आम चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की करारी हार के बाद ममता ने आने वाले विधान सभा के चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। ममता को यह एहसास हो गया है की अब मुस्लिम तुष्टीकरण की उनकी राजनीति उन्हें सत्ता से उखाड़ फेकेगी और उनके खास वोटर भी बीजेपी को ही वोट देंगे। इसलिए भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता को टक्कर देने के लिए ममता ने चुनाव के जादूगर कहे जाने वाले प्रशांत किशोर से मदद मांगी है। प्रशांत किशोर ने भी फर्स्टपोस्ट को बयान देकर इस बात की पुष्टि की है कि वो 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता के साथ काम करेंगे।
और अब ऐसा लगता है कि बिना समय गवाएं प्रशांत ने अपना काम शुरू भी कर दिया है और टीएमसी को अभी से ही चुनावी मोड में ला दिया है। अब बात करते हैं टीएमसी की नवनिर्वाचित सांसद और नवविवाहिता नुसरत जहां की जिन्होंने लोक सभा में साड़ी, मंगलसूत्र और सिंदूर में शपथ ली, इतना ही नहीं नुसरत ने ईश्वर के नाम पर शपथ लिया और अपने शपथ का अंत उन्होने जय हिन्द वंदे मातरम और जय बंगला बोलकर किया। ममता बनर्जी के टीएमसी के एक सांसद द्वारा ऐसा करना आश्चर्यचकित करने वाला फैसला था। नुसरत को देश भर से शाबाशी मिली। टीएमसी का इतना जबर्दस्त हिंदुकरण प्रशांत किशोर का फेंका हुआ पासा हो सकता है।
ममता बनर्जी की हार की समीक्षा करते हुए प्रशांत ने हार ने अवश्य ही पार्टी के हिंदुकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी होगी। कट्टरपंथी छवि और अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण ने टीएमसी को 42 सीटो से 21 सीटों ला दिया। अब प्रशांत किशोर के आने से टीएमसी की कट्टरपंथी छवि को सुधारने का प्रयास क्रियान्वयित होता दिख रहा है।
गुरुवार को नुसरत जहां रथ यात्रा का एक कार्यक्रम में भी गयी थी। यह कार्यक्रम इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्ण कोनसियसनेस (इस्कॉन) ने आयोजित की थी। नुसरत जहां के साथ उनके पति निखिल जैन और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी भी मौजूद थी। आईएएनएस से बात करते हुए उन्होने कहा कि मुझे रथ यात्रा में शामिल हो कर बहुत गर्व महसूस हो रहा है। पश्चिम बंगाल में बिना सांप्रदायिक अंतर के सभी त्योहार मनाया जाते हैं।
टीएमसी के फ़ैसलों में यह क्रांतिकारी बदलाव निश्चित रूप से इस पार्टी की एक अलग छवि बनाने का प्रयास है। मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए मशहूर टीएमसी अब हिंदू मूल्यों को पर ध्यान दे रही है ताकि वोट बैंक बढ़ा सके। टीएमसी में यह रातोंरात बदलाव और विशेष रूप से ममता बनर्जी के बदलाव पर विश्वास करना कठिन हो जाता है क्योंकि ममता बनर्जी अपनी जिद के लिए प्रसिद्ध है जो अपने समर्थको का बचाव करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है जैसे उन्होने राजीव कुमार के केस में सीबीआई को ही गिरफ्तार कर लिया था। शक के बादल तब और गहरे हो जाते हैं जब टीएमसी में प्रशांत किशोर जाकर मिल जाते है जो प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार माने जाते है।
चुनावी हार से घबराई ममता बनर्जी अपनी हिंदू विरोधी छवि को मिटाने की कोशिश करने लगी है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदर्शन ने निश्चित रूप से ममता बनर्जी को परेशान कर दिया है और यह संभावना है कि वह अपनी छवि में बदलाव भी रणनीति का हिस्सा है जो प्रशांत किशोर ने टीएमसी के लिए तैयार किया है। तो जो भी हिन्दू नुसरत जहां के सुंदर मुखड़े पर सजी बिंदी को देखकर आनंदविभोर हो रहे हैं, वो थोड़ा सावधान हो जाएँ, प्रशांत किशोर जी समभावतः हरकत में आ गए हैं।