विदेश मंत्रालय ने कश्मीर पर भ्रामक रिपोर्ट को लेकर यूएन मानवाधिकार परिषद को लगाई जबरदस्त लताड़

कश्मीर

PC: thehindu

दुनियाभर में मानवाधिकारों के ठेकेदार कहे जाने वाले यूएन के तहत काम करने वाली एजेंडावादी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने हाल ही में कश्मीर को लेकर एक और भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें उसने भारत से कश्मीर में हो रहे तथाकथित मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए एक कमीशन बनाने की मांग की थी। हालांकि, अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह भ्रामक और भारत विरोधी एजेंडे से प्रेरित बताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस रिपोर्ट की धज्जियां उड़ाते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से भारत की अखंडता का सम्मान करने की बात कही

दरअसल, सोमवार को यूएन के मानवाधिकार परिषद ने 43 पन्नों की एक रिपोर्ट को प्रकाशित किया जिसमें उसने पाकिस्तान के साथ-साथ भारत पर कश्मीर के लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। रिपोर्ट में वर्ष 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी के बाद कश्मीर में मारे गए अन्य आतंकवादियों और उग्रवादियों की मौत के जांच करने के लिए भारत सरकार को एक कमीशन बनाने को कहा है। इतना ही नहीं, यूएन की इस रिपोर्ट में भारतीय सेना की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने सेना द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने के अपने तरीकों पर पुनर्विचार करने का कोई दबाव नहीं बनाया, इसके अलावा सरकार ने सेना की कार्रवाई के दौरान होने वाली मौतों की भी कोई जांच नहीं की।

हालांकि, इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने मानवाधिकार परिषद के दफ्तर में अपनी कड़ी आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह झूठा बताया और यूएन पर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर पूरी तरह आंख मूंदने का आरोप लगाया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार  ने कहा कि ‘इस रिपोर्ट के माध्यम से यूएन ने दुनिया के सबसे बड़े और जीवंत लोकतन्त्र यानि भारत को आतंकवाद का पालन-पोषण करने वाले देश पाकिस्तान के समान दिखाने की कोशिश की है’।

यूएन के मानवाधिकार परिषद ने अपनी रिपोर्ट में बड़ी ही बेशर्मी से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को एक उग्रवादी संगठन बताया है। प्रवक्ता रवीश कुमार ने इसको लेकर भी यूएन पर सवाल उठाए। रवीश कुमार ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद स्वयं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को इसका जिम्मेदार ठहराया था। रवीश कुमार ने यह भी बताया कि इस रिपोर्ट में भारत की कश्मीर नीति को पूरी तरह तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की गई है। उन्होंने साफ किया कि लोकतन्त्र होने के नाते कश्मीर में न्याय तंत्र प्रभावशाली ढंग से काम कर रहा है।

बता दें कि पिछले वर्ष भी यूएन के मानवाधिकार परिषद ने कश्मीर को लेकर अपनी पहली रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें उसने पाकिस्तान के साथ-साथ भारत पर कश्मीर मुद्दे को लेकर कोई सकारात्मक पहल ना करने का आरोप मढ़ा था। तब भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस रिपोर्ट को पूरी तरह तथ्यहीन बताया था। यूएन को समझ लेना चाहिए कि भारत के लोकतन्त्र को उसके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। अपनी एजेंडा से प्रेरित रिपोर्ट्स की वजह से यूएन की यह संस्था लगातार अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र के तहत काम करने वाली इस संस्था को दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र के मूल्यों पर बेबुनियाद सवाल खड़ा करने से परहेज करना चाहिए।

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