कंगना के ‘बुरे व्यवहार’ से नहीं, उनके दक्षिणपंथी होने से हैं मीडिया को प्रोब्लम

कंगना रनौत आजकल फिर सुर्खियों में हैं। इस बार अपनी फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ के एक गीत ‘वखरा’ के प्रचार-प्रसार के दौरान एक पत्रकार के सवालों पर कंगना ने आपत्ति क्या जताई, मानो हमारे लेफ्ट लिबरल मीडिया पर पहाड़ टूट पड़ा हो। एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कंगना पर त्वरित कार्रवाई करते हुये कंगना रनौत का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी, जिसे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी अपना समर्थन दिया है।

दरअसल कंगना रनौत और एक पीटीआई पत्रकार जस्टिन राव में एक विषय को लेकर कहासुनी हो गयी, जिसपर फिल्म के प्रोमोशन के दौरान दोनों ने अपने विचार रखे। कंगना को केवल जस्टिन के पत्रकारिता के कुछ पहलुओं से आपत्ति थी, जहां वे अनावश्यक रूप से मणिकर्णिका मूवी बनाने के लिए कंगना पर निशाना साध रहे थे। परंतु यहां कंगना का पक्ष सुने बिना पत्रकारों ने उनसे माफी मांगने को कहा, और ऐसा न करने की स्थिति में उनका बहिष्कार करने की धमकी दी।

जब एंटरटेनमेंट गिल्ड ने कंगना का बहिष्कार किया, तो उसके समर्थन में प्रैस क्लब ऑफ इंडिया की मुंबई स्थित इकाई ने ये बयान जारी किया, “हम प्रैस क्लब ऑफ इंडिया के सदस्य होने के नाते एक बॉलीवुड अभिनेत्री द्वारा मीडिया कर्मियों के लिए असभ्य, अशोभनीय एवं अपमानजनक भाषा के प्रयोग से आहत हैं। पत्रकारों के प्रति ऐसा व्यवहार किसी भी स्थित में अस्वीकार्य है। हम मुंबई के फिल्म उद्योग को कवर कर रही एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट्स गिल्ड के कंगना को बहिष्कृत करने के निर्णय का पूरा पूरा समर्थन करते हैं।”

हालांकि कंगना हार मानने वालों में से तो बिलकुल नहीं थी। उन्होंने इस प्रकरण के बाद एक विडियो बनाई, जिसमें उन्होंने कहा की वे केवल अपने विचार व्यक्त कर रही थी, और उन्हें ऐसे पत्रकारों की धमकियों से बिलकुल भी भय नहीं लगता। कंगना ने आगे कहा की उन्होने यहां तक पहुँचने के लिए अथक परिश्रम किया है, और वे पत्रकारों द्वारा उनके परिश्रम को कमतर नहीं आंकने देंगी।

कंगना निस्संदेह काफी निडर और स्पष्ट स्वभाव की अभिनेत्री हैं। हालांकि पत्रकारों के साथ उनकी इस घटना ने पत्रकारों के पाखंड को खुलकर सबके सामने प्रस्तुत किया है। इससे पहले भी कई बॉलीवुड हस्तियों ने कई पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया था, और बात यहां  तक पहुंच गयी थी की उनके विरुद्ध आपराधिक शिकायतें दर्ज करनी पड़ी थी, लेकिन तब इन्ही पत्रकारों को कठोरतम कारवाई करने में साँप सूंघ जाता था, आखिर स्टारडम की रक्षा का जो सवाल होता है। 

पिछले कई वर्षों से अभिनेता सलमान खान पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए बदनाम रहे हैं। यदि वे किसी प्रश्न से असहज हुये हैं, तो इसके लिए उन्होने पत्रकारों से दुर्व्यवहार करने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई है। हाल ही में एक पत्रकार ने इनके विरुद्ध एक आपराधिक मुकदमा दायर किया था। पत्रकार ने सलमान खान के विरुद्ध अपने साथियों के साथ मिलकर उनके ऊपर गाड़ी में घुसकर हमला करने का आरोप लगाया, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने सलमान खान की फोटो खींच ली थी।

इसी तरह जब कुछ वर्ष पहले ऋतिक रोशन शिर्डी में साईं बाबा के दर्शन के लिए पधारे थे, तो उनकी फोटो खींचने के लिए उन्होंने एक कैमरामैन को गर्दन से पकड़कर मंदिर के बाहर धकेल दिया। यही नहीं, रणबीर कपूर भी मीडिया से दुर्व्यवहार के लिए काफी बदनाम रहे हैं। एक बार जब उनकी फोटो ली गयी, तो उन्होंने अपनी गाड़ी रोककर फॉटोग्राफर के साथ न केवल हाथापाई की, अपितु उसका मोबाइल फोन भी छीन लिया।

ऐसे ही जब एक बार एक पत्रकार ने गोविंदा से उनकी फिल्म ‘मनी है तो हनी है’ के संबंध में कुछ सवाल पूछे, तो गोविंदा ने आवेश में आकर उन्हे एक थप्पड़ मार दिया। इसी तरह पिछले वर्ष दिवाली के समय जब कई पत्रकार संजय दत्त से सवाल पूछने के लिए उनके घर के बाहर जमा हुये, तो संजय दत्त ने शराब के नशे में उनके साथ बड़ी अभद्र भाषा का प्रयोग किया

ये सभी घटनाएँ तो मात्र कुछ उदाहरण भर है, परंतु हमारी मीडिया ने इन सभी घटनाओं को दरकिनार करते हुये इन कथित ‘स्टारों’ की प्रशंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन जब कंगना ने एक पत्रकार की अनावश्यक आलोचना पर आपत्ति दर्ज की, तो मीडिया को सारी नैतिकता याद आ गयी और उन्होने कंगना का बहिष्कार करने में ज़रा भी देर नहीं की।

शायद हमारी मीडिया के लिए कंगना रनौत सही मायनों में स्टार नहीं है। एक तो उन्होने निस्संकोच अपने राजनीतिक विचार सबके समक्ष रखे हैं, जो अधिकांश छद्म उदारवादियों के लिए असहनीय है। यही नहीं, उन्होंने समय समय पर इन छद्म उदारवादियों के विरुद्ध अपने विचार प्रकट किए हैं।

उन्होंने इंडस्ट्री में मौजूद वंशवाद के विरुद्ध अपनी मुखर आवाज़ उठाई है, और साथ ही साथ इस बात पर भी प्रकाश डाला है की महिला अभिनेत्रियों को कैसे उनके पुरुष समकालीनों के मुक़ाबले काफी कम वेतन दिया जाता है। उदारवादी बॉलीवुड में ये एक निस्संकोच दक्षिणपंथी की तरह उभर के आई है, जो बॉलीवुड के अधिकांश लेफ्ट लिबरल सदस्यों के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं है। इसीलिए ये मीडिया के लिए ‘आसान निशाना’ बन जाती है।

चूंकि कंगना ने बॉलीवुड की आम धारणा से इतर अपने विचार रखे हैं, इसीलिए मीडिया इन्हे बदनाम करने पर तुली हुई हैं। हाल ही में हुई इस घटना के माध्यम से मीडिया कंगना के विरुद्ध अपने अभियान के लिए समर्थन जुटाना चाहती है। हालांकि मीडिया के पाखंड की धज्जियां उड़ाते हुये कंगना ने एंटरटेनमेंट गिल्ड और मुंबई प्रेस क्लब के विरुद्ध कानूनी नोटिस जारी किया है। जिस तरह कंगना ने अभी होकर पत्रकारों के असहिष्णु गिरोह का मुक़ाबला किया है, वह काफी सराहनीय है और इसकी हम सबको प्रशंसा करनी चाहिए।

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