगे जांच में कंपनी के सीईओ के ऑफिस में इंडियन नेशनल कांग्रेस की चुनावी चिन्ह भी पाया गया था ।
इसके बाद राहुल गांधी के कैंब्रिज एनालिटिका के सीईओ अलेक्जेंडर निक्स से मुलाक़ात की खबरें भीं सामने आयी थी जिसमें राहुल इस कंपनी के कार्यशैली को समझने गए थे। कांग्रेस पार्टी इस कंपनी से अपने संबंधो से इंकार करती आयी है। लेकिन कांग्रेस के ही एक नेता नेशहजाद पूनावाला ने कांग्रेस की पोल खोल दी थी। उन्होंने कहा था,” राहुल गांधी को दिये गए प्रेजेंटेशन को खुद अलेक्जेंडर निक्स ने बनाया था। इसका परिणाम सामने है, अब कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया अच्छी योजना बनाई है। कैंब्रिज एनालिटिका के साथ करार के बाद अब कांग्रेस ज्यादा बेहतर ढंग से सोशल मीडिया का उपयोग कर रहा है।“
भारत में कैंब्रिज एनालिटिका अवैध ढंग से इंटरनेट उपभोगताओं की गोपनियता भंग कर कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रही थी। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस पार्टी के लिए जनता का हित मायने नहीं रखते और यह चुनाव जीतने के लिए लोगों तथा संस्थाओं के महत्वपूर्ण गोपनीय डाटा को भी दांव पर लगा सकती है।
वर्ष 2014 से ही सोशल मीडिया पर चुनाव का प्रचार प्रसार में वृद्धि देखने को मिली थी। जनता से जुडने का सबसे आसान और तीव्र माध्यम होने के वजह से राजनीतिक पार्टियों ने सोशल मीडिया का उपयोग बखूबी किया। इस माध्यम से राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार सीधे अपने वोटरों से जुड़ कर उनके सवालों का जवाब देते है जिसे वोटरों में विश्वसनीयता बढ़ती है। इस माध्यम का प्रयोग कर प्रधान मंत्री ने अपनी लोकप्रियता में भारी बढ़ोतरी की जिससे चुनाव में उनके खिलाफ प्रचार करना प्रतिद्वंदीयों के लिए कठिन हो गया था।
लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस तकनीक का प्रयोग अन्य पार्टियों के मुक़ाबले काफी देर से शुरू किया लेकिन वह बीजेपी से बराबरी करने की कोशिश करने लगी। इस कोशिश में कांग्रेस किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखी और उसने कैंब्रिज एनालिटिका के साथ करार कर लिया। यह शर्मनाक है कि इस दशकों पुरानी इस पार्टी को यह पता था कि कंपनी अवैध तरीके अपना कर वोटरों को प्रभावित करेगी लेकिन फिर भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कैंब्रिज एनालिटिका के साथ करार करने का फैसला किया। राहुल गांधी तो भाजपा को सभ्य राजनीति करने की नसीहत देते है लेकिन जब बात अपनी पार्टी की आती है तो सभी सिधान्त भूल जाते है।