पाकिस्तान की आर्थिक तंगी कम होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान अन्य देशों से लिए कर्ज में ही डूब कर खुद को नीलाम कर लेगा। हाल ही में एफएटीएफ के पैमानों पर विफल होने के बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकार रखा गया था। अब एक नए विवाद में वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान पर 5.976 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया है जो उसके अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) द्वारा दिए जाने वाले बेलआउट पैकेज के बराबर है।
दरअसल, विश्व बैंक समूह का एक संगठन इंटरनेशनल सेंटर फार सेटलमेंट आफ इन्वेस्टमेंट डिस्प्यूट्स (आईसीएसआईडी) ने बलूचिस्तान स्थिति रेको डिक खदान सौदे को रद्द करने पर पाकिस्तान के ऊपर पांच अरब 97 करोड़ डॉलर का जुर्माना ठोका है। इसमें 4.08 अरब डॉलर हर्जाना और 1.87 अरब डॉलर ब्याज है। यह हर्जाना पाकिस्तान को टेथयान कॉपर कंपनी (टीसीसी) को चुकाना होगा। पाकिस्तानी के अखबार द डॉन के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवादों के सुलह और मध्यस्थता के लिये सुविधायें प्रदान करने वाली संस्थान ICSID ने शुक्रवार को हर्जाने की राशि तय करते हुए सात सौ पन्नो में अपना फैसला सुनाया।
टेथयान कॉपर कंपनी, चिली की एंटोफागस्टा और कनाडा की बैरिक्क गोल्ड की एक संयुक्त उपक्रम है। टीसीसी ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में रेको डिक में बड़े पैमाने पर सोने और तांबे की खानों का पता लगाया था। यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी सोने की खदान मानी जाती है। अनुमान के अनुसार इसमें करीब 590 करोड़ टन का खनिज भंडार है।
कंपनी का कहना है कि वह इस इलाके में करीब 22 करोड़ डॉलर खर्च कर चुकी थी कि अचानक 2011 में पाकिस्तान सरकार ने कंपनी को खनन के लिए क्षेत्र को देने से मना कर दिया। जब टीसीसी ने वर्ष 2013 में पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय में पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध अपील की तब तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने सौदे में अनियमितता बताते हुए इस सौदे को रद्द कर दिया था।
पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस सौदे में गड़बड़ी बताकर रद्द किए जाने के बाद टेथयान कॉपर कंपनी ने आईसीएसआईडी का रुख किया और 2012 में पाकिस्तान के खिलाफ 11.43 अरब डॉलर के हर्जाना के लिए केस दायर किया था। 2017 में आईसीएसआईडी टीसीसी के पक्ष को सही करार दिया था लेकिन हर्जाने की राशि नहीं तय की थी। लेकिन इस शुक्रवार विश्व बैंक के संगठन आईसीएसआईडी ने को पांच अरब 97 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया।
पाकिस्तान के इस कीमती खदान पर चीन और सऊदी अरब जैसे कई देश अपनी नज़र लगाए बैठे है। साथ ही पाकिस्तानी सेना भी इसे हथियाने या भागीदार बनने की जुगत में बैठी है।
द प्रिंट में प्रकाशित एक फोटो के अनुसार पाकिस्तान की अनुमति के बाद चीन की सरकारी कंपनियां लगातार बलूचिस्तान के खनन मामले में हस्तक्षेप कर रही हैं। जब 90 के दशक में पाकिस्तान ने एम 9 और एम11 मिसाइल की मांग की थी तो चीन ने 1993 में ही पाकिस्तान को दे दी था। इसके बदले में चीन की सरकारी कंपनी मेटलर्जिकल कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना ने चगाई क्षेत्र को 20 वर्ष के लिए लीज पर ले लिया था। इस कंपनी ने संडक और रेको डिक क्षेत्रो में सोने और तांबे के खदान खोजे थे। लेकिन पाकिस्तान और चीन के बीच यह सौदा पर्दे के पीछे ही रहा और उन क्षेत्रों में अवैध खनन जारी रहा।
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री असद उमर ने कहा था कि सऊदी अरब के अधिकारियों ने रेको डिक के बारे में पूछताछ की थी। और भी एक अधिकारी ने सऊदी अरब के उन क्षेत्रों में निवेश करने की पुष्टि की थी।
इसी वर्ष मार्च में रोयटर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें यह कहा गया था कि पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान के सोने और तांबे के खदानों में अपनी रुचि दिखाई है।
रेको डिक खदान पाकिस्तान और विदेशी कंपनियों के लिए अब विवाद की एक जड़ बन गयी है। जिस तरह इस मामले में टेथयान कॉपर कंपनी जैसी एक विदेशी कंपनी के अधिकारों का हनन किया गया है उसे देख कर अब दुनिया की कोई दूसरी कंपनी पाकिस्तान में निवेश नहीं करना चाहेगी। अगर पाकिस्तान इस जुर्माने को नहीं दे पता है तो उसकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को भविष्य में वर्ल्ड बैंक एवं उसके सहयोगी संगठन से लोन मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही बदनाम हो चुके पाकिस्तान की छवि को और ज़्यादा नुकसान हो सकता है। वैसे अभी भी पाकिस्तान दूसरे देशों के कर्ज पर ही आश्रित है और उसकी विदेशी मुद्रा भंडार पहले ही से ही कंगाली की राह पर है।