अपने मुंह मिया मिठू बनना ‘कथित लिबरलों’ से बेहतर कोई नहीं जानता। फिर जब उनके विचारों का कोई विरोध कर दे तो उन्हें मिर्ची लग जाती है और उनका दोहरा रुख सबके सामने आ जाता है। शनिवार को भी यही देखने को मिला। खुद पर ही किताब लिख कर अपने आप को लिबरल घोषित करने वाली और कथित लिबरलों की पुरानी पोस्टर गर्ल सागरिका घोष ने वामपंथी वेब पोर्टल ‘द वायर’ पर अपने ही किताब का उल्लेख करते हुए एक लेख लिखा। इस लेख में उन्होंने सेना के बारे में आपतिजनक बात लिखते हुए लिखा कि सेना में सिर्फ गरीब परिवार के लड़के ही भर्ती होते हैं। जब टेरिटोरियल आर्मी के सबसे डेकोरटेड अफसर मेजर नवदीप सिंह ने इस विचार पर विरोध प्रकट किया तो सागरिका घोष ने अपनी ‘सहिष्णुता’ का प्रदर्शन करते हुए उन्हें इडियट कह कर अपने आप को एक्सपोज कर लिया।
Because my article ( book extract actually) is about war, warmongers and the human toll war takes. Soldiers fight wars, right? Not office clerks ? Are you some sort of idiot ? Or just posing as one to get my attention ?
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 27, 2019
दरअसल सागरिका ने अपने लेख में कई आपतिजनक बाते लिखी थीं। जैसे सेना में सिर्फ गरीब ही भर्ती होता है। दूसरा, युद्ध सिर्फ अमीरों की युद्ध वासना का परिणाम है, यानि अमीर और सम्पन्न लोग अपने निजी हितों के लिए ही युद्ध करवाते हैं।
Why the liberal patriot who works for peace loves her country more than those wanting to send the sons of the poor to the front lines to satisfy their own elite bloodlust. Thanks @thewire_in for publishing this extract from my book #WhyIAmALiberal. @PenguinIndia https://t.co/cPaAvWO2lQ
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 26, 2019
इसे लेख को नवदीप सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर करते हुए अपना विरोध जताया और लिखा कि वो भी एक लिबरल है और शांति की ही पहल करते हैं। हालांकि, उन्होंने आगे यह भी कहा कि सेना में भर्ती हुए महिला और पुरुष गरीब नहीं है। और भारतीय सेना कोई रुपयों के लिए लड़ने वाली सेना नहीं है, बल्कि संवैधानिक राजतंत्र के तहत काम करने वाली नैतिक ज़िम्मेदारी से परिपूर्ण सेना है जो इस देश के लोगों के सुरक्षा के लिए दिन रात तत्पर रहती है।
I consider myself liberal. I also stand for peace. However women & men in uniform are not "sons of poor", we're not a militia satiating a tinpot leadership's bloodlust. We're an ethical military working under a constitutional democracy to protect citizenryhttps://t.co/dX6jDrXWrR
— Navdeep Singh (@SinghNavdeep) July 27, 2019
इसके बाद खुद को सेना की जानकार मानने वाली सागरिका, टेरिटोरियल सेना के सम्मानित मेजर को ही पाठ पढ़ाने लगी और अपने एक ट्वीट में उन्हें इडियट तक कह दिया। ट्वीट में उन्होंने लिखा था ‘मेरी किताब युद्ध के ऊपर थी। इसलिए मैंने सेना के जवानों का उल्लेख किया सेना के जवान युद्ध लड़ते हैं, ना कि ऑफिस के क्लर्क। क्या आप पागल हैं या सिर्फ मेरी अटेन्शन पाने के लिए ऐसे ट्वीट कर रहे हो?’
Because my article ( book extract actually) is about war, warmongers and the human toll war takes. Soldiers fight wars, right? Not office clerks ? Are you some sort of idiot ? Or just posing as one to get my attention ?
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 27, 2019
उनके इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर उनका विरोध होने लगा और ट्विटर पर वह सबसे ऊपर ट्रेंड करने लगी थी। सेना के कई बड़े अफसरों ने भी इसका विरोध किया। लेफ़्टिनेंट जेनरल अता हसनैन ने सागरिका के इस तरह के भाषा को निंदनीय बताया। वहीं कारगिल युद्ध के समय सेना के प्रमुख रहे जनरल वेद मलिक ने लिखा कि वह मेजर नवदीप को दो दशकों से जानते है और वह बहुत ही शिष्ट व पेशेवर है।
I have known Navdeep for over two decades. He is not only very liberal but also highly professional and amongst the most humane and compassionate persons I have come across.
— Ved Malik (@Vedmalik1) July 28, 2019
कड़े विरोध के बाद सागरिका ने माफी भी मांगी लेकिन यहां भी उन्होंने अपनी अभिजात्य सोच का प्रदर्शन कर ही दिया। उन्होंने लिखा कि अगर आपको बुरा लगा तो माफी चाहती हूँ लेकिन आपके ट्वीट कुंठित और सीमित है।
Terribly sorry if you were offended. I do believe that your tweets are rather shockingly obtuse and your reasoning intriguingly limited , but of course we must always keep the dialogue civilised. Have a fun evening https://t.co/RKziFIwcnC
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 27, 2019
सागरिका के इस ट्वीट से यह तो स्पष्ट हो गया कि इन कथित बुद्धिजीवीयों को अपने विचारों के आगे किसी और को सुनना पसंद ही नहीं है। सहिष्णुता के नाम पर सबसे असहिष्णु व्यवहार इन कथित पत्रकारों से ही देखने को मिलता है।
इनके इस ट्वीट के बाद एक पत्रकार जसकिरत सिंह बावा ने आपत्ति जताते हुए लिखा अगर आपको कारण जानना हो कि क्यों सागरिका के पत्रकारिता का स्तर कितना नीचे है तो यह ट्वीट से बेहतर कुछ नहीं।
https://twitter.com/JaskiratSB/status/1155167319405895680
इसके बाद सागरिका ने कई ट्वीट में मेजर नवदीप से माफी मांगी।
Sorry to all, sorry standing on my head, sorry sitting down, apologies, apologies, apologies. I mistakenly thought the person directing the comments at me was a hostile, hence terribly bad usage, apologies all around. https://t.co/PR1xGLcw7s
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 27, 2019
बता दे कि यह पहला मौका नहीं है जब खुद को ही बेहतर बताने के लिए यही सागरिका घोष ने देश के लिए कुछ करने वालों का अपमान किया हो। इससे पहले सागरिका पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का अपमान करते हुए उन्हें ‘बॉम्ब डैडी’ कह चुकी है। मोदी युग आने के बाद से अप्रासंगिक हो चुके यह अभिजात्य पत्रकार अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अक्सर ऐसे ओछी हरकत करते रहते है ताकि एक खास वर्ग में प्रासंगिकता बनी रहे।