मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आ रही है। पहले अफसरशाही को दो टूक सुनाने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों और मंत्रियों को भी साफ कर दिया है कि संसदीय ड्यूटि को निभाना अनिवार्य है। और अगर कोई मंत्री अपनी ड्यूटि को नहीं निभाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।
दरअसल, मंगलवार (16 जुलाई) को बीजेपी के संसदीय दल की बैठक थी लेकिन कई मंत्री और सांसद इस बैठक से नदारद रहे जिस वजह से इस मुद्दे को तूल मिली और पीएम मोदी ने इसपर नाराजगी जताते हुए सभी को सख्त आदेश दिए। बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “मंत्रियों की रोस्टर में ड्यूटी लगाई जाती है कि वे संसद में मौजूद रहें, लेकिन वहां मौजूद नहीं रहते हैं। और फिर वे चिट्ठी लिखकर काम होने का बहाना बनाते हैं। मुझे पता है कि ऐसे मंत्रियों को कैसे ठीक किया जाता है।” देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी बैठक में अनुपस्थित रहे सांसदों से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने बीजेपी के संसदीय दल की बैठक में सभी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘सभी को अपने संसदीय क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान देने चाहिए और उन सभी क्षेत्रों के विकास के लिए तत्पर रहना चाहिए। इस लोकसभा में पहली बार संसद आये प्रतिनिधियों की संख्या ज्यादा है, इसलिए इन सभी को अपने क्षेत्रों के लिए पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा।‘ इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रियों को भी संसद में सही समय पर आने और बैठक में भाग लेने के लिए कहा है।
पहले भी प्रधानमंत्री मोदी कई बार सांसदों की सदन में गैर-मौजूदगी को लेकर चिंता जता चुके हैं। अब जब संसद का सत्र चल रहा है तो उन्होंने अपने मंत्रियों को सीधे शब्दों में कहा है कि संसद में उपस्तिथि दर्ज करवाना सिर्फ सांसदों का ही नहीं बल्कि मंत्रियों का भी दायित्व है।
बैठक में प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को नसीहत देते हुए कहा कि राजनीति से हटकर सांसदों को काम करना चाहिए। देश के सामने जल संकट है, इसलिए इस स्थिति से निपटने के लिए भी सांसदों को काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अपने इलाके के अधिकारियों के साथ बैठक कर जनता की समस्याओं के बारे में बात करिए और उसे सुलझाने के लिए काम करें और नए आईडिया लेकर आयें। राजनीति के साथ-साथ सामाजिक काम जैसे जानवरों की बीमारिया या टीबी, कोढ़ जैसी बीमारियों पर मिशन मोड में काम करिये।‘
प्रधानमंत्री ने कहा कि सांसदों को अपने क्षेत्र में जाकर सरकार की योजनाओं के बारे में जनता जागरूक करना चाहिए। “फर्स्ट इम्प्रैशन इज द लास्ट इम्प्रैशन” मतलब की ‘आपकी पहली छवि जो बनती है, वही आखिर तक रहती है।’ इसके जरिये उन्होंने सभी को समझाया कि जनता के लिए काम करिये और अपनी छवि को बेहतर बनाइए।
बता दें कि इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन भी शामिल हुए थे।
इससे पहले 14 जुलाई को भाजपा ने लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को नोटिस जारी कर मंगलवार को होने वाली बैठक के बारे में सूचित कर दिया था ताकि सभी इसमें मौजूद रहें। परन्तु कई मंत्री और सांसद इस बैठक से गायब रहे। अब पीएम मोदी ने संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी से कहा है कि वो ऐसे सांसदों और मंत्रियों की सूची सौंपें, जो संसद में उपस्थित नहीं रहते हैं।
अब इसका प्रभाव सांसदों और मंत्रियों पर क्या पड़ता है ये देखना दिलचस्प होगा। वैसे भी कोई भी मंत्री या सांसद इसे हल्के में नहीं लेना चाहेगा क्योंकि इससे पहले लापरवाह और सुस्त नौकरशाहों पर सरकार की चाबुक चल चुकी है। उनके कार्यों की समीक्षा के बाद उनकी जबरन सेवानिवृत्ति हुई थी।