2018 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें लगातार दूसरी बार सत्ता से बाहर होना पड़ा था। कई राज्यों में तो पार्टी का खाता तक नहीं खुला था। कांग्रेस के साथ उसका दामन थामने वाली कई हस्तियों की भी लुटिया इसी चुनाव के साथ पार होने से पहले ही डूब गयी, चाहे वो बीजेपी से कांग्रेस में आए अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा हो, या फिर कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की इच्छा रखने वाली अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर हो।
हाल ही में उर्मिला का जो पत्र लीक हुआ है, उससे एक बात तो साफ है कि चुनाव के दौरान महाराष्ट्र कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं रहा है। सभी को ज्ञात होगा कि किस तरह कांग्रेस को 2019 में लोक सभा चुनाव में, विशेषकर महाराष्ट्र में मुंह की खानी पड़ी थी। 2009 में 17 सीट के मुक़ाबले कांग्रेस को इस बार 48 सीटों में से महज 1 सीट ही प्राप्त हो पायी। मिलिंद देवड़ा हो या संजय निरूपम, कांग्रेस के बड़े बड़े दिग्गज महाराष्ट्र तो छोड़िए, मुंबई तक में अपनी सीटें नहीं बचा पाये।
इसी में अभी उर्मिला मातोंडकर का महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को लिखा पत्र वायरल हो गया है, जिसमें उर्मिला मातोंडकर ने अपनी असफलता के लिए विवादित कांग्रेस नेता संजय निरूपम और उनके विश्वासपात्रों को दोषी ठहराया है। यह पत्र चुनाव के परिणाम घोषित होने से ठीक एक हफ्ते पहले मिलिंद देवड़ा को लिखा गया था, जिसमें उर्मिला मातोंडकर ने स्थानीय स्तर पर पार्टी के नेतृत्व में कमियों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है।
ज्ञात हो कि उर्मिला मातोंडकर ने उत्तरी मुंबई लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जहां वो भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपाल शेट्टी से 2,41,341 मतों के अंतर से हारी थीं। उर्मिला ने अपने लचर प्रदर्शन के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं और चुनाव प्रचार के लिए नियुक्त मुख्य समन्वयक संदेश कोंडविलकर और दूसरे पदाधिकारी भूषण पाटिल को जिम्मेदार ठहराया। पत्र के अनुसार, ‘इन संदेश कोंडविलकर औरभूषण पाटिल की ‘बेईमानी, अक्षमता एवं समन्वय की कमी के कारण पार्टी को चुनाव में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।‘
इतना ही नहीं, उर्मिला मातोंडकर ने कोंडविलकर और पाटिल पर चुनाव प्रचार के लिए आवश्यक फंड देने में आनाकानी का भी आरोप लगाया है, और साथ ही साथ उन्होंने उत्तरी मुंबई के जिला कांग्रेस अध्यक्ष अशोक सुत्राले को अपमानित करने के लिए आड़े हाथों लिया।
इस पत्र के लीक होने पर मानो पूरे महाराष्ट्र कांग्रेस के खेमे में हलचल सी मच गयी। संजय निरूपम ने मिलिंद देवड़ा को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें पत्र के लीक होने में भागीदार होने का आरोप लगाया। निरूपम के अनुसार, “राष्ट्रीय स्तर पर जो युवा नेता (मिलिंद) पार्टी की अस्थिरता को खत्म करना चाहते हैं, वो एक लोकसभा उम्मीदवार (उर्मिला) के शिकायत पत्र की प्रतियों को मीडिया में छपवाने के लिए लीक करवा देता है। यह पत्र पार्टी के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध उन्हें चुनाव के पश्चात लिखा गया था। पार्टी में स्थिरता ये ऐसे लायेंगे?”
इसके उत्तर में मिलिंद देवड़ा ने संजय निरूपम का नाम लिए बिना ही उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘किसी भी पार्टी और उसके आदर्श व्यक्ति से सदैव ऊंचे रहते हैं। कुछ जगहों से अनचाही और अवांछित खबरें जो सामने आती हैं उन्हें हमें अनसुना करना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं और जल्द ही वे इसे भी पार कर लेगी।‘
भले ही उर्मिला मातोंडकर ने अपने चुनाव हारने की खीज को उजागर किया हो, परंतु उर्मिला ने महाराष्ट्र कांग्रेस के अंदर व्याप्त दरार को उजागर करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। जब राज्य में विधानसभा चुनाव निकट आ रहें हो, तो ऐसे में पार्टी के अंदर की गुटबाजी और अंदरूनी कलह उजागर होना पार्टी के लिए शुभ संकेत तो बिलकुल नहीं है।