मेरा भाई आज जिंदा होता अगर यूपीए सरकार ने एनडीए सरकार की तरह सख्त कदम उठाये होते: सरबजीत की बहन

कुलभूषण जाधव सरबजीत

बुधवार को भारत को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में एक बड़ी जीत मिली जब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी और पाकिस्तान को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को काउन्सलर एक्सेस देने का भी आदेश दिया है। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले पर सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने संतुष्टि जताई है और बताया कि यह करोड़ो भारतीयों को जीत है।

बता दें कि दलबीर सिंह के भाई सरबजीत सिंह की अप्रैल 2003 में पाकिस्तान के कारण अपने भाई को हमेशा के लिए खो दिया था । सरबजीत को जासूसी करने के आरोप में वर्ष 1991 में गिरफ्तार किया गया था।

दलबीर कौर ने कहा कि जिस तरह से भारत सरकार ने इस पूरे मामले में अपना पक्ष इंटरनेशनल कोर्ट में रखा, उसी की वजह से कुलभूषण जाधव को भारतीय उच्चायोग की ओर से काउंसलर एक्सेस मिल सका है। उन्होंने यह भी कहा कि अब देखने वाली बात ये है कि हमारा पड़ोसी देश किस तरह से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले पर अमल करता है क्योंकि सरबजीत के मामले में भी काउंसलर एक्सेस दिया गया था। लेकिन वो वकील भारत का नहीं था जिस वजह से सरबजीत मामले में न्याय नहीं हो सका। कुलभूषण जाधव के मामले में अच्छी बात ये है कि वकील भारतीय उच्चायोग की ओर से दिया जाएगा और ऐसे में कुलभूषण के साथ इंसाफ होने की उम्मीद है।

दलबीर ने उस समय की कांग्रेस सरकर पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उस समय की कांग्रेस सरकार ने मामले पर संज्ञान लिया होता और इसे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में ले गए होते तो आज सरबजीत जीवित होता और हमारे साथ होता।

बता दें कि सरबजीत सिंह को रॉ का एजेंट बताते हुए वर्ष 1991 में फैसलाबाद और लाहौर से जुड़े एक मामले (बम धमाके मामला) में आरोपी बनाया गया था। बाद में अक्टूबर 1991 में उन्हें पाकिस्तान मिलिटरी एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाई गई थी। सरबजीत के मामले में पाकिस्तान सरकार ने कई फर्जीवाड़े किए थे। पाकिस्तान की अदालत में जो पासपोर्ट पेश किया गया था उस पर नाम खुशी मोहम्मद का लिखा था लेकिन तस्वीर सरबजीत सिंह की लगाई गई थी। इसी तरह 2005 में पाकिस्तान ने एक वीडियो जारी करके दावा किया कि सरबजीत सिंह ने अपना गुनाह कबूल लिया है, लेकिन यह दावा भी झूठा निकला था।

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2006 में सरबजीत की दया याचिका खारिज करते हुए उन्हें सुनाई गयी फांसी की सजा को बरकरार रखा था। लेकिन लाहौर की कोट लखपत जेल में छह क़ैदियों ने अप्रैल 2013 को सरबजीत सिंह पर ईंट और धारदार हथियार से हमला किया। इलाज के दौरान ही 2 मई 2013 को सरबजीत जीन्दगी जंग हार गये थे।

9 फरवरी 2013 को भारतीय संसद पर हमले के लिए अफजल गुरू को दी गयी फांसी की सजा को सरबजीत की मौत से जोड़कर देखा जाता है। पाकिस्तान ने जानबूझ कर अफजल के बदले में सरबजीत की जान ली। पर तत्कालीन यूपीए सरकार अपने नागरिक की मौत को लेकर पाकिस्तान के खीलाफ कोई एक्शन लेने नहीं लिया था और ही इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाया था।

अगर हम गौर करें तो कुलभूषण जाधव और सरबजीत की कहानी लगभग एक जैसी ही है, लेकिन अंतर भारत सरकार की सत्ता में बैठी राजनीति पार्टी का है। सरबजीत के समय सरकार कांग्रेस की थी। और कुलभूषण के समय सरकार में भाजपा है। कांग्रेस ने अपने दोनों कार्यकाल में अटल बिहारी बाजपेयी के किए कार्यो पर पानी फेरने का काम किया। यूपीए 2 में तो कांग्रेस की सरकार भ्रष्टाचार में इतनी लिप्त रही कि उसे देश की अर्थव्यवस्था, विदेशी देशों से संबंध और आंतरिक सुरक्षा जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान ही नहीं गया। 2g से लेकर कोयला और कॉमनवेल्थ जैसे घोटालों से देश को खोखला करने के बाद इस सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संबंध इतना खराब कर लिया कि वैश्विक पटल पर भारत की साख काफी कमजोर होती चली गयी। पाकिस्तान जैसा आतंकी देश लगातार आतंकवादी हमले कर रहा था और कांग्रेस देश की जनता का रुपया अपने बैंक खातो में डालने में व्यस्त थी।

वर्ष 2104 में मोदी सरकार के आने के बाद न केवल देश की आंतरिक सुरक्षा मजबूत हुई है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद विदेशी दौरे कर भारत के अन्य देशों से संबंध को सुधारा. साथ ही पाकिस्तान जैसे आतंकी देश को भी सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से लगातार माकूल जवाब देकर विश्व के सामने एक्सपोज कर दिया। अर्थव्यवस्था में जहां एक ओर महंगाई दर अपने सबसे निचले स्तर पर है भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। देश के लोगों में राष्ट्रवादी की भावना और ज्यादा मजबूत हुई है और यह सिर्फ एक सक्षम और सबल नेतृत्व के कारण ही संभव हो पाया है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में भारत के पास है।

इसी सरकार ने कुलभूषण मामले को देश की आन का मामला समझा और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपनी पूरी ताकत से पाकिस्तान का विरोध किया, और अपना पक्ष रखा जिसके फलस्वरूप भारत की जीत हुई। अब पाकिस्तान कुलभूषण को फांसी नहीं दे सकता। आने वाले समय में कुलभूषण जाधव और सरबजीत सिंह का मामला रिसर्च का विषय रहेगा कि किस प्रकार मोदी सरकार और कांग्रेस की सरकार ने अपना रुख किया और कौन देशहित में सोचता है।

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