G20 सम्मेलन में मोदी-ट्रंप की मुलाकात के बाद, अमेरिका अब भारत को देगा नाटो का दर्जा

अमेरिका नाटो

PC: PMO India Twitter

अमेरिका और भारत के बीच जारी व्यापारिक तनाव के बीच अमेरिका से भारत के लिए एक खुशखबरी आई है। अमेरिकी संसद के अप्पर चैंबर यानि सीनेट ने भारत को नाटो देश के समान दर्जा देने के लिए एक महत्वपूर्ण बिल को पास कर दिया। अगर यह बिल कानून बन जाता है तो भारत का दर्जा भी अन्य नाटो सहयोगी देश जैसे जापान, दक्षिण कोरिया और इज़राइल के समान हो जाएगा। जापान के ओसाका में जी20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच एक द्विपक्षीय वार्ता हुई थी जिसके बाद अब अमेरिकी संसद से भारत के लिए यह अच्छी खबर आई है।

गौरतलब है कि नाटो 29 उत्तरी अमेरिकी और यूरोपियन देशों का एक समूह है, जिसका मकसद इन देशों के बीच आपसी रक्षा सहयोग को बढ़ाना है। अमेरिका के ऐसे रणनीतिक अहम साझेदार देशों को नाटो देश के समान दर्जा दिया जाता है जो नाटो के सदस्य नहीं हैं। माना जा रहा है कि यह दर्जा मिलने के बाद भारत को अमेरिका से अत्याधुनिक सैन्य हथियार खरीदने का रास्ता साफ हो जाएगा।

बता दें कि वित्त वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम में भारत को नाटो देश के समान दर्जा देने के प्रावधान को जोड़ा गया था। बिल में इस संसोधन को इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष और सीनेट में सांसद मार्क वॉर्नर और जॉन कोर्निन द्वारा पेश किया गया था। इस बिल में भारत और अमेरिका के बीच मानवीय सहायता, आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात कही गयी थी। बता दें कि इंडिया कॉकस भारत समर्थक सांसदों का एक शक्तिशाली मंच है और अमेरिकी सीनेट में किसी भी विशेष देश से संबन्धित यह एकमात्र समूह है।

सीनेट से पास होने के बाद अब यह बिल जुलाई महीने में अमेरिकी संसद के निचले सदन यानि प्रतिनिधि सदन में पेश किया जा सकता है। निचले सदन में पास होने के बाद इस बिल पर राष्ट्रपति ट्रम्प के हस्ताक्षर होते ही यह कानून में परिवर्तित हो जाएगा और भारत को आधिकारिक तौर पर नाटो देश के समान दर्जा हासिल हो जाएगा।

भारत को यह विशेष दर्जा मिलने से भारत के साथ-साथ अमेरिका को भी बड़ा फायदा होगा। एक तरफ जहां भारत को अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार बड़ी आसानी से मिल सकेंगे, तो वहीं अमेरिका को दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार यानि भारत को बड़े हथियार बेचकर आर्थिक लाभ अर्जित करने का सुनहरा अवसर मिल सकेगा। अभी मौजूदा अमेरिकी क़ानूनों के तहत अमेरिका आधुनिक तकनीक वाले हथियार नाटो और नाटो के समान दर्जे वाले देशों को ही बेच सकता है। ऐसे में भारत को यह विशेष दर्जा मिलने से पहले अमेरिका के लिए नई और आधुनिक तकनीक को भारत को ट्रांसफर करना संभव नहीं था।

अभी अमेरिका अपनी इंडो-पेसिफिक रणनीति के तहत भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर हिन्द महासागर में चीन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ा करना चाहता है। ऐसे में वह रक्षा क्षेत्र में भारत को और ज़्यादा मजबूत करना चाहता है। वहीं दूसरी तरफ भारत को भी अपने पड़ोसी पाकिस्तान और चीन की ओर से रक्षा संबन्धित चुनौतियां पेश आती रहती हैं। वर्ष 2017 में चीन के साथ डोकलाम विवाद और इस वर्ष पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों का पुलवामा में हमला करना इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती साझेदारी से दोनों देशों को इसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिलेंगे और भविष्य में दोनों देशों के बीच रक्षा और आर्थिक जैसे अहम क्षेत्रों में और ज्यादा सहयोग बढ़ने की आशा है।   

Exit mobile version