चंद्रयान 2 आज 2:43 मिनट पर लॉंच हो गया। इस बहुप्रतीक्षित मिशन को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। इससे पहले इसरो ने शनिवार को चंद्रयान-2 की लॉन्च रिहर्सल पूरी की थी। बता दें कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई की रात 2 बजकर 51 मिनट पर होनी थी, लेकिन हीलियम गैस के वॉल्ट में तकनीकी खराबी के कारण इसे टाल दिया गया। इसरो ने एक हफ्ते के अंदर सभी तकनीकी खामियों ठीक करते हुए आज इसे लॉंच कर दिया।
Launch of Chandrayaan 2 by GSLV MkIII-M1 Vehicle https://t.co/P93BGn4wvT
— ISRO (@isro) July 22, 2019
चंद्रयान को इसरो के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया। लॉंच के करीब 16 मिनट 23 सेकंड बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू कर चुका है। इस चंद्रयान-2 का बजट 978 करोड़ रुपये है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। इसमें आठ ऑर्बिटर, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम‘ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान‘ हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के भी शामिल हैं। चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो होगा जो कि चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है।
इसे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए 48 दिन का इंतज़ार करना होगा। यह 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इसके बाद 13 अगस्त को यह यान चांद की तरफ जाने वाली ओरबिट में प्रवेश करेगा। 19 अगस्त को ही यह यान चांद की कक्षा में पहुंच जाएगा। इसके बाद 13 दिन यानी 31 अगस्त तक इस यान द्वारा चांद के चारों तरफ चक्कर लगाने की उम्मीद है।
चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही विस्तृत संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। लेकिन चंद्रयान-2 मिशन के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर यानी विक्रम के जरिये उतरेगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा तथा, यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। चंद्रयान 2, रोवर यानी ‘प्रज्ञान’ की मदद से चंद्रमा की सतह के नमूने लेगा व इसकी जांच करेगा। यह लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। अभियान से चांद की सतह का नक्शा तैयार करने में भी मदद मिलेगी, जो भविष्य में अन्य अभियानों के लिए सहायक होगा।
भारत इस मून मिशन के चाँद पर उतारते ही दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जिसने अपनी किसी अन्तरिक्ष मिशन को चाँद पर उतारा हो। ईससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यानों को चांद की सतह पर भेज चुके हैं।
चंद्रयान-2 की सफलता से भारत का कद दुनिया में अन्तरिक्ष के क्षेत्र में और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। इसरो दुनिया की सबसे बेहतरीन अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। अब तक इसरो ने 103 अंतरिक्ष यान मिशन और 72 लॉन्च मिशन प्रक्षेपित किए हैं। इसरो ने पड़ोसी देशों का उपग्रह प्रेक्षेपित कर भारत को सामरिक रूप से मजबूत बनाया है। यह अमेरिका, इज़राइल, जापान और कुछ यूरोपीय देशों समेत 32 देशों के 269 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है।
आने वाले समय में भी इसरो कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। और इन सभी बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे तीसरा चंद्र मिशन,आदित्य-L1 नाम का सोलर प्रोब मिशन, शुक्र-यान, मंगल-यान-2 यानि मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 को भेजने की तैयारी कर रहा है। इसरो ने अपनी स्पेस स्टेशन बनाने की भी घोषणा की है। अभी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 10 करोड़ रुपए सरकार से मिले हैं और इस परियोजना पर काम चल रहा है।
इसरो की शानदार सफलता के कारण भारत एक प्रमुख अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में उभरा है। इसरो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अन्य देशों से अपेक्षाकृत कम धन खर्च करता है फिर भी आज भारत के पास, अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया की सबसे शक्तिशाली अन्तरिक्ष एजेंसी है। विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ते कदम को देख कर अब यही लग रहा है कि भविष्य में अंतरिक्ष सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र रहेगा। सभी देश स्पेस पावर बनने की होड में लगे है। इन सभी परियोजनाओं से भारत आने वाले दिनों में विश्व में अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने की अग्रसर होगा।