‘मुझे माफ कर दो’ सोशल मीडिया पर आर्मी ऑफिसर को गाली देकर अब लाइन पर आई सागरिका

(PC: India.com)

अपने मुंह मिया मिठू बनना ‘कथित लिबरलों’ से बेहतर कोई नहीं जानता। फिर जब उनके विचारों का कोई विरोध कर दे तो उन्हें मिर्ची लग जाती है और उनका दोहरा रुख सबके सामने आ जाता है। शनिवार को भी यही देखने को मिला। खुद पर ही किताब लिख कर अपने आप को लिबरल घोषित करने वाली और कथित लिबरलों की पुरानी पोस्टर गर्ल सागरिका घोष ने वामपंथी वेब पोर्टल ‘द वायर’ पर अपने ही किताब का उल्लेख करते हुए एक लेख लिखा। इस लेख में उन्होंने सेना के बारे में आपतिजनक बात लिखते हुए लिखा कि सेना में सिर्फ गरीब परिवार के लड़के ही भर्ती होते हैं। जब टेरिटोरियल आर्मी के सबसे डेकोरटेड अफसर मेजर नवदीप सिंह ने इस विचार पर विरोध प्रकट किया तो सागरिका घोष ने अपनी ‘सहिष्णुता’ का प्रदर्शन करते हुए उन्हें इडियट कह कर अपने आप को एक्सपोज कर लिया।

दरअसल सागरिका ने अपने लेख में कई आपतिजनक बाते लिखी थीं। जैसे सेना में सिर्फ गरीब ही भर्ती होता है। दूसरा, युद्ध सिर्फ अमीरों की युद्ध वासना का परिणाम है, यानि अमीर और सम्पन्न लोग अपने निजी हितों के लिए ही युद्ध करवाते हैं।

इसे लेख को नवदीप सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर करते हुए अपना विरोध जताया और लिखा कि वो भी एक लिबरल है और शांति की ही पहल करते हैं। हालांकि, उन्होंने आगे यह भी कहा कि सेना में भर्ती हुए महिला और पुरुष गरीब नहीं है। और भारतीय सेना कोई रुपयों के लिए लड़ने वाली सेना नहीं है, बल्कि संवैधानिक राजतंत्र के तहत काम करने वाली नैतिक ज़िम्मेदारी से परिपूर्ण सेना है जो इस देश के लोगों के सुरक्षा के लिए दिन रात तत्पर रहती है।

इसके बाद खुद को सेना की जानकार मानने वाली सागरिका, टेरिटोरियल सेना के सम्मानित मेजर को ही पाठ पढ़ाने लगी और अपने एक ट्वीट में उन्हें इडियट तक कह दिया। ट्वीट में उन्होंने लिखा था ‘मेरी किताब युद्ध के ऊपर थी। इसलिए मैंने सेना के जवानों का उल्लेख किया सेना के जवान युद्ध लड़ते हैं, ना कि ऑफिस के क्लर्क। क्या आप पागल हैं या सिर्फ मेरी अटेन्शन पाने के लिए ऐसे ट्वीट कर रहे हो?’

उनके इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर उनका विरोध होने लगा और ट्विटर पर वह सबसे ऊपर ट्रेंड करने लगी थी। सेना के कई बड़े अफसरों ने भी इसका विरोध किया। लेफ़्टिनेंट जेनरल अता हसनैन ने सागरिका  के इस तरह के भाषा को निंदनीय बताया। वहीं कारगिल युद्ध के समय सेना के प्रमुख रहे जनरल वेद मलिक ने लिखा कि वह मेजर नवदीप को दो दशकों से जानते है और वह बहुत ही शिष्ट व पेशेवर है।

कड़े विरोध के बाद सागरिका ने माफी भी मांगी लेकिन यहां भी उन्होंने अपनी अभिजात्य सोच का प्रदर्शन कर ही दिया। उन्होंने लिखा कि अगर आपको बुरा लगा तो माफी चाहती हूँ लेकिन आपके ट्वीट कुंठित और सीमित है।

सागरिका के इस ट्वीट से यह तो स्पष्ट हो गया कि इन कथित बुद्धिजीवीयों को अपने विचारों के आगे किसी और को सुनना पसंद ही नहीं है। सहिष्णुता के नाम पर सबसे असहिष्णु व्यवहार इन कथित पत्रकारों से ही देखने को मिलता है।

इनके इस ट्वीट के बाद एक पत्रकार जसकिरत सिंह बावा ने आपत्ति जताते हुए लिखा अगर आपको कारण जानना हो कि क्यों सागरिका के पत्रकारिता का स्तर कितना नीचे है तो यह ट्वीट से बेहतर कुछ नहीं।

https://twitter.com/JaskiratSB/status/1155167319405895680

इसके बाद सागरिका ने कई ट्वीट में मेजर नवदीप से माफी मांगी।

बता दे कि यह पहला मौका नहीं है जब खुद को ही बेहतर बताने के लिए यही सागरिका घोष ने देश के लिए कुछ करने वालों का अपमान किया हो। इससे पहले सागरिका पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का अपमान करते हुए उन्हें ‘बॉम्ब डैडी’ कह चुकी है। मोदी युग आने के बाद से अप्रासंगिक हो चुके यह अभिजात्य पत्रकार अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अक्सर ऐसे ओछी हरकत करते रहते है ताकि एक खास वर्ग में प्रासंगिकता बनी रहे।

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