हमारे देश में कुछ लोगों को अंग्रेजों से इतना प्यार है कि वो किसी व्यक्ति से अंग्रेजी में गाली सुन भी लेते हैं लेकिन हिंदी की एक गाली भी उन्हें नागवार गुजरती है। अगर कोई 4 लाइन भी धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल ले तो हमारे देश में उसे सिर-आँखों पर बैठा लिया जाता है भले ही उनकी बातों में कोई गहराई न हो, कोई अर्थ न हो। ठीक ऐसे ही हमारी देश की मीडिया धाराप्रवाह इंग्लिश बोलकर देश और संस्कृति का मज़ाक उड़ाने वालों को सिर पर बैठा लेती है। और उसे ऐसे चित्रित करती है जैसे वो कितने महान और ज्ञानी हो। वहीं इसी मीडिया को संस्कृत, हिन्दी और अपनी मातृ भाषा में भाषण देने वाला एक व्यक्ति साधारण नज़र आता है।
https://www.youtube.com/watch?v=9LlkpDi80Q8
हाल में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र की सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में एक भाषण दिया और वो भी धाराप्रवाह अंग्रेज़ी में। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी और राष्ट्रवाद को खूब कोसा। हालांकि, उनके भाषण के बाद जल्द ही ये सामने भी आ गया कि उन्होंने जो भाषण दिया था वह 2017 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए मार्टिन लोंगमैन ने लिखा था। महुआ ने तो गूगल बाबा की मदद से पश्चिमी देशों से आई परिभाषा को तो याद कर लिया और बड़ी बड़ी बातें कर डाली लेकिन, उनके राज्य में उनकी ही पार्टी द्वारा की जा रही राजनीतिक हत्याएं पर हिंसा उन्हें दिखाई नहीं देती।
SHOCKING!!!!
TMC's Mahua Moitra calls Pulwama ''terrorist'' a 20 yrs old ''BOY'' on Karan Thapar's show yesterday.@Iamnot_immortal @AdvancedMaushi @ARanganathan72@AdityaRajKaul#Shame #PulwamaTerrorist #TMC pic.twitter.com/WY1tTFUlEY
— Preen (@PreenIndiastic) July 3, 2019
लिबरल गैंग द्वारा इतना मान-सम्मान दिये जाने के क्रम में इस सांसद को विवादित पत्रकार कारण थापर ने अपने एक कार्यक्रम में बुलाया। ‘अपफ्रंट’ नाम के इस कार्यक्रम में महुआ ने अपने इंटरव्यू के दौरान करण के एक प्रश्न पर पुलवामा आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपी आदिल अहमद डार को एक 20 वर्षीय लड़का कह कर संबोधित किया। इस जघन्य हमले को सफ़ेद जामा पहनाना और एक आतंकवादी को एक सामान्य लड़का कहना बताता है कि, उनके लिए पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवान का कोई महत्व नहीं है। यह उसी आभिजात्य वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जो भारतियों में दहशत की भावना को भर देना चाहता है। इनके मन में सेना के लिए कितना सम्मान है ये भी उनके बयानों से साफ़ दिखाई भी दे रहा है।
लेकिन इस इंटरव्यू की एक और खास बात है इस दौरान उन्होंने पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले को बालाकोट का हमला बताया । इसके साथ ही उन्होंने यह कहा कि बालाकोट को मोदी सरकार ने एयर कवर नहीं दिया इसलिए हमले हुए। मोदी विरोध में यह वर्ग इतना अंधा हो गया है कि तथ्यों को भी नजरअंदाज कर देता है। इसके साथ ही पुलवामा को बालाकोट बताना उनके सामान्य ज्ञान को दर्शाता है। जबकि एक आतंकी को एक 20 वर्षीय लड़का बताना ये दर्शाता है कि देश के जवानों पर हुए हमले और उनकी जान महुआ मोइत्रा की नजर में कितना महत्व रखते हैं।
इंग्लिश में बड़ी बड़ी बातें करना ही किसी को बुद्धिजीवी नहीं बनाता बल्कि सामान्य ज्ञान भी होना जरुरी होता है। और ये बात महुआ मोइत्रा को बिलकुल समझ नहीं आती और अगर आती तो यूं सोशल मीडिया पर वो अपने इंटरव्यू को को लेकर ट्रोल न की जा रही होतीं।
New "Intellectual" Darling of Indian Pseudo Liberals:
1. Confuses Pulwama Terror Attack with Balakot Air Strikes.
2. Wants "Air Cover" for SF Convoys travelling on Highways.
3. Calls Adil Dar ( who invokes Jihad against Cow Piss Drinkers) a BOY.— Anonymous (@Anonymo29688167) July 3, 2019
This is what happens when those who have no idea about counter terrorism give out interviews criticising the same 😒 https://t.co/QksLrqVOJ0
— Saikiran Kannan | 赛基兰坎南 (@saikirankannan) July 3, 2019
महुआ के इस इंटरव्यू पर जाने माने रक्षा मामलो के विश्लेषक अभिजीत मित्रा ने लिखा
Btw did anyone notice she said “same in BALAKOT… no air cover provided” what did we hit it with? Potatoes? 🤯 I guess Mirage 2000 is a variety of Tomato https://t.co/na31ZjsUw9
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) July 3, 2019
वहीं इस इंटरव्यू पर पत्रकार अदित्य कौल ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा:
Calls Pulwama as Balakot.
These are our parliamentarians.
God save us. https://t.co/Pyx9EoFFl7— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 3, 2019
इसके अलावा कई बड़े यूजर्स ने उन्हें लताड़ लगाई.
वही ANI की एडिटर स्मिता प्रकाश ने अपने टिवीटर पर लिखा
She meant Pulwama, said Balakot. She ought to have said terrorist, bomber but said boy. Award winning Interviewer nay interrupter-e-khas found nothing amiss. https://t.co/rCsUjFyxlH
— Smita Prakash (@smitaprakash) July 3, 2019
खैर, एक और चीज जो यहां सभी को अश्चार्चाकित करती है वो ये कि जब महुआ मोइत्रा पुलवामा को बालाकोट कह रही थीं तब उन्होंने न हो मोइत्रा को टोका और न ही उन्हें सही करने की कोशिश की बस उनकी बातें सुनकर सवाल पर सवाल कर रहे थे। अब उन्होंने ऐसा जानबूझकर किया या नहीं ये तो वही जाने पर एक पत्रकार होते हुए उन्हें महुआ मोइत्रा को सही करने की कोशिश तो करनी चाहिए थी। या ये भी हो सकता है करण थापर को भी बालाकोट और पुलवामा में अंतर समझ नहीं आया।
साथ ही जिस तरह का बयान महुआ मोइत्रा ने करण थापर को दिए इंटरव्यू में दिए उससे उनकी मानसिकता का परिचय भी मिलता है। ये संसद में फासीवाद का राग अलापती हैं लेकिन आतंकवादी इन्हें नासमझ युवक नजर आते हैं। इनकी विचारधारा और मुद्दों को देखने का नजरिया वही समझ सकती हैं। सच कहूं, तो भारत में बोलने की आजादी का सबसे अधिक फायदा तो महुआ मोइत्रा जैसे नेता ही उठाते हैं। आतंकवादियों को कभी हेडमास्टर का बेटा कह कर बोलना हो यह अफजल गुरु जैसे आतंकी को जी कह कर, इन लिबरल्स को आतंकवादियों को सफ़ेद जामा पहनने की आदत हो गयी है। ऐसे लोगों की सच्चाई बाहर आनी चाहिए ताकि जनता सही और गलत का भेद समझ सके और ये भी वास्तव में कौन उनका भला चाहता है और कौन बुरा।