आतंकवाद आज पूरी दुनियाभर में सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आया है। आज हर देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से लड़ने के बड़े-बड़े वादे और दावे किए जाते हैं। लेकिन यहां यह जानना बड़ा दिलचस्प है कि किसी भी देश में आतंकवाद की जड़ें मजबूत कैसे होती हैं। इसके लिए उस देश के कुछ शहरों में ऐसे इलाकों का निर्माण किया जाता है जहां कुछ विशेष लोगों के अलावा कोई और जाने की हिम्मत नहीं कर पाता। बात अगर भारत की करें, तो मुंबई और दिल्ली के कई इलाके पूरी तरह आज ‘नो गो जोन’ में परिवर्तित हो चुके हैं। इन इलाकों में खुलेआम गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस की इन इलाकों में जाने की हिम्मत नहीं होती।
मुंबई में डोंगरी और कोलकाता के ‘मुशोलमान पारा’, अहमदाबाद की जुहापुरा ऐसे ही ‘नो-गो जोन’ के सबसे बड़े उदाहरण है। इन बड़े शहरों में एक विशेष समुदाय की बड़ी आबादी ऐसे ही इलाकों में रहती है। ये इलाके गंदगी, अराजकता और अक्रमता के लिए इतने मशहूर हो चुके हैं कि कोलकाता में ‘मुशोलमान पारा’ निम्न जीवन स्तर का एक पर्यायवाची बन चुका है। इन इलाकों में मानव तस्करी और ड्रग तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों को धड़ल्ले से अंजाम दिया जाता है। द वायर के एक लेख में लिखा है ‘गैर-मुस्लिम अक्सर ऐसी बस्तियों से दूर रहते हैं क्योंकि उनके दिमाग में उनके प्रति एक आपराधिक छवि बन चुकी है’।
कुछ इसी तरह पश्चिम बंगाल में भी ऐसे ही नो-गो बस्तियां स्थापित हो चुकी है जहां पर मुख्यतः बांग्लादेश से आए घुसपैठिए ही रहते हैं। इन बस्तियों में भारत के कानून का नहीं, बल्कि शरिया कानून का ही अनुसरण किया जाता है। ये बस्तियां आतंकी समूहों के लिए भी एक अच्छा सॉफ्ट टारगेट होती हैं। यहां रहने वाले लोग सीधे तौर पर ज़मात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, छत्र शिबीर, जमात-उल-मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के संपर्क में होते हैं।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि ‘नो गो एरिया’ वाली समस्या सिर्फ भारत तक सीमित है। यूरोप के कई देशों में भी ऐसी कई बस्तियां स्थापित हो चुकी है जहां पर गैर-मुस्लिमों और सुरक्षा एजेंसियों के लिए कोई जगह नहीं है। इन बस्तियों में रहने वाले लोग मुख्यधारा से हटकर अपनी अलग ही दुनिया में अपना जीवन यापन कर रहे होते हैं। सरकार भी इन इलाकों में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में अक्षम होती हैं। भारत की बात करें तो अक्सर भ्रष्टाचार के माध्यम से इन इलाकों के विकास के लिए आने वाले पैसे को ठिकाने लगा दिया जाता है, और इन इलाकों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता है।
ब्रिटेन का बर्मिंघम शहर तो दुनिया के सभी जिहादियों का मुख्य आकर्षण का केंद्र बन चुका है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी बस्तियों में रहने वाले मुसलमान कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित होते हैं और इनकी मानसिकता पर कट्टरवादी विचारधारा हावी होते हैं।
यूरोप में ऐसी बस्तियों के खिलाफ समय-समय पर आवाज़ उठती रही है लेकिन इसके प्रति वहां की सरकारों का रुख निराशानजक ही रहा है। भारत में भी इन अवैध बस्तियों का सफाया करने की जरूरत है। भारत सरकार को जल्द से जल्द ऐसी बस्तियों पर कार्रवाई करने की जरूरत है। ऐसी बस्तियां भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा करती हैं। अगर इनपर अभी काबू नहीं पाया जाता है तो भविष्य में भारत में आतंकवाद की समस्या और अधिक जटिल रूप धारण कर सकती है।