26 फरवरी को भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद से पाकिस्तान की ओर से होने वाली सीज़फ़ायर उल्लंघन की घटनाओं में भारी कमी देखने को मिली है। राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने बताया कि बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले पाकिस्तान ने जनवरी और फरवरी में सीज़फ़ायर का लगभग 400 बार उल्लंघन किया था। लेकिन इस साल 26 जनवरी को भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट में स्थित आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई किए जाने के बाद पाकिस्तान द्वारा सीज़फ़ायर उल्लंघन की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है। पुलवामा हमले के बाद जिस तरह भारत ने कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर पाकिस्तान को घेरा था, उसी का नतीजा है कि पाकिस्तान भारत के सामने अब घुटनों पर आने को मजबूर हुआ है।
इस वर्ष बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले पाकिस्तान द्वारा सीज़फ़ायर उल्लंघन का आंकड़ा लगभग 400 पर था लेकिन जून में यह आंकड़ा घटकर 181 हो चुका है। पाकिस्तान ने अब सीज़फ़ायर के उल्लंघन के दौरान बड़े हथियार जैसे आर्टिलरी तोपों का इस्तेमाल भी कम कर दिया है। इंडियन एक्स्प्रेस कि रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने कहा कि ‘हम यह कह सकते हैं कि युद्ध विराम उल्लंघन में कमी आई है और अप्रैल से बड़े हथियारों से हमले रुक गए है। बालाकोट स्ट्राइक के बाद ऐसा हुआ है’। उन्होंने कहा कि छोटे हथियार से हमले अभी भी जारी रहते है लेकिन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल तथा मोर्टार जैसे बड़े हथियारों से हमले अब रुक चुके है।
वर्ष 2018 में 2017 के मुक़ाबले सीज़फायर उल्लंघन की दोगुनी घटनाएं देखने को मिली थी। वर्ष 2017 में लगभग 860 सीज़फायर उल्लंघन की घटनाएं हुई थी लेकिन वर्ष 2018 में पाकिस्तान ने अपनी “ब्लीड इंडिया विद थाऊसेंड कट्स” नीति पर चलते हुए लगभग 1629 बार सीज़फायर का उल्लंघन किया।
सीज़फायर उल्लंघन के कम होने का सबसे बड़ा कारण पीएम मोदी द्वारा पाकिस्तान और आतंकवाद के विरुद्ध लिए गए कड़े फैसले ही हैं। पाकिस्तान द्वारा संरक्षित जैश-ए-मोहम्मद के पुलवामा हमले के बाद पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में आतंकियों से बदला लेने का संकल्प लिया था। जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बम बरसाए, तो इससे पूरी दुनिया को यह संदेश गया कि पाकिस्तान में अब भी आतंकियों का महिमामंडन किया जाता है और भारत आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा भारत सरकार ने पाकिस्तान की ऐसी आर्थिक नाकाबंदी की, कि पाकिस्तान अब भारत के साथ उलझने की सोच भी नहीं सकता है।
मोदी सरकार ने पुलवामा हमले के बाद सबसे पहले पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीना। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान से आयात होनी वाली वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटि बढ़ा कर 200% प्रतिशत कर दी था। पुलवामा के ठीक बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने धमकी भरे शब्दों में कहा था कि अगर भारत युद्ध शुरू करता है, तो इसे खत्म करना किसी के नियंत्रण में नहीं होगा। लेकिन जिस देश के पास मात्र दो महीने का विदेशी मुद्रा भंडार हो तथा जिस देश का हुक्का-पानी चीन और सऊदी अरब जैसे देशों द्वारा की गई आर्थिक मदद से चलता हो, ऐसे देश के लिए तो एक सप्ताह का युद्ध भी दुष्कर है।
बालाकोट के बाद पाकिस्तान के गिरते कूटनीतिक व आर्थिक महत्व का प्रभाव जम्मू-कश्मीर में लगातार घट रही युद्धविराम की घटनाओं के रूप में भी देखा जा सकता है। हाल ही में भारत ने एफ़एटीएफ़ में सुबूत पेश कर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने का भी दबाव बनाया था। जिसके बाद आतंकी गतिविधियों के लिए टेरर फंडिंग रोकने हेतु गठित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का शिकंजा पाकिस्तान पर कसता जा रहा है। इस संस्था ने हाल ही में बेहद सख्त शब्दों में पाकिस्तान से कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद को मिलने वाले आर्थिक समर्थन को रोकने में नाकाम रहा है।
मोदी सरकार की शानदार कूटनीति का ही यह नतीजा निकला है कि पाकिस्तान आज घुटनों पर आने को मजबूर हुआ है, और वह लगातार भारत से बातचीत की गुहार लगा रहा है। हालांकि, भारत का यह साफतौर पर कहना है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान सदियों से अपने प्रोक्सी यानि आतंकी संगठनों की मदद से भारत के खिलाफ साजिशें रचता आया है, हालांकि,नए भारत की नई पाकिस्तान नीति ने पाकिस्तान को आज पूरी दुनिया के सामने एक्सपोज कर दिया है और पाकिस्तान अपनी भारत विरोधी नीतियों को बदलने पर मजबूर हुआ है।