सिद्धू जैसे कामचोर नेता अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे लेकिन वेतन का आनंद ले रहे हैं

नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब

PC: inkhabar

आम लोगों की भलाई के वादे कर सत्ता पर आसीन होने वाले बड़े-बड़े राजनेता चुनावों के बाद अगर अपनी ज़िम्मेदारी से ही दूर भागने लगें, तो इसे गैर-जिम्मेदाराना रवैया नहीं कहेंगे, तो क्या कहेंगे? पंजाब कांग्रेस के विवादित नेता नवजोत सिंह सिद्धू का रवैया भी आजकल कुछ ऐसा ही है। दरअसल, इस साल के लोकसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद जून में पंजाब सरकार के कैबिनेट में बड़ा फेरबदल किया गया था और नवजोत सिंह सिद्धू से स्थानीय निकाय विकास मंत्रालय छीनकर उन्हें ऊर्जा मंत्रालय का पदभार सौंपा गया था। हालांकि, शर्मनाक बात तो यह है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने अब तक अपने मंत्रालय का कार्यभार नहीं संभाला है। माना जा रहा है कि गांधी परिवार से उनकी नजदीकियां ही सिद्धू की कामचोरी का सबसे बड़ा कारण है। इसको लेकर जब पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से मीडिया ने सवाल पूछा, तो वे भी असहाय नज़र आए और उन्होंने बड़े ही शांत ढंग से मीडिया के सवालों को नज़रअंदाज कर दिया।

पंजाब के ऊर्जा मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की कामचोरी का ही यह नतीजा है कि मंत्रालय पूरी तरह अव्यवस्थित हो चुका है और राज्य के मोहाली जैसे बड़े शहरों के लोग भी अंधेरे में रात बिताने को मजबूर हैं। इसी महीने 5 तारीख को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के मोहाली के साथ-साथ जीरकपुर, खरड़ और मुल्लांपुर के कई इलाक़े पूरी तरह अंधेरे में डूब गए और लोगों को अपनी कार के एयर कंडीशनर के सहारे रात बितानी पड़ी। स्पष्ट है सिद्धू अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा रहे लेकिन वो वेतन और भत्तों का आनंद ले रहे हैं ।

हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागकर अपनी कामचोरी का प्रदर्शन किया हो। अपनी कामचोरी की वजह से वे इससे पहले भी पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह के निशाने पर भी आ चुके हैं। लोकसभा चुनावों के बाद सीएम अमरिंदर ने सिद्धू पर स्थानीय निकाय मंत्रालय को सही से ना संभालने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उनकी कामचोरी की वजह से ही शहरी लोगों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि, सिद्धू जहां भी पार्टी के स्टार प्रचारक के तौर पर गए वहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

दरअसल, चुनावों से ठीक पहले सिद्धू ने शहरी एवं स्थानीय निकास मंत्रालय के कामकाज से दूरी बना ली थी। नवजोत सिंह सिद्धू उन दिनों अपनी पत्नी को उनकी मनपसंद लोकसभा सीट से टिकट ना दिये जाने से पार्टी से नाराज चल रहे थे। नवजोत कौर अपने लिए चंडीगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट मांग रही थी लेकिन इस सीट से एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन बंसल को टिकट दे दिया गया। इससे पहले यह भी अटकलें लगाई जा रही थी कि उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से टिकट दिया जा सकता है लेकिन वहां से भी कांग्रेस से एक अन्य मौजूदा विधायक गुरजीत सिंह औजला को टिकट दे दिया गया था। इसका विरोध करने के लिए सिद्धू ने अपना सारे कामकाज से दूरी बना ली थी। सिद्धू के इसी रवैये के कारण चुनावों के बाद कैप्टन ने सिद्धू से स्थानीय निकाय मंत्रालय छीनकर उन्हें ऊर्जा मंत्रालय सौंपा था। हालांकि, इस मंत्रालय की तो उन्होंने सुध तक नहीं ली है और यहां भी उनका निठल्लापन लगातार जारी है। एक सार्वजनिक पद पर रहते हुए उनका अपने काम से दूरी बनाना मेहनती करदाताओं के पैसों की बर्बादी नहीं है तो क्या है?

बता दें कि, सिद्धू के खिलाफ पंजाब कैबिनेट के कई मंत्री भी सवाल उठा चुके हैं और सीएम अमरिंदर सिंह से उन्हें बर्खास्त करने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन इस बात में भी कोई दो राय नहीं हैं कि सिद्धू को गांधी परिवार और खासतौर पर राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। ऐसे में कैप्टन सीधे तौर पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। जून में जब कैप्टन ने सिद्धू को शहरी एवं स्थानीय निकाय मंत्री के पद से हटाया था, तो इसके बाद सिद्धू ने सीधा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाक़ात की थी और उन्हें राज्य की स्थिति के बारे में अवगत कराया था।

राहुल गांधी के साथ उनके अच्छे संबंधों के कारण ही पंजाब सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा रही है। उनकी कामचोरी की वजह से जनता त्रस्त है लेकिन पंजाब सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। अगर सिद्धू अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के इच्छुक नहीं हैं, तो उन्हें कैबिनेट से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और लोगों से अपनी कामचोरी के लिए माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस हाईकमान के साथ-साथ कैप्टन अमरिंदर को सिद्धू की इस लापरवाही पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है और अब बिना देरी किये तुरंत सिद्धू पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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