राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता राकेश सिन्हा ने शुक्रवार को पार्लियामेंट के उच्च सदन में जनसंख्या नियंत्रण पर एक निजी विधेयक पेश किया। उन्होंने इस विधेयक के माध्यम से एक परिवार में दो बच्चों के मानदंड लागू करने का जिक्र किया है। बिल के प्रावधानों के मुताबिक, इन मानदंडों को अपनाने वाले परिवारों को प्रोत्साहन दिया जाएगा और इसका उल्लंघन करने पर दंड भी दिया जा सकता है।
यह विधेयक अगर कानून बन जाता है, तो इसके प्रावधान सभी सांसदों, विधायकों और स्थानीय नेताओं पर भी लागू होंगे और इसे नहीं मानने वाले नेताओं को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। बिल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों को एक लिखित में यह प्रण लेना चाहिए कि वह अपने परिवार को दो से अधिक बच्चों तक ही सीमित रखेंगे। इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि उन सरकारी कर्मचारियों को छूट दी जानी चाहिए जिनके पास अधिनियम शुरू होने से पहले या इससे पहले दो से अधिक बच्चे हैं।
भारत में इस तरह के विधेयक की सख्त आवश्यकता है क्योंकि भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है और देश के संसाधनों पर भार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1947 में भारत की जनसंख्या 33 करोड़ थी और वर्ष 2011 में यह बढ़ कर 121 करोड़ हो चुकी थी। अनुमान के मुताबिक वर्ष 2019 में यह जनसंख्या 137 करोड़ होने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार वर्ष 2019 में भारत की आबादी लगभग 137 करोड़ और चीन की आबादी 143 करोड़ है। वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी 164 करोड़ के आँकड़े को पार कर जाएगी। तब तक वैश्विक जनसंख्या में 2 अरब लोग और जुड़ जाएंगे और यह वर्ष 2019 के 7.7 अरब से बढ़कर 9.7 अरब हो जाएगी।
रिपोर्ट में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि इस समय-अवधि में भारत में युवाओं की जनसंख्या ज्यादा रहेगी, लेकिन आधारभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, आश्रय, चिकित्सा और शिक्षा की मांग को पूरा करना भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती होगी। उच्च प्रजनन दर, बुजुर्गों की बढ़ती संख्या को जनसंख्या वृद्धि के कुछ प्रमुख कारणों के रूप में बताया गया है। जनसंख्या वृद्धि का लोगों के जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है यही कारण है कि स्वतंत्रता के बाद सभी क्षेत्रों में प्रगति के वाबजूद भी हमारे देश में प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ सकी है। बुनियादी ढांचे का विकास उतनी तेजी से नहीं हो रहा जितनी तेजी से आबादी में वृद्धि हो रही है जिसके कारण भारत में युवाओं के लिए रोजगार पैदा करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। वहीं भारत में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या के चलते आर्थिक मंदी, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां धीमी होती जा रहीं हैं। भूमि क्षेत्र, जल संसाधन और जंगल सभी का शोषण अत्यधिक मात्रा में हो रहा है जिससे प्राकृतिक संसाधनों में भी कमी आई है। आज महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण बढ़ती आबादी है, क्योंकि संसाधनों को उपयोग करने वाले लोग ज़्यादा हैं, मांग ज़्यादा है और संसाधन कम हैं यानि सप्लाई की कमी है।
देश के सार्वभौमिक विकास के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण आवश्यक है। और बीजेपी के राज्यसभा सांसद का यह प्राइवेट बिल निर्णायक साबित हो सकता है। इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने भी जनसंख्या नियंत्रण बिल पारित किया था जिसके जरिये परिवार नियोजन का अनुपालन करने वाले परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। राकेश सिन्हा द्वारा लाया गया यह बिल कानून बनता है तो इससे स्वास्थ्य सेवाओं को हर व्यक्ति तक उपलब्ध कराने ,राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने तथा अन्य विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
अलग अलग क्षेत्रों में भारत की बढ़ती ताकत को नकारा नहीं जा सकता। चाहे वो विज्ञान और तकनीक ,व्यापार और उद्योग, सेना, संचार हो, सभी क्षेत्रों में भारत अपना लोहा मनवा चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा जन जागरुकता बढ़ाने और जनसंख्या नियंत्रण के कड़े मानदंड बनाने से देश की आबादी पर नियंत्रण पाया जा सकता है और इससे देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।