रविवार की देर रात हौज काजी के लाल कुआं क्षेत्र के रहने वाले संजीव और आस मोहम्मद के बीच स्कूटर पार्किंग को लेकर शुरू हुए विवाद ने तब सांप्रदायिक रंग ले लिया जबकुछ लोगों की भीड़ ने अलाह-हु-अकबर के नारों के साथ लाल कुंवा क्षेत्र के 100 साल पुराने एक हिन्दू मंदिर पर धावा बोल कर मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया। सांप्रदायिक वर्चस्व के लिए ऐसे अनेकों हमले किए गए है। लेकिन फिर से इस घटना को तथाकथित लिबरल मीडिया के पत्रकारों ने ढकने का काम शुरू कर दिया है। हर बार की तरह इस बार भी मंदिर पर हमले की बड़ी घटना को ‘मामूली घटना’ कहकर इसपर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई के अनुसार मंदिर को अल्लाह हु अकबर के नारों के साथ तोड़ना, एक परिवार के घर में घुसकर बूढी मां तक के साथ हुए बर्ताव की घटना मात्र एक छोटी घटना थी इसे बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।
Minor communal ‘flare up’ in Chandni Chowk over a parking brawl amongst a group of drunken youth. today,there was a peace march in the area.most news channels have ignored the efforts of community leaders on both sides to ensure peace prevails. ‘Nafrat’ sells, ‘pyaar’ doesn’t.😢
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 2, 2019
लेकिन इनके लिए चोरी करता हुआ तबरेज का मामला राष्ट्रीय मामला था। वही कांग्रेस की यास्मीन किदवई ने तो हिन्दू मंदिर पर हमले को ही नकार दिया। सबा नकवी तो ये कहने लगीं कि कुछ लोगों के कृत्य के कारण पूरे समुदाय पर सवाल उठने लगते हैं ।
From news coming in -attack was not on temple -it was between two sets of people -should not be communalised but definitely condemned and all should help repair the temple #delhi
— Yasmin Kidwai (@YasminKidwai) July 2, 2019
एनडीटीवी की सागरिका घोष भी इस मामले को पार्किंग के झगड़े तक ही बताने की कोशिश करने लगी साथ ही उन्हें सामाजिक समरसता, व्यापार, आर्थिक विकास जैसे शब्द याद आने लगे।
A parking dispute between two drunks which escalated into communal tension in #ChandniChowk has been defused, with a havan at the temple in the area and a meeting between two communities. Lets understand that without social harmony there can be no trade, business or eco growth.
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 3, 2019
न्यूज़ 18 की पत्रकार पल्लवी घोष भी पीछे कहां रहने वाली थी, उन्हें तो मामला शांत लगा। टीवी चैनल पर आरोप लगाते हुए उन्होंने लिखा कि टीवी चैनल ही इस मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहे है। ऐसा लगता है उन्होंने नारे लगा कर मंदिर तोड़ने वली भीड़ नहीं दिखाई दी।
But situation is fine now . Some channels made it out to be communal tension.. is this ok ?
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) July 2, 2019
इस घटना को कैसे दबाने कि कोशिश कि जा रही है यह देखने के लिए एनडीटीवी एक अच्छा नमूना है।
You guys are hypocrites of biggest order. Your bias in reporting is so obvious.
See how @ndtv reports #TempleAttack in #ChandniChowk pic.twitter.com/I5BGAH7Pgs
— सत्यम, शिवम, सुंदरम (@SatyshivS) July 2, 2019
भारत में मोब लिंचिंग पर विदेशी अखबार में लेख लिखने वाली राणा अयूब तो इस मामले पर ऑफलाइन हो गई है। मंदिर को अल्हा हु अकबर के नारों के साथ तोड़े जाने पर उनका कोई भी ट्वीट या लेख नहीं दिखाई दिया।
तबरेज, पहलू या फिर अखलाक पर रोने वाला यह गंगाराम, ध्रुव त्यागी या भरत यादव के लिंचिंग पर मिस्टर इंडिया की तरह गायब हो जाता है। इस तरह इस कथित उदारवादी गिरोह मंदिर तोड़ने और भगवन की मूर्तियां खंडित करने वाली घटना को सफेद अमली जामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिन अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए उसे एक ‘पार्किंग विवाद’ कहकर दबाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। मुख्यधारा की मीडिया भारत में कुछ वर्गों द्वारा किए जा रहे अपराधों की रिपोर्ट्स को निष्पक्षता के साथ नहीं दिखाती है। अगर यही हाल रहा तो यह अपराध इतना बढ़ जाएगी की इसे काबू करना मुश्किल हो जाएगा। यहां गौर करने वाली बात तो ये भी है कि बॉलीवुड की फिल्मों का रिव्यु देने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मामले पर मौन धारण किये हुए हैं। इनके राज्य में इस तरह की घटना घटित हुई इसकी समीक्षा करने की बजाय इस मामले से ही उन्होंने दूरी बनाई हुई है जो बेहद शर्मनाक है।