अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रोज़वेल्ट ने कहा था कि राजनीति में कुछ भी संयोग नहीं होता है। अगर कुछ हो रहा है तो वह किसी प्रकार से नियोजित किया जाता है। कर्नाटक की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही हाल नजर आ रहा है। लेकिन हार इस बार कांग्रेस की हो रही है। कर्नाटक कांग्रेस में अपनी चालों के लिए मशहूर डीके शिव कुमार के सभी तिकड़म धराशायी होते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार आज सुबह मुंबई के मुंबई कन्वेंशन सेंटर होटल पहुंचे, जहां कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायक ठहरे हुए हैं। हालांकि, शिवकुमार को पुलिस ने होटल में दाखिल होने से रोक दिया। और बागी नेताओं ने भी उनसे मिलने से मना कर दिया। कर्नाटक सरकार के मंत्री डीके शिवकुमार होटल में प्रवेश नहीं मिलने के बाद वह बागी विधायकों से मिलने के लिए होटल के बाहर ही धरने पर बैठ गये जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के लिए हर बार राजनीतिक संकट में संकट मोचन साबित हुए हैं। उन्होंने अपने खास तरह की रिजॉर्ट पॉलिटिक्स से हर बार कांग्रेस की गिरती सरकार को बचाया है। इस रिजॉर्ट पॉलिटिक्स में सभी बागी और साथी विधायकों को एक महंगे रिजॉर्ट में बुलाया जाता है और इस तरह विधायकों को किसी बाहरी से मिलने या बात करने से मना कर दिया जाता है ताकि वो किसी के बहकावे में आकर पार्टी का साथ ना छोड़ दें। विधायकों की इस प्रकार से बैरिकेडिंग कर शिवकुमार उन्हें विरोधियों से दूर कर देते हैं। और कांग्रेस अपनी सरकार बचाने में सफल हो जाती है।
जब वर्ष 2017 के गुजरात राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायक एक-एक कर भाजपा में शामिल होते जा रहे थे और अहमद पटेल हार की कगार पर थे तब कांग्रेस के बचे 44 विधायकों को बेंगलुरु के पास डीके शिव कुमार के “ईगलटन” रिज़ॉर्ट ही लाया गया था। जब विधायकों को बस से हैदराबाद ले जाया गया तो उस बस में सबसे आगे डीकेएस खुद बैठे थे। यहां की गई बाड़ेबंदी से अहमद पटेल चुनाव जीत गए थे। लेकिन यह पहली बार नहीं था जब डीके शिवकुमार का रिज़ॉर्ट कांग्रेस के लिए लकी साबित हुआ हो। इससे पहले 2002 में जब महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख की सरकार पर खतरा आया तब वहां के विधायकों को कांग्रेस शासित कर्नाटक भेज दिया गया था। ये विधायक कर्नाटक के शहरी विकास मंत्री डीके शिवकुमार के रिज़ॉर्ट में रुके थे और विलासराव देशमुख अपनी कांग्रेस सरकार बचाने में सफल रहे थे।
यही नहीं पिछले साल 2018 में जब कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश आया था तब कांग्रेस-जेडीएस के बेमेल गठबंधन ने राज्य में सरकार बनाई थी. यहां सरकार बनाने के लिए डीके शिवकुमार की रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की भूमिका काफी अहम रही थी. हर बार कांग्रेस के लिए तरणहार साबित हुए शिवकुमार इस बार अपनी साख और धन का प्रयोग करके भी बागी विधायकों को मानने में नाकाम रहे हैं। बागी विधायकों ने साफ तौर पर उनसे मिलने से मना कर दिया है। कांग्रेस के बागी नेता बी. बसवराज ने कहा, “हमारा इरादा डी.के. शिवकुमार का अपमान करने का नहीं है… हमें उन पर भरोसा है, लेकिन एक वजह है जिस वजह से हमने यह कदम उठाया है… दोस्ती, प्यार, लगाव, सब एक तरफ है… पूरे सम्मान और आभार के साथ हम उनसे आग्रह करते हैं कि वह समझें कि आज हम उनसे क्यों नहीं मिल सकते…”
इससे पहले मुंबई पुलिस को लिखे एक पत्र में 10 विधायकों ने कहा था कि वह कर्नाटक से मुंबई आ रहे राज्य के नेताओं से नहीं मिलना चाहते हैं। इस पत्र पर 10 विधायकों ने हस्ताक्षर किया था। अब कांग्रेस को अपनी सरकार बचाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लग रहा है। डी शिवकुमार की रिजॉर्ट पॉलिटिक्स भी फ़ेल हो चुकी है। कांग्रेस के विधायक एचडी कुमार स्वामी जैसे जेडीएस के अक्षम नेतृत्व से छुटकारा पाना चाहते है। और ऐसा लग रहा है कि वे इसमे सफल भी रहेंगे।