‘असहिष्णुता’ का राग फेल होने के बाद फिर से विपक्ष ने किया ईवीएम का रुख

ईवीएम

(PC: Hindustan Times)

ईवीएम के मुद्दे पर चुनाव आयोग के बार बार बयान देने के बाद भी देश की विपक्षी पार्टियों के सिर से ईवीएम का भूत उतरने का नाम नहीं ले रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार आज महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से राज्य के सेक्रेटेरिएट में मुलाक़ात करने वाले है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मनसे प्रमुख और टीएमसी प्रमुख के बीच इस बैठक में ईवीएम विवाद सहित अन्य राजनीतिक मुद्दों और मौजूदा राजनीतिक माहौल पर चर्चा होने की उम्मीद है। हाल ही में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी से भी इस मुद्दे पर बातचीत की थी। इस बैठक के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की रणनीति पर भी दोनों नेताओं ने विस्तार से चर्चा की थी। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाक़ात लगभग 40 मिनट तक चली थी। ईवीएम के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां अक्सर सवाल उठाती रही हैं। कांग्रेस, टीएमसी, मनसे जैसी विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर ईवीएम से छेड़-छाड़ करने का आरोप लगाती रही हैं। इससे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराने की मांग की थी। राज ठाकरे ने अपने पत्र में कहा था कि ‘ईवीएम को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे है। ऐसे में चुनाव प्रणाली में फिर से विश्वास के लिए चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराए जाएं।’

इससे पहले भी अपनी हार से बौखलाए विपक्ष के कई नेताओं ने चुनाव के नतीजों के बाद ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने चुनाव परिणाम आने के बाद ईवीएम को लेकर हमला करते हुए कहा था कि ‘जनता का विश्वास इससे हट गया है।‘ आगे उन्होंने कहा था कि ‘गठबंधन ने जो सीटें यूपी में जीती हैं वहां इन लोगों ने ईवीएम में गड़बड़ी नहीं कराई ताकि जनता को शक न हो।‘

उन्होंने आगे कहा था, “देश की अधिकतर पार्टियां चुनाव आयोग से यही कह रही हैं कि ईवीएम के बजाये बैलट पेपर से चुनाव करायें जायें। चुनाव आयोग और बीजेपी को इस पर आपत्ति क्यों होती है। न तो चुनाव आयोग तैयार है और न ही भाजपा मानने को तैयार है तो इसका मतलब कुछ तो गड़बड़ है।“

जबकि ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग कई बार स्पष्टीकरण दे चुका है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है। इसी वर्ष 21 मई को चुनाव के नतीजों से पहले चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट भी कर दिया था। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणबीर सिंह ने कहा था, ‘मशीनें पूरी तरह से सुरक्षित है और सभी पारदर्शिता तथा प्रशासनिक प्रोटोकॉल्स को पूरा करती है।‘ सिंह ने ये भी कहा था कि ईवीएम पूरी तरह से मजबूत हैं और किसी भी तरीके से मशीन से कोई  छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी तरीके से मशीन को हैक नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है। इसमें इंटरनेट, वाई-फाई या ब्लूटूथ संपर्क नहीं है। इसका मतलब है कि आप मशीन में सेंध नहीं लगा सकते। इसमें एक बार काम में आने वाली प्रोग्रामेबल चिप हैं।’’

इससे पहले वर्ष 2017 में 5 राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद ईवीएम के इस्तेमाल पर मायावती, हरीश रावत, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने सवाल उठाए थे लेकिन जब चुनाव आयोग ने ईवीएम हैकिंग का चैलेंज दिया तो महज दो पार्टियां सामने आईं थी। सीपीएम और एनसीपी चुनाव आयोग पहुंचीं थी लेकिन वहां भी उन्होंने चैलेंज में हिस्सा लेने से मना कर दिया और सिर्फ ईवीएम के काम करने के तरीके को समझा था। चैलेंज का दिन खत्म होने के बाद तत्कालीन चीफ इलेक्शन कमिश्नर नसीम जैदी ने कहा था कि ‘ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। हम भविष्य में सभी चुनावों में वोटिंग के बाद पर्ची निकालने वाली मशीन वीवीपीएटी का इस्तेमाल करने जा रहे हैं।’

इस बार के आम चुनावों में पहली बार वोटर-वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) का इस्तेमाल किया गया था। मतगणना के दौरान वीवीपैट पर्चियों की गिनती और उनका मिलान भी किया गया था। मतगणना पूरी होने के बाद वीवीपैट की पर्चियों का मिलान 23 मई की रात तक किया गया था और चुनाव आयोग के अनुसार इसमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली थी।

पूर्व चुनाव आयुक्त कुरैशी का मानना है कि अब विपक्षी पार्टियों को वीवीपैट मामले पर शांत बैठ जाना चाहिए क्योंकि ईवीएम के साथ वीवीपैट के जुड़ने से इसकी व्यवस्था और दुरुस्त हो गई। क़ुरैशी कहते हैं कि विपक्ष के बार-बार सवाल उठाने पर ही वीवीपैट को लाया गया ताकि विश्वसनीयता बनी रहे लेकिन जांच में कुछ आया नहीं।

लेकिन फिर भी इतना कुछ होने के बाद भी विपक्ष नहीं मान रहा है और फिर से देश कि जनता को गुमराह करने के प्रयास में जुट गया है। राज ठाकरे का पहले कांग्रेस और फिर टीएमसी प्रमुख से मिलना यह स्पष्ट करता है कि विपक्षी पार्टियों में कुछ पक रहा है जो जल्द ही बाहर भी आएगा। विपक्षी पार्टियां फिर से बैलेट पेपर का प्रयोग करवाना चाहती हैं ताकि फिर से उनके लिए बूथ लूटना आसान हो जाए। लेकिन अब जनता को चुनाव आयोग पर पूर्ण भरोसा है और यह इस बार के चुनाव में स्पष्ट भी हो गया कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं है बल्कि ईवीएम पर झूठी खबरें फैला कर हो-हल्ला करने वालों में गड़बड़ी है। 

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