पहली बार भारत की जनसंख्या दर में गिरावट के संकेत मिले हैं

(PC: The Statesman)

सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र के साथ दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सफल प्रयासों और विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन का परिणाम आने लगे है। हाल ही में प्रकाशित आर्थिक सर्वेक्ष्ण 2019 को जारी किया गया था। यह सर्वे मोदी सरकार के अगले पांच सालों के रोडमैप के बारे में बताता है। संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में जनसंख्या दर से जुड़े आंकड़े चौकाने वाले है।

इस सर्वे में जनसंख्या नियंत्रण पर अच्छा कार्य करने वाले राज्यों में आबादी तेजी से घटने की उम्मीद जताई गयी है। 2021-2041 तक आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की आबादी की रफ्तार 0.5 प्रतिशत तक धीमी हो जाएगी। आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में बताया गया है कि जिन राज्यों में शिक्षा सुधर रही है और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही हैं वहां आबादी घट रही है। रिपोर्ट के अनुसार जिन राज्यों में जनसांख्यिकी परिवर्तन होगा उनमें से ज़्यादातर राज्य में जनसंख्या तेज़ी से घटेगी। और 2031-41 तक जनसांख्यिकी विकास दर लगभग शून्य तक पहुंच जाएगा। आंध्र प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि शून्य के करीब होगी और कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, हिमाचल में प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह वृद्धि 0.1-0.2 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-41 के दौरान बिहार की आबादी में 24.7 फीसदी का इजाफा होगा और यह 15 करोड़ पार कर जाएगी। इस अवधि में झारखंड में 18.8 फीसदी की रफ्तार से आबादी बढ़ेगी और वह 4.46 करोड़ तक पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-41 के बीच देश में 12.1 फीसदी आबादी का इजाफा होगा जबकि यूपी 17.3, राजस्थान में 17.8 मध्य प्रदेश में 15 फीसदी आबादी बढ़ेगी।

केंद्र के साथ राज्य स्तर पर भी सरकारें बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए प्रयास कर रही है लेकीन ये तभी संभव है जब आम जनता जागरूक व शिक्षित हो। मोदी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कदम उठाएं हैं। अब तक कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं और कुछ पुरानी योजनाओं को पुनर्गठित किया गया है या उनकी प्रगति के लिए उनका विस्तार किया गया है। पिछड़े राज्यों के उत्थान से महिलाओं और बच्चों के बीच कुपोषण के मुद्दे को हल करने के लिए कई कदम उठाए गए है। भारत में विद्यालय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के संदर्भ में 24 मई, 2018 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) द्वारा समग्र शिक्षा योजना शुरू की गई थी। यह एक अतिव्यापी कार्यक्रम है जो डिजिटल प्रौद्योगिकी को शामिल करेगा और विद्यालय शिक्षा प्रणाली में कौशल विकास शुरू किया। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को 15 जनवरी 2015 को बाल यौन अनुपात के मुद्दे से निपटने के लिए शुरू किया गया था। इस पहल को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से समर्थित किया जाता है। इस योजना को 100 करोड़ रुपये के वित्त पोषण के साथ शुरू किया गया था। समय-समय पर देश के लोगों को जागरूक करने के लिए पीएम मोदी ने अपने भाषणों में शिक्षा के महत्व के साथ-साथ विकास के महत्व पर जोर देते हैं। चाहे वो ‘मन की बात हो’ या परीक्षा पर चर्चा, अक्सर वो शिक्षा के महत्व पर जोर देते हैं। 29 जनवरी 2019 को परीक्षा पर चर्चा के दौरान छात्रों ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिक्षा प्रणालि को और बेहतर बनाने के विषय में पूछा तो प्रधान मंत्री ने कहा, ‘शिक्षा सिर्फ रटने तक और परीक्षा देने तक सीमित नहीं है। हमें जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारी शिक्षा को और मजबूत करना चाहिए।‘ शिक्षा प्रणाली में बदलाव पर मोदी सरकार ने जोर दिया है जिसका प्रभाव राज्य स्तर पर देखने को मिल रहा है।  

स्वस्थ्य कल्याण के क्षेत्र में भी मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिनका सीधा प्रभाव जनसंख्या नियंत्रण पर पड़ेगा। 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुन्झुनू जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ” योजना के विस्तार के रूप में राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की गई थी। और आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार की एक योजना है जो गरीब परिवारों के कल्याण पर केंद्रित है और उन्हें चिकित्सा लाभ प्रदान करती है। इस योजना में चल रही केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं- राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (एससीएचआईएस) शामिल हैं।

विभिन्न राज्य की सरकारों के समर्थन और आम जनता में जागरूकता के बिना यह संभव नहीं था. ये सभी जानते और समझते हैं कि शिक्षा के स्तर को बढ़ाए बिना बढ़ती आबादी के खतरों से निपटना असंभव है क्योंकि उचित शिक्षा के अभाव में देश में परिवार नियोजन, लैंगिक समानता आदि से जुड़े प्रयास सफल नहीं हो सकते।

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