कुलभूषण यादव केस में द हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाया, और इस फैसले में भारत की बड़ी जीत हुई है। अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक को बरकरार रखा है और पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को काउन्सलर एक्सेस देने का आदेश दिया है। पाकिस्तान चाहता था कि उसे अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट द्वारा जाधव की फांसी पर लगाई रोक हटा ली जाए पर उसके हाथ निराशा लगी है। यह फैसला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के जज अब्दुलकवी अहमद युसुफ और 15 अन्य जजों के पैनल ने सुनाया।
Reema Omer, International Legal Advisor,South Asia: ICJ has ruled in favour of India on merits, affirming Jadhav’s right to consular access and notification. The Court has directed Pakistan to provide effective review and reconsideration of his conviction and sentences pic.twitter.com/Yh3FfDUjbl
— ANI (@ANI) July 17, 2019
बता दें, कुलभूषण जाधव मुंबई के रहने वाले एक पूर्व नौसेना अधिकारी है जो सेवानिवृत होने के बाद ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अपना व्यापर कर रहे थे। वहीं से कुलभूषण जाधव का अपहरण कर पाकिस्तान लाया गया और फिर उनपर जासूसी का झूठा मुकदमा चलाया गया। मुक़दमे के बाद पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया था। उसके बाद मई 2017 में आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण को फांसी दिए जाने पर रोक लगा दी थी। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में करीब दो साल की लड़ाई के बाद इस मामले में आखिरी सुनवाई इसी साल 18 से 21 फरवरी तक हुई थी। जाधव के मामले में भारत की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने भारत का पक्ष मजबूती से रखा।
हरीश साल्वे भारत के एक वरिष्ठ वकील हैं और आईसीजे में शुरू से ही वे कुलभूषण मामले को देख रहे हैं। वर्ष 2017 में जब आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था, तब हरीश साल्वे की इसमें सबसे बड़ी भूमिका थी। तब उन्होंने सिर्फ 1 रुपए की फीस लेकर भारत के पक्ष को आईसीजे के सामने रखा था और आईसीजे में पाकिस्तान को एक्सपोज किया था। तब हरीश साल्वे ने बताया था कि कैसे पाकिस्तान ने कुलभूषण को काउन्सलर एक्सेस ना देकर अंतराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है।
इस वर्ष फरवरी में आखिरी बार जब इस मामले पर सुनवाई हुई थी, तब भी हरीश साल्वे ने बेहतरीन ढंग से पाकिस्तान को एक्सपोज किया था। उस वक्त हरीश साल्वे ने कहा था ‘पाकिस्तान बिना देरी जाधव को कॉन्स्युलर उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है। बिना काउंसलर एक्सेस के जाधव को कस्टडी में रखे जाने को गैरकानूनी करार दिया जाना चाहिए।
इसमें कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान जाधव मामले का इस्तेमाल अपने प्रोपोगैंडा के लिए कर रहा है’। इसके अलावा उन्होंने कहा था ‘पाकिस्तान ने जाधव को उनके परिवार से मिलने का प्रस्ताव दिया। यह मुलाकात 25 दिसंबर 2017 को हुई। भारत इस मुलाकात के रवैये और जाधव के परिवार के साथ किए गए बर्ताव से निराश था। पाकिस्तान को विस्तारपूर्वक यह बताना चाहिए कि आखिर कॉन्सुलर एक्सेस देने में उसे 3 महीने का समय क्यों लग गया?’
हरीश साल्वे के बेहतरीन कौशल और भारत के मजबूत पक्ष का ही यह नतीजा है कि अब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से एक बार फिर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है। पाकिस्तान सरकार और सेना के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। इससे यह साफ हो गया है कि अपने एजेंडे के तहत पाकिस्तान जान-बूझकर कुलभूषण को फांसी देना चाहता था और भारत को एक आतंक एक्सपोर्टर देश घोषित करना चाहता था लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने अपने फैसले से पाकिस्तान को पूरी तरह एक्सपोज कर दिया है।