वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तो देश में अचानक एक एजेंडावादी बुद्धिजीवी गैंग एक्टिव हो गया था जिसने मोदी सरकार के खिलाफ ‘असहिष्णुता’ का राग अलापना शुरू कर दिया था। इस गैंग ने अवार्ड वापसी का ढोंग रचते हुए यह दर्शाने की कोशिश की मानो मोदी सरकार के आते ही देश में नफरत और हिंसा का माहौल बन गया है। अब वर्ष 2019 में मोदी सरकार के दोबारा चुने जाने के बाद यह गैंग एक बार फिर एक्टिव हो गया है और मामूली झगड़ों को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है। अभी कुछ दिनों पहले ही कई मीडिया समूहों ने इस खबर को प्रकाशित किया था कि कानपुर में एक 16 वर्षीय मुस्लिम किशोर को सिर्फ पारंपरिक टोपी पहनने पर पीटा गया और भीड़ ने उसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने पर भी मजबूर किया। हालांकि, अब यह साफ हुआ है कि यह खबर पूरी तरफ झूठी थी और दो पक्षों के बीच पैसों को लेकर विवाद हुआ था।
दरअसल, पिछले दिनों टेलीग्राफ और इंडिया टुडे जैसे मीडिया समूहों ने इस खबर को प्रकाशित करते हुए लिखा कि आतिब नाम के ऑटो ड्राईवर को पहले तो कुछ लोगों ने किराया देने से माना किया और उसके बाद उसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने पर मजबूर किया और उसके साथ पिटाई की। इस खबर को सबा नक़वी जैसे बुद्धिजीवियों ने हाथों-हाथ लिया और अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए इस खबर को खूब प्रचारित किया। उन्होंने ट्वीट किया ‘उत्तर प्रदेश में एक ऑटो ड्राईवर को सिर्फ जय श्री राम का नारा लगाने को लेकर बांधकर पीट दिया गया’।
Another day in the life of the nation….#Muslim #JaiShriRam Auto Driver Tied Up, Thrashed for Refusing to Chant ‘Jai Shri Ram’ in UP https://t.co/wg2yMY7OxH via @caravandaily
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) July 5, 2019
हालांकि, अब पुलिस ने अपनी जांच के बाद इस बात की पुष्टि की है आतिब को कोई भी नारा लगाने के लिए बाध्य नहीं किया गया था और यह मामला सिर्फ दो पक्षों के बीच पैसे के विवाद को लेकर शुरू हुआ था। पुलिस के मुताबिक ‘कुछ लोग शराब के नशे में थे और जब ऑटो ड्राईवर आतिब ने उनसे किराए के पैसे मांगे तो उन लोगों ने उसके साथ झगड़ा करना शुरू कर दिया। इस मामले का धर्म से कोई लेना देना नहीं था’।
यह पहली बार नहीं हैं जब किसी झगड़े को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई हो। इससे पहले इस ‘असहिष्णुता गैंग’ ने यह खबर फैलाई थी कि हरियाणा के गुरुग्राम में एक मुस्लिम युवक को टोपी पहनने पर पीट दिया गया और उसको जय श्री राम का नारा लगाने पर मजबूर किया गया था। इतना ही नहीं, यह भी आरोप लगाए गए थे कि कुछ युवकों ने उस मुस्लिम युवक की टोपी को उछाल दिया था। लेकिन बाद में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद यहां भी इस बात की पुष्टि की थी कि एक विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई थी और इसी बीच उस युवक की टोपी नीचे जमीन पर गिर गई। इस मामले का भी धर्म से कोई लेना देना नहीं था।
असहिष्णुता गैंग का शुरू से ही यह एजेंडा रहा है कि कैसे भी करके इन झूठी खबरों के सहारे मोदी सरकार को बदनाम किया जाए। पहले यह गैंग पीड़ित का धर्म देखती है और अगर वह पीड़ित एक समुदाय विशेष से होता है तो उसके समर्थन में कैंडल मार्च निकालने से लेकर ‘डरा हुआ मुसलमान’ के नाम पर बड़े-बड़े लेख लिखे जाते हैं। यह गैंग अपने हितों के लिए किसी भी तरह पूरी दुनिया भर में भारत को बदनाम करना चाहता है। हम सभी को इन प्रोपेगैंडावादी लोगों के एजेंडे से बचकर रहने की जरूरत है।