देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने जियो विश्वविद्यालय पर अगले दो वर्षो में करीब 1500 करोड़ रुपये निवेश करने का प्लान कर रही है। इस कंपनी ने केंद्र सरकार की इंपावर्ड एक्सपर्ट कमेटी(ECC) को अपने प्रोजेक्ट के बारे में सूचित किया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज देश में एक ऐसे विश्वविद्यालय की स्थापना करना चाहती है, जो न केवल वैश्विक मानकों के अनुरूप हो, बल्कि विद्या और ज्ञान का संचार ही मुख्य उद्देश्य हो। इसके लिए कंपनी ने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी तथा सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी से विचार विर्मश कर रही हो। इससे पहले इंपावर्ड एक्सपर्ट कमेटी(ECC) ने जियो टीम से निर्णय लेने में देरी होने पर निराशा जताई थी।
वर्ष 2018 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 6 शैक्षणिक संस्थानों को ‘Institution of Eminence’ (IoE)यानी उत्कृष्ठ संस्थान का दर्जा दिया था जिनमें 3 सरकारी और 3 गैर सरकारी संस्थान शामिल थे। IoEका स्टेटस मिले पर एक शैक्षणिक संस्थान को स्वायत्ता प्रदान की जाती है और साथ ही सरकारी अनुदान भी दिया जाता है ताकि गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके।
इन तीन सरकारी संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे और आईआईएससी बेंगलुरु को उत्कृष्ठ संस्थान का दर्जा दिया गया था। वहीं तीन निजी संस्थानों मनीपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का टैग मिला था। इसकी घोषणा पिछले वर्ष बतौर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने की थी।
जियो की एक्सपेर्ट टीम में नानयांग टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट सुब्र सुरेश, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरियन मिसेल केलर, मेडिल स्कूल ऑफ मीडिया एंड जर्नलिज़्म,नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के एस्सोसियट डीन फ्रैंक मूलहर्न और विनायक द्रविड़ जैसे दिग्गज शामिल है।
जियो इंस्टीट्यूट मैसाचुसेट्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी (एमआईटी) के साथ संधि कर सकता है। यह इंस्टीट्यूट मुंबई के रायगढ़ जिले में करजात नगरपालिका क्षेत्र में 800 एकड़ के क्षेत्र में निर्मित होगा। इसका पहला सत्र 2021-2022 मे प्रारम्भ हो सकता है जिसमें इंजीनियरिंग, प्राकृतिक विज्ञान, कला, मानविकी और सामाजिक विज्ञान, प्रबंधन और उद्यमिता, डिजिटल मीडिया और पत्रकारिता पर पाठ्यक्रम शामिल होंगे।
अशोका यूनिवर्सिटी, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, शिव नादर यूनिवर्सिटी जैसे विश्वविद्यालयों की सफलता ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नकारात्मक्ता को दूर भगाने की दिशा में एक सार्थक कदम बढ़ाया है। हाल ही में प्रस्तावित KREA विश्वविद्यालय एवं जियो इंस्टीट्यूट ऐसे ही कुछ संस्थान हैं जो इसी नीति के अनुरूप काम करेंगे। आने वाले समय में यह देखना रोचक है कि यह निजी विश्वविद्यालय मॉडल भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में क्या व्यापक बदलाव लेकर आता है।