डोसा किंग से मुजरिम बनने तक: भारत के स्वादिष्ट डोसे के पीछे के शख्स का आपराधिक सफरनामा

डोसा किंग

(PC: livelaw.in)

डोसा के लिए मशहूर डोसा किंग और सर्वाना भवन के संस्थापक पी राजगोपाल को अपने कर्मचारी के हत्या के मामले में सूप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। हत्या और हत्या की साजिश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सुनाई है जिसके बाद राजगोपाल को पुलिस के सामने समर्पण करना पड़ा। न्यायमूर्ति एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने 7 जुलाई की आत्मसमर्पण तिथि के विस्तार की याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि मामले में अपील की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष बीमारी का मुद्दा नहीं उठाया गया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने राजगोपाल को 2001 में अपने ही एक कर्मचारी की हत्या करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। राजगोपाल उस कर्मचारी की पत्नी से विवाह करना चाहते थे।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “हमारे विचार में, अभियोजन पक्ष ने प्रिंस संतकुमार की गला घोंटकर हत्या कर दी थी, इसके बाद शव को टाइगर चोल में फेंक दिया था।” राजगोपाल पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 364 (अपहरण) और 201 (सबूतों को नष्ट करना) के तहत आरोप लगाए गए थे।

दक्षिण भारतीय भोजन के कई रेस्टोरेंट खोलकर करोड़ो कमाने वाले डोसा किंग पी राजगोपाल को कौन नहीं जानता। सर्वाना भवन के भारत में 39 रेस्टोरेंट हैं, विदेश में 43 और पाइपलाइन में 16 रेस्टोरेंट हैं, इस प्रकार राजगोपाल के डोसों की महक पांच महाद्वीपों तक फैली है। परंतु विडम्बना यह है कि जितने स्वादिष्ट उनके डोसे और इडली हैं उतनी ही कड़वी उनकी कहानी।

राजगोपाल की कहानी किसी क्राइम फिल्म के लिए एकदम सही कहानी हो सकती है। दरअसल पी राजगोपाल की कहानी में मसाला, डोसा, वासना और हत्या सभी मौजूद है। जिस वर्ष भारत को स्वतंत्रता मिली उसी वर्ष में तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में जन्मे राजगोपाल एक गरीब प्याज के किसान के पुत्र थे। एक सुनहरे भविष्य की तलाश में वे 1973 में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई चले गए। 8 वर्ष बाद एक ज्योतिष के सलाह पर किराने की दुकान बंद कर एक रेस्टोरेंट दुकान खोल लिया। राजगोपाल ने  इस दुकान का नाम सर्वाना भवन रखा जो आगे चलकर भारत ही नहीं विश्व भर में विख्यात हुआ। उस जमाने में रेस्टोरेंट का चलन नहीं था पर फिर भी उसने ज्योतिष पर भरोसा कर रेस्टोरेंट खोला।  शुरुआती दिनों में घाटे के बावजूद खाने की गुणवत्ता कम किए बिना राजगोपाल ने अपना रेस्टोरेंट चलाते रहे। धीरे-धीरे सर्वाना भवन पूरे चेन्नई में मशहूर हो गया और लोगों की पहली पसंद बन गया। इस कारोबार में सफलता के बाद ज्योतिषी पर राजगोपाल का विश्वास और बढ़ गया। यह कारोबार इतना बढ़ा कि पी राजगोपाल अपने करामचरियों को अच्छे वेतन के साथ स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधा भी देने लगे।

90 के दशक की शुरुआत में, राजगोपाल ने सिंगापुर का दौरा किया और डोसा उद्यम को वैश्विक बनाने के लिए अमेरिकी रेस्टोरेंट चेन मैकडॉनल्ड्स के व्यापार मॉडल से प्रेरणा ली। अपने लोगों में “अन्नाची” से मशहूर राजगोपाल ने भी सर्वाना भवन के रेस्टोरेंट चेन की और सर्वाना भवन अपने 80 आउटलेट्स के साथ विदेश में भी फैल गया। उन्होंने दुबई में पहली अंतर्राष्ट्रीय शाखा खोली, दक्षिण भारतीय प्रवासी आबादी वाला शहर था। इसके बाद पी राजगोपाल डोसा किंग के नाम से मशहूर हो गए। देवी-देवताओं, अध्यात्मिक गुरू और ज्योतिष पर हद से ज्यादा भरोसा करने वाले डोसा किंग ने इस बीच अपनी 2 शादियां की पर यह दोनों शादियां लंबी नहीं चली।  

इस वजह से पी राजगोपाल फिर से ज्योतिष के शरण में गए। वर्ष 2000 में उसने ज्योतिष की सलाह पर तीसरी शादी करने का फैसला किया। जिस महिला से उसने शादी करने का फैसला किया वह सर्वाना भवन के एक कर्मचारी रामास्वामी की बेटी जीवज्योति थी लेकिन वह पहले से ही शादीशुदा थी। उस महिला का पति संतकुमार भी सर्वाना भवन का ही कर्मचारी था।  

उस महिला ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ संतकुमार से लव मैरिज की थी। जीवज्योति को देखकर राजगोपाल उसपर मोहित हो गया था और उसे रोजाना फोन करना शुरू कर दिया। वह उसे महंगे उपहार देने लगा। पी राजगोपाल के फोन कॉल और महंगे तोहफे से परेशान होकर लड़की ने पी राजगोपाल की शिकायत पुलिस से करने की धमकी दी। लेकिन पी राजगोपाल नहीं माना। इससे परेशान होकर संतकुमार और उसकी पत्नी ने चेन्नई छोड़ने का फैसला किया। अभी वो लोग चेन्नई छोड़ पाते, उससे पहले ही 28 सितंबर, 2001 को पी राजगोपाल दोनों के घर आए और कहा कि दो दिन के अंदर लड़की पति से रिश्ता तोड़ दे। परेशान होकर जब जोड़ा चेन्नई से बाहर जाने की कोशिश कर रहा था तो राजगोपाल के गुंडो ने संतकुमार का अपहरण कर लिया। इस बीच संतकुमार 12 अक्टूबर, 2001 को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से बच निकला और सीधे पुलिस कमिश्नर के दफ्तर में चला गया। इसके बाद तो पुलिस को मुकदमा लिखना ही पड़ा। जब संतकुमार और उनकी पत्नी को लगा कि अब मामला सुलझ जाएगा, लेकिन 18 अक्टूबर को एक बार फिर से संत कुमार का उसके परिवार के साथ अपहरण हो गया। इसके बाद 26 अक्तूबर 2001 को जोड़े को अगवा करके तिरुचेंदूर लाया गया। जहां संतकुमार को उसके परिवार से अलग करके उसकी हत्या कर दी गई। संतकुमार का शव 31 अक्टूबर को कोडाई पहाड़ियों के जंगल में मिला था।    

लड़की ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट का फैसला लड़की के पक्ष में आया और केस दर्ज करने का आदेश दिया। पुलिस ने राजगोपाल के खिलाफ अपहरण, हत्या की साजिश और हत्या का केस दर्ज कर लिया। पुलिस अब राजगोपाल को तलाश रही थी, जिसके बाद 23 नवंबर, 2001 को राजगोपाल ने चेन्नई पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।

निचली अदालत ने राजगोपाल को हत्या के मामले में दोषी ठहराया था और उसे 10 साल की सजा सुनाई थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस सजा को बढ़ाकर उम्रकैद कर दिया था। आरोपी ने इस सजा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। हालांकि, उसे सर्वोच्च अदालत से कोई राहत नहीं मिली है। उच्चतम न्यायालय ने 29 मार्च को मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए सर्वाना भवन के मालिक पी राजगोपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई। मामले से जुड़े पांच अन्य लोगों को भी सजा सुनाई गई।

इस प्रकार, डोसा किंग की प्रेरणादायक कहानी ने एक बदसूरत मोड़ ले लिया जो महिला से शादी करने के लिए उसके जुनून और उसके पति की हत्या के साथ समाप्त हो गया। और एक बार फिर यह सिद्ध हो गया कि भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं। सभी को  अपनी गुनाहों की सजा मिलती है।  

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