हाल ही में रिलीज़ के लिए तैयार ‘जजमेंटल है क्या’ के प्रोमोशन के दौरान तब विवाद खड़ा हो गया, जब कंगना रनौत की पत्रकार जस्टिन राव के साथ एक सवाल को लेकर कहा-सुनी हो गयी। दरअसल, जस्टिन राव ने इससे पहले कंगना के व्यक्तित्व और उनकी फिल्मों के चुनाव का काफी मज़ाक उड़ाया था, जिसके कारण कंगना को फिल्म के प्रमोशन के लिए रखी गयी कॉन्फ्रेंस में उनकी उपस्थिति रास नहीं आई।
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कंगना ने अपने फिल्म के प्रचार के दौरान जस्टिन राव के सवाल पूछने पर कहा, ‘आप इतना गंदा कैसे सोच सकते हैं? आप कैसे मणिकर्णिका की बिना किसी कारण के आलोचना कर सकते हैं? क्या मैंने उसे बनाकर कोई गलती की है? आप कैसे बोल सकते हैं कि मैं एक उग्रवादी महिला हूं जो अति राष्ट्रवादी फिल्में बनाती है?’ कंगना के इस जवाब पर सोशल मीडिया पर ट्विटर यूजर्स की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि जस्टिन राव एक बार नहीं बल्कि कई अवसरों पर कंगना रनौत के विचारों पर तंज़ कस चुके हैं।
कंगना द्वारा पत्रकार को दिए इस जवाब के बाद लेफ्ट लिबरल ब्रिगेड में खलबली मच गयी। एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कंगना को माफी मांगने के लिए कहा और ऐसा न करने की स्थिति में कंगना को पत्रकार समूहों द्वारा बहिष्कृत कराने की धमकी भी दे डाली। इस प्रकरण के चक्कर में ‘जजमेंटल है क्या’ की निर्माता एकता कपूर को आगे आकर माफी भी मांगनी पड़ी। आग में घी डालने का काम करते हुए विवादित पत्रकार प्रशांत कनोजिया ने न केवल इस बेतुके मांग का समर्थन किया, बल्कि कंगना और उनकी बहन रंगोली के लिए ट्विटर पर अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया।
पत्रकारों द्वारा उन्हें बहिष्कृत करने की धमकी के बाद खुद कंगना ने इन पत्रकारों के सामने झुकने के बजाए इन्हें आड़े हाथों लेते हुए अपनी विचारधारा को स्पष्ट होकर सामने रखा। एक वीडियो में उन्होंने सबसे पहले यह बात साफ कर दी कि उन्हें केवल मीडिया के एक विशेष वर्ग से शिकायत है जो ‘दीमक’ की तरह देश की संप्रभुता और अखंडता को खा रहे हैं।
कंगना के अनुसार, “हमारी मीडिया का एक सेक्शन है जो दीमक की तरह हमारे देश में लगा है और धीरे-धीरे देश की गरिमा को, अस्मिता को, एकता को आए दिन अटैक करता रहता है..झूठी अफवाहें फैलाता रहता है. गंदे भद्दे देशद्रोहिता के विचार खुले तौर पर सबके सामने रखते हैं. इनके खिलाफ हमारे संविधान में किसी भी तरह का न तो कोई पेनाल्टी है और न ही कोई सजा है. इस चीज से मुझे बहुत ज्यादा ठेस लगी और मैंने खुद से निर्धारित कर लिया कि ये जो दोगली मीडिया है बिकाऊ मीडिया है जो खुद को लिबरल कहती है सेकुलर कहती है और कुछ भी नहीं है जो दसवीं फेल है… ये लोग सूडो लिबरल हैं और ये लोग बिल्कुल भी सेकुलर नहीं हैं. अगर ये लोग सेकुलर होते तो हमेशा धार्मिक चीजों को लेकर देश की एकता पर प्रहार नहीं करते.”
इतना ही नहीं, कंगना ने आगे कहा, मैं जानना चाहती हूं कि कोई तो क्राइटेरिया होना चाहिए अगर आप खुद को पत्रकार कहते हैं. क्या आपने किया? मुझे एक अपना लिखा हुआ कोई न कोई पीस या अपना ब्लॉग, जैसे मैं खुद को एक कलाकार कहती हूं तो कुछ न कुछ तो होना चाहिए टू माई क्रेडिट. जैसे मैं अपने आप को एक कलाकार कहती हूं, आप अपने आप खुद को क्यों पत्रकार कहते हैं, किसलिए आप पत्रकार बने हुए हैं? आखिर इसपर कोई बात क्यों नहीं करता। ये लोग कहते हैं कि मुझे कवर नहीं करेंगे, मेरा करियर बर्बाद कर देंगे। अरे नालायकों, अरे देशद्रोहियों, तुम लोगों को खरीदने के लिए लाखों रुपये भी नहीं चाहिए, तुम तो इतने सस्ते हो कि केवल 50-60 रुपयों में बिक जाओगे। जो अपने देश के साथ गद्दारी करे, जिस थाली में खाये उसी में छेद करे, वो मुझे बर्बाद करेंगे?”
सच पूछें तो इस वीडियो में कंगना ने लेफ्ट लिबरल बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को उनकी संकीर्ण मानसिकता के लिए न केवल लताड़ा, बल्कि उनका स्याह पहलू सभी के समक्ष उजागर भी किया है। इस बात से कोई अंजान नहीं है कि कैसे लेफ्ट लिबरल गैंग ने केवल इसलिए दादरी में भीड़ द्वारा मोहम्मद अखलाक की मौत को राजनीतिक तूल दिया था ताकि भाजपा को कठघरे में लाया जा सके, और बिहार में भाजपा विरोधी महागठबंधन की सरकार बनाने का रास्ता साफ हो सके।
चाहे अवार्ड वापसी गैंग का नाटक हो, या फिर टुकड़े टुकड़े गैंग का निस्संकोच समर्थन करना हो, या फिर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के औचित्य पर सवाल उठाना हो, इन लेफ्ट लिबरल्स ने केवल मोदी सरकार के अंधविरोध में देशद्रोहियों का समर्थन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, और न ही उनपर उंगली उठाने वालों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, चाहे वो गुरमेहर कौर के प्रकरण पर फोगाट बहनों की प्रतिक्रिया पर उन्हें घेरना हो , या फिर कांग्रेस को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए प्रसिद्ध अभिनेता आर.माधवन को घेरना हो।
ऐसे में कंगना रनौत ने अपने व्यवहार से यह सिद्ध कर दिया है कि लेफ्ट लिबरल्स की इन गीदड़ भभकियों का उनपर कोई असर नहीं पड़ने वाला, और आवश्यकता पड़ने पर ऐसे छद्म पत्रकारों को उनकी जगह दिखाने में भी वो पीछे नहीं हटेंगी।






























