अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने की जद्दोजहद कर रहे भारत के एच1बी वीजा धारकों के लिए जल्द ही एक बड़ी खुशखबरी आ सकती है। मंगलवार को अमेरिका के सीनेट यानि अप्पर हाउस में ‘फेयरनेस फॉर हाई स्किल्ड इमिग्रेंट्स’ एक्ट के लिए एक बिल के पास होने की उम्मीद है। इस बिल के प्रावधानों के मुताबिक किसी देश के नागरिकों को ग्रीन कार्ड मिलने वाली निर्धारित संख्या की सीमा को स्थायी तौर पर हटा कर योग्यता के आधार पर ग्रीन कार्ड देने की नीति बनाई जाएगी। सीनेट से पास होने के बाद यह बिल ‘हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव’ यानि लोअर हाउस में प्रस्तुत होगा, जहां से पास होने के बाद अमेरीकी राष्ट्रपति इसपर हस्ताक्षर करेंगे और यह बिल एक कानून का रूप ले लेगा।
मौजूदा स्थिति के मुताबिक अभी अमेरिका के एच1बी वीजा धारकों को उनके देश के नागरिकों को ग्रीन कार्ड मिलने वाली निर्धारित संख्या की सीमा के तहत ही ग्रीन कार्ड दिये जाते हैं। अभी अमेरिका हर साल रोजगार के आधार पर 1 लाख 40 हज़ार ग्रीन कार्ड जारी करता है और नियमों के मुताबिक किसी एक देश के नागरिकों को कुल जारी होने वाले ग्रीन कार्ड्स में से 7 प्रतिशत से ज़्यादा ग्रीन कार्ड्स जारी नहीं किए जा सकते हैं। अभी एच1बी वीजा धारकों में सबसे पहले नाम भारतीयों का आता है। पिछले वर्ष अमेरिका में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन चौथाई एच1बी वीजा धारक भारतीय हैं।
ग्रीन कार्ड जारी करने हेतु हर देश पर लागू होने वाली सीमा की वजह से अभी भारतीय एच1बी वीजा धारकों को ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए दशकों लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। कुछ मामलों में तो लोगों को 70-70 साल तक प्रतीक्षा करने पर मजबूर होना पड़ता है। ‘फेयरनेस फॉर हाई स्किल्ड इमिग्रेंट्स’ एक्ट के लागू होने के बाद हर देश पर लागू होने वाली यह सीमा हट जाएगी और स्किल के आधार पर एच1बी वीजा धारकों को ग्रीन कार्ड दिये जाएंगे। अनुमानों के मुताबिक इस एक्ट का सबसे बड़ा फायदा चीन और भारत जैसे देशों के नागरिकों को मिल सकता है। अभी तक इन देशों की बड़ी आबादी होने के बावजूद यहां के नागरिकों को मिलने वाले ग्रीन कार्ड्स की सीमा बहुत कम थी।
अमेरिकी आईटी उद्योग अभी बड़ी संख्या में भारतीयों को रोजगार प्रदान करता है और मौजूदा स्थिति में आईटी उद्योग से संबन्धित लोगों को जारी होने वाले कुल ग्रीन कार्ड्स में से 25 प्रतिशत ग्रीन कार्ड्स भारतीयों को ही मिलते हैं। नए कानून के लागू होने के बाद भारतीयों को लगभग 90 प्रतिशत ऐसे ग्रीन कार्ड्स मिलने का अनुमान है। ट्रम्प प्रशासन पहले ही ‘योग्य लोगों’ को ग्रीन कार्ड्स जारी करने की नीति को लागू करने की बात कर चुका है।
हालांकि, कुछ अमेरिकी सांसदों ने अभी से इस बिल को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर करना शुरू कर दिया है। इन सांसदों के मुताबिक यह नया कानून भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिलने वाली प्रक्रिया को आसान बना देगा और वे मध्यम वर्गीय अमेरिकी युवाओं से नौकरी छीन लेंगे। हालांकि, इस बिल के दोनों सदनों से पारित होने की पूरी उम्मीद है, और अगर ऐसा होता है, तो यह भारतीय एच1बी वीजा धारकों के लिए अमेरिकी ग्रीन कार्ड मिलने के रास्ते को आसान बना देगा।