5 महीनों में 680 करोड़ खोने के बाद पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस आखिर खोल ही दिया

(PC: Nikkei Asian Review)

इस वर्ष फरवरी में पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। CRPF जवानों पर हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी जिसके बाद पाकिस्तान इस कदर घबरा गया था कि उसने अपने एयर स्पेस को बंद कर दिया था। एयर स्ट्राइक के महीनों बाद भी पाकिस्तानी सरकार के अंदर से भारतीय वायुसेना का डर नहीं गया और वहां की सरकार को कुल पांच बार एयर स्पेस को बंद करने की अवधि को बढ़ाना पड़ा। कुछ दिनों पहले पाकिस्तान सरकार ने एक बयान में यह भी कहा था कि जब तक भारत पाकिस्तान से सटी सीमा से अपने लड़ाकू जहाज नहीं हटाता है, तब तक पाकिस्तान कमर्शियल एयरलाइंस के लिए अपना एयर स्पेस नहीं खोलेगा। पाकिस्तान सरकार ने अपनी आखिरी अधिसूचना में 26 जुलाई तक अपना एयर स्पेस बंद करने की बात की थी, लेकिन एक हैरान करने वाले फैसले में 16 तारीख को भारतीय समयानुसार रात 12 बजकर 38 मिनट पर पाकिस्तान की सिविल एविएशन अथॉरिटी ने अपने एयर स्पेस को सभी कमर्शियल उड़ानों के लिए खोलने के निर्देश दिये।

अब सवाल यहां यह है कि जो पाकिस्तान चार दिन पहले तक कड़े शब्दों में अपने एयरस्पेस को बंद रखने की बात कर रहा था, वह अचानक अपनी बात से कैसे पलट गया। इसका सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान की बदहाल आर्थिक स्थिति है। दरअसल, बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तानी सरकार पर भारत के खिलाफ एक्शन लेने का दबाव बढ़ा था, तो आनन-फानन में उसने भारतीय एयरलाइंस को नुकसान पहुंचाने के लिए अपना एयर स्पेस बंद करने की घोषणा कर दी। पाकिस्तान के इस फैसले का त्वरित प्रभाव यह हुआ कि भारतीय एयरलाइंस को पश्चिमी देशों में जाने के लिए पाकिस्तान के एयरस्पेस को छोड़कर लंबे रास्ते का चुनाव करना पड़ा और भारतीय एविएशन इंडस्ट्री को नुकसान उठाना पड़ा था।

हालांकि, ऐसा नहीं था कि पाकिस्तान के इस फैसले का प्रभाव सिर्फ भारत पर पड़ा हो। पाकिस्तान के एयरस्पेस बंद करने की वजह से पाक सरकार को राजस्व मिलना बंद हो गया और उसे एयरपोर्ट चार्जेस मिलने भी बंद हो गए, जिसकी वजह से उसे भारी वित्तीय घाटा उठाना पड़ा। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक एयरस्पेस बंद होने के बाद से अब तक पाकिस्तान को करीब 688 करोड़ रुपयों का नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा वहां के यात्रियों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि कई देशों की एयरलाइंस ने पाकिस्तान के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट्स को रद्द कर दिया था। इसके अलावा पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन ने भी दिल्ली और बैंकॉक के लिए अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया था। यानि भारत को सबक सिखाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने जो फैसला लिया था, उसने कई महीनों तक पाकिस्तान की जनता को ही परेशान करके रखा।

दूसरी तरफ पाकिस्तान की आर्थिक हालत भी पाकिस्तान को यह इजाजत नहीं देती कि वह और ज़्यादा लंबे वक्त तक अपने एयरस्पेस को बंद रख सके। दरअसल, पाकिस्तान को इस वक्त डॉलर्स की सबसे ज़्यादा जरूरत है, और इसके लिए वह चीन और क़तर जैसे देशों से भीख मांगने को मजबूर हो गया है। पिछले कुछ महीनों में वह चीन, सऊदी अरेबिया और क़तर से कर्ज़ लेने के बावजूद IMF के पास जाने को मजबूर हुआ है। पाकिस्तान कर्ज़ में डूबा हुआ है और वहां की सरकार ने लोगों पर भारी टैक्स लगाया है जिसके कारण महंगाई से इस देश में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं। इसके अलावा आतंक विरोधी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रहने के लिए पाकिस्तान पर एफ़एटीएफ़ द्वारा ब्लैक लिस्ट होने का खतरा भी लगातार मंडरा रहा है। अगर ऐसा होता है, तो पाकिस्तान की मुश्किलों में और इजाफा हो सकता है।

पाकिस्तान की इस बदहाली का असर भी देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों में ऐसी दो खबरें आ चुकी है जिससे इस बात की तरफ इशारा होता है कि पाकिस्तान की बार्डर पार आतंकी गतिविधियों में भारी कमी आई है। पहली खबर तो यह थी कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की ओर से होने वाली सीज़फायर उल्लंघन की घटनाओं में भारी कमी आई है और दूसरी खबर ये थी कि कश्मीर को लेकर एजेंडा फैलाने के लिए पाकिस्तान द्वारा फंड किए जाने वाले NGO ने भी पाक सरकार को अपनी आपत्ति जताई है। खबरों के मुताबिक ये एनजीओ फंडिंग ना मिलने के कारण पाकिस्तान की सरकार से नाराज़ चल रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान ने इस साल के अपनी सेना के बजट में भी भारी कटौती की है। ये सब तथ्य इस बात को दर्शाने के लिए काफी है कि पाकिस्तान का अपने एयरस्पेस को खोलना अब उसकी मजबूरी थी और वह और ज़्यादा समय तक इतना बड़ा नुकसान उठाने में सक्षम नहीं था।

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