प्रशांत किशोर ने महीनों तक शिवसेना के लिए प्लान बनाया, फडणवीस ने एक बयान से सब धो दिया

अपनी मिश्रित सफलताओं और असफलताओं के बीच प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति के सबसे चहेते रणनीतिकार बने हुये है। कुछ महीनों पहले ही यह खबर आई थी कि ममता ने उनके साथ पश्चिम बंगाल में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए करार किया है। अब यह खबर आ रही है कि महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिव सेना ने भी प्रशांत किशोर से संपर्क किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि शिव सेना ने प्रशांत किशोर की मदद से ठाकरे परिवार के युवा चेहरे आदित्य ठाकरे की छवि को मजबूत करने का फैसला लिया है। इस का खुलासा तब हुआ जब शिव-सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लोक सभा चुनाव के एक महीने पहले जनता दल यूनिटेड के नंबर 2 प्रशांत किशोर से मिले थे। साथ ही शिवसेना के भी कुछ सांसदों ने भी इस मुलाक़ात पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि,” किशोर ने पार्टी को आगामी चुनावों में उसी तरह से मदद करने का प्रस्ताव दिया है, जैसे उन्होंने वर्ष 2014 के चुनावों में बीजेपी की की थी। किशोर ने हमें महाराष्ट्र के स्थानीय मुद्दों को उठाने के लिए कहा है। उन्होंने शिवसेना के प्रचार अभियान और मीडिया मैनेजमेंट के लिए रणनीतिक मदद देने की बात कही।” शिवसेना का यह फैसला ऐसे समय पर आया था जब भाजपा और शिव सेना दोनों ही पार्टियां चुनाव के मद्देनजर महाराष्ट्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाने में लगी थी और एक दूसरे की आलोचना करने में लगी थी।

कई शिवसेना के नेताओं को भी भाजपा विरोधी बयान देते देखा गया था। शिवसेना के राज्य सभा सांसद संजय राऊत ने तो यहाँ तक कह दिया था कि महाराष्ट्र में शिव सेना ही बड़े भाई की भूमिका में थी और रहेगी। महाराष्ट्र की इस पार्टी ने अपने मुख पत्र “सामना” में भी मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कई लेख प्रकाशित किए थे, तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की खूब सराहना की थी, ताकि बातचीत के समय वह बीजेपी के सामने यह मुद्दा उठा सके। दशकों पुरानी अपनी साथी पार्टी से इस तरह पेश आना, कहीं न कहीं प्रशांत किशोर की राजनीतिक चाल भी मानी जा सकती है।

लेकिन अब चुनाव समाप्त हो चुके है और शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा में अपनी शक्ति बढ़ाने में जुट चुकी है। सूत्रों के मुताबिक प्रशांत की कंपनी ‘आई पैक’ यानी इंडियन पॉलिटिकल एड्वाइज़री कमेटी शिव सेना के लिए रणनीति बनाना शुरू भी कर चुकी है। प्रशांत की टीम में सैकड़ो नए पेशेवर शिवसेना की जीत की कहानी लिखने में लगे हैं। यह टीम युवाओं,  बुजुर्गों तथा महिलाओं में शिव सेना के प्रति सकारात्मक छवि बैठाने की कोशिश कर रही है।

इसी क्रम में शिवसेना के संजय राऊत ने एक दांव खेलते हुए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर दिया और कहा, ‘महाराष्ट्र के लोगों के समक्ष आदित्य के रूप में एक नया और ऊर्जावान युवा नेता है और जनता उनकी तरफ आशा से देख रही है’। विधानसभा चुनाव से पहले आदित्य ठाकरे की तरफ से जन आशीर्वाद यात्रा निकालना भी इसी रणनीति का एक हिस्सा बताया जा रहा है।

शिवसेना के तरफ से ऐसे विरोधी बयान खास तौर से बीजेपी पर सीएम की कुर्सी के लिए दबाव बनाने के लिए किए जा रहे थे। हालांकि देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में अपना एक बयान देकर शिवसेना की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा,‘मैं सिर्फ भाजपा का ही नहीं बल्कि शिवसेना, आरपीआई, राष्ट्रीय समाज पक्ष का भी मुख्यमंत्री हूं। जनता यह निर्णय करेगी कि कौन अगला मुख्यमंत्री होगा। आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हमारा काम ही हमारे लिये बोलेगा।’ फडणवीस ने कहा, ‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं ही वापसी करूंगा।’

मौजूदा स्थिति में महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में बीजेपी के पास 125 सीटें है तथा शिव सेना की 60 सीटें है। और लोक सभा चुनाव में भारी बहुमत के साथ लौटी भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ही बीजेपी के रणनीतिकार थे। बीजेपी को उन चुनावों में बड़ी जीत मिली थी और उसके बाद प्रशांत किशोर ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। लेकिन उसके बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में किशोर कांग्रेस के साथ आए,  पर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। कुछ कांग्रेस के नेताओं ने प्रशांत के काम करने के तरीके की शिकायत भी कांग्रेस नेतृत्व से की थी।

उत्तराखंड में कांग्रेस की हालत इतनी बुरी हो गई कि वह राज्य के 2017  विधान सभा चुनावों में 32 सीटों से 11 पर आ गयी थी। वहीं उत्तर प्रदेश में उसका प्रदर्शन और भी खराब रहा था और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के बावजूद 105 सीटों में सिर्फ 7 पर ही जीत हासिल कर पायी। सिर्फ पंजाब ही ऐसा राज्य था जहां कांग्रेस के सामने बीजेपी थी और जीत कांग्रेस के झोली में आई। पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर के तृणमूल से जुडने के बाद भी इस पार्टी के विधायक भाजपा में शामिल होते जा रहे हैं और टीएमसी राज्य में लगातार कमजोर होती जा रही है। जिस भी राज्य में भाजपा के सामने विरोधी पार्टी में प्रशांत रहे है, उन्हें हर का सामना ही करना पड़ा है। अब देखने वाली बात है कि शिवसेना के साथ उनके समझौते के क्या नतीजे निकलते हैं!  

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