ऋचा को कुरान की प्रति बांटने की सजा के बाद जज मनीष सिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पर आक्रोश

ऋचा भारती

(PC: India Tv)

रांची की एक निचली अदालत द्वारा 19 वर्षीय ऋचा भारती नाम की एक छात्रा को फेसबुक पर इस्लाम धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डालने के लिए कुरान बांटने की शर्त पर जमानत देने के बाद सोश्ल मीडिया पर तूफान आ गया है। कई बड़े बड़े नेता और वकीलों ने भी इस तरह के शर्त पर अपनी नाराजगी जताई है। झारखंड के बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने ऋचा के आवास पर जाकर मुलाकात की और उससे समर्थन भी जताया। इस दौरान वकीलों से से बातचीत भी की।

दरअसल, अदालत में सुनवाई के दौरान दौरान न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने ऋचा भारती को सजा सुनाते हुए सशर्त जमानत दी थी। जज ने शर्त यह रखी कि वह सात हजार के दो निजी बॉन्ड जमा करे तथा 15 दिनों के अंदर पांच कुरान की प्रति बांटे जिसमें एक कुरान शिकायतकर्ता मंसूर खलीफा को भी देने को कहा गया था। इसके बाद यह खबर पूरे देश में जंगल की आग की तरह फैल गयी। मीडिया ने तेज़ी दिखाते हुए ऋचा से उनके विचार जानने को जानने के लिए तुरंत इंटरव्यू लेने पहुंच गयी। मीडिया को बयान देते हुए वह जरा भी नहीं डरी और अपने विचार को बेबाकी से रखा।  

न्यूज़ 18 से बात करते हुए इंटरव्यू में ऋचा ने कहा, “मैं कोर्ट का आदेश नहीं मानने जा रही हूं। आज मुझे कुरान बांटने के लिए कह रहे हैं, कल कहेंगे इस्लाम स्वीकार कर लो, कहेंगे, नमाज पढ़ लो, कुछ और कर लो। यह कहां तक जायज है।“ ऋचा ने ये भी कहा कि ‘मुझे किसी धर्म से बैर नही, लेकिन मैं कुरान नही बांटूंगी।’

इस मामले के समाने आने के बाद से राँची जिले के वकील आंदोलित हो गए हैं। मनीष कुमार सिंह के अदालत का आज बहिष्कार कर दिया है। यहां तक कि उन्हें पद से हटाने की मांग तक उठाई जा रही है। वहीं  सोशल मीडिया पर ऋचा के अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में ट्वीट की सुनामी आ गयी। सोशल मीडिया के कई दिग्गज खुल कर अपना विरोध जताने लगे और ऋचा के पक्ष में बयान देने लगे। स्वराज्य के कंसल्टिंग एडिटर तथा वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन ने अपने ट्वीट के जरिये कहा कि ‘यह हैरान कर देने वाला है कि एक हिन्दू महिला को कुरान बांटने के लिए कहा जा रहा है। और उसने मना भी कर दिया। शाबाश!!’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘कल्पना कीजिए अगर यही एक मुस्लिम को गीता बांटने का शर्त दिया जाता तो मुख्यधारा की मीडिया ने अदालत को संघी अदालत घोषित कर दिया होता। ‘

https://twitter.com/ARanganathan72/status/1059745236749074432

वही राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट कर अपना पक्ष रखा और कहा कि ‘मैंने अपने मित्र और झारखंड के मंत्री सरयू राय से इस मामले को देखने के लिए कहा है तथा उस बहादुर लड़की से मिलने के लिए भी कहा है।‘

अधिवक्ता इश्करण सिंह भंडारी ने ऋचा को दिया गया शर्त को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि उच्च न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।  

एक और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने ट्वीट कर कहा कि ‘कुरान बांटने का शर्त सीआरपीसी और संविधान के खिलाफ है। और ऋचा को उच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए।‘

https://twitter.com/advocate_alakh/status/115112492550513050  

उन्होंने ऋचा के पिता से भी फोन पर बात की और कहा कि ‘जैसे ही कोर्ट की कॉपी ऋचा के परिवार को मिलेगी, वो लोग तुरंत उन्हें बताएं ताकि अलख वह याचिका तैयार कर सके और झारखंड उच्च न्यायालय जा सके।

वही सृजन फाउंडेशन ने ऋचा के लिए एक कैंपेन भी तैयार किया है।

कर्नाटक से सांसद शोभा कारणदलजे ने भी अदालत के इस फैसले पर अपना विरोध जाहीर किया।

 https://twitter.com/ShobhaBJP/status/1151167651189645313?s=20

ऋचा का जवाब सराहनीय है क्योंकि जिस तरह से लेफ्ट लिबरल मीडिया और इन धर्मिक ताकतों के दबाव में न आते हुए ऋचा ने अपने पक्ष को रखा है वो बहुत कम ही देखने को मिलता है। तथा इनके समर्थन में भी देश की जनता ने आगे बढ़ कर हिस्सा लिया तथा ऋचा का समर्थन कर रहे हैं। अब आगे की लड़ाई ऋचा के लिए कैसे होगी आने वाले समय में स्पष्ट हो जायेगा।

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