गौतम अडानी डाटा लोकलाइजेशन के क्षेत्र में रखेंगे कदम, गूगल, फेसबुक और अमेजन भी मिलकर करेंगे काम

डाटा स्टोरेज

(PC: Energy Infrapost)

पिछले कुछ वर्षों में भारत में इंटरनेट की पहुंच काफी बढ़ी है, और इसका सबसे ज्यादा श्रेय टेलिकॉम मार्केट में जियो के आगमन को दिया जाता है। आज भारत में सस्ते दरों पर इंटरनेट उपलब्ध है जिसके कारण तकनीकी रूप से पिछड़े भारत के ग्रामीण इलाकों में भी इंटरनेट डेटा की खपत काफी बढ़ी है। हालांकि, इन्टरनेट के बढ़ते प्रचार-प्रसार के साथ ही देश में डेटा-सुरक्षा को लेकर लोगों और सरकार के बीच चिंताएं बढ़ी हैं। सरकार गूगल और अमेजन जैसी बड़ी कंपनियों पर डेटा क्षेत्रीयकरण को लेकर लगातार दबाव बना रही है, लेकिन ये सभी कंपनियां भारत में डेटा स्टोरेज के लिए पर्याप्त इनफ्रास्ट्रक्चर ना होने का हवाला देकर निरंतर सरकार का विरोध कर रही हैं। हालांकि, भारत में अब जल्द ही डेटा स्टोरेज के लिए सुरक्षित और मजबूत इनफ्रास्ट्रक्चर के स्थापित होने की संभावना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अडानी ग्रुप इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर फेसबुक, गूगल और अमेज़न जैसी कंपनियों को अपनी डेटा स्टोरेज सेवाएं प्रदान करेगा।

भारत में मोबाइल और इन्टरनेट बाज़ार लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके चलते निकट भविष्य में देश में डेटा स्टोरेज सेवाओं की मांग में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा सरकार भी लगातार डेटा क्षेत्रीयकरण को लेकर अपना कडा रुख दिखाये हुए है। यही कारण है कि अडानी ग्रुप ने यहां अपने लिए सुनहरा अवसर ढूंढा है और अगल दो दशकों में इस क्षेत्र में 700 बिलियन रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। अगर अडानी समूह इस दिशा में सफलतापूर्वक कदम उठाता है तो उसे ‘फर्स्ट मूवर एडवांटेज’ मिलना तय है क्योंकि अभी भारत में डाटा स्टोरेज सेवा प्रदान करने के क्षेत्र में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है।

अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी के अनुसार अगर भारत सरकार जल्द ही डाटा क्षेत्रीयकरण को लेकर कोई कानून पास करती है, तो इससे देश में डेटा स्टोरेज की मांग काफी बढ़ जाएगी और भारत के डाटा स्टोरेज की क्षमता को बढ़ाना पड़ेगा। बता दें कि अडानी समूह सरकार की भावी नीतियों के आधार पर अपनी रणनीति बनाकर पहले भी कई बार ‘फर्स्ट मूवर एडवांटेज’ उठा चुकी है।

जब सरकार ने डिफेंस मैनुफेक्चुरिंग को प्रोत्साहित करने की घोषणा की थी, तब भी सेना को सैन्य उपकरणों की सप्लाई के लिए अडानी समूह सबसे पहले आगे आया था। इसी तरह जब सरकार ने खाना बनाने और यातायात के लिए एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देने की घोषणा की थी, तब भी अडानी ग्रुप ने इसी रणनीति को अपनाया था।

डाटा स्टोरेज के व्यवसाय को सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर नियंत्रित किया जाता है, और इस क्षेत्र पर सरकार की नीतियों का सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा इस क्षेत्र में भारी निवेश की भी ज़रूरत होती है। ऐसे वातावरण में काम करने का अडानी समूह के पास पहले ही काफी अनुभव है। उदाहरण के तौर पर अडानी समूह अभी बन्दरगाह, बिजली और कोयला खदान के क्षेत्र में काफी एक्टिव है और इन सभी क्षेत्रों पर भी सरकार का अधिक नियंत्रण रहता है।

सरकार लोगों की निजता को लेकर काफी गंभीर है और इस संबंध में सरकार पहले ही 2018 निजी डाटा संरक्षण बिल को ड्राफ्ट कर चुकी है जिसके तहत सभी आईटी कंपनियों को देश में ही डाटा को स्टोर करना होगा और भारतीय लोगों के डाटा को अमेरिका या यूके स्थित किसी डाटा स्टोरेज फर्म को नहीं सौंपा जाएगा। देश के बड़े अर्थशास्त्रियों से लेकर उद्योगपतियों तक, सब ने सरकार के इस बिल का स्वागत किया है, हालांकि अमेरिकी प्रशासन भारत सरकार के इस रुख से काफी नाराज़ है। ऐसा इसलिए, कि अगर भारत में डाटा क्षेत्रीयकरण का नियम लागू हो जाता है, तो अमेरिकी कंपनियों को भारतीयों का डाटा भारत में ही स्टोर करना पड़ेगा और इसके लिए इन कंपनियों को बड़े पैमाने पर देश में निवेश करना होगा। हालांकि, भारत सरकार का यह रुख देशहित में उठाया गया कदम है और सरकार अपने इस फैसले पर अडिग है।
 

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