कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप के झूठ को विदेश मंत्रालय का जवाब

डोनाल्ड ट्रम्प कश्मीर

PC: ccn.com

पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री इमरान खान आज कल अमेरिका में हैं। ये तो आप जानते ही हैं कि अमेरिका में जाने के बाद कितने जबरदस्त तरीके से उनकी बेइज्जती हुई है। एयरपोर्ट पर लैंड होते ही उनकी फजीहत तब हुई जब उनको रिसिव करने कोई अमेरिकी अधिकारी आया ही नहीं। उनका स्वागत पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने किया, यानि उनका अमेरिका में घरेलू स्वागत किया गया। हालांकि, इमरान खान के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी अपने एक बयान से अपनी फजीहत करवाने का काम किया है। दरअसल, व्हाइट हाउस में पाक पीएम इमरान खान के साथ की गई प्रेस ब्रीफ़ में ट्रम्प ने कुछ ऐसा कहा कि जिससे ट्रम्प प्रशासन के साथ-साथ भारत के अधिकारी भी हैरत में पड़ गए।

ट्रम्प ने कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर वे भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्तता करने के लिए तैयार हैं। उनका यह बयान ही सबको हैरान करने के लिए काफी था, क्योंकि भारत का यह शुरू से मानना रहा है कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है और इस मुद्दे को दोनों देश ही सुलझा सकते हैं। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प यहीं नहीं रुके और आगे ये तक कह डाला कि हाल ही की मुलाक़ात में पीएम मोदी ने उनको कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्तता के लिए प्रस्ताव दिया है। उनके इस बयान ने तो सबके होश उड़ा दिये। वो भारत, जो कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे देश की मध्यस्तता को स्वीकार ना करता हो, उस देश का प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति को स्वयं इसके लिये आमंत्रित कैसे कर सकता है?

भारत की मीडिया में भी ये सवाल उठने लगे कि क्या वाकई पीएम मोदी ने ट्रम्प से इसके बारे में बात की थी? हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने जल्द ही ट्रम्प के इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया और बताया कि ट्रम्प का यह बयान पूरी तरह से झूठ है। विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया ‘हमने देखा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्तता करने की बात कही है। साफ कर दें कि भारत के प्रधानमंत्री की ओर से इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है। भारत का शुरू से ही यह मानना रहा है कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान का आपसी मुद्दा है। पाकिस्तान के बातचीत तभी संभव है जब पाकिस्तान बार्डर पार आतंकवाद को पूरी तरह रोक दे। भारत और पाकिस्तान के बीच तमाम मुद्दों को सुलझाने के लिए ‘शिमला समझौता’ और ‘लाहोर डिक्लेयरेशन’ पहले से ही मौजूद हैं।

https://twitter.com/MEAIndia/status/1153371329812471808

अपने इस ट्वीट से विदेश मंत्रालय ने सभी दुविधाओं को खत्म कर दिया। स्पष्ट हो गया कि भारत के पीएम ने अमेरिका से ऐसी कोई विनती नहीं की है। इस बात का अमेरिका को भी जल्द ही आभास हो गया कि उनके राष्ट्रपति से बड़ी गलती हुई है। US रेपरेजेंटेटिव ब्रैड शरमन ने इसको लेकर अमेरिका में भारत के राजदूत हर्ष श्रृंगला से माफी मांगी और कहा कि ट्रम्प का यह बयान बेहद बचकाना है। 

इसके अलावा व्हाइट हाउस द्वारा जारी प्रेस रिलीज में भी ट्रम्प के इस बयान को रिकॉर्ड नहीं किया गया। स्टेट डिपार्टमेंट ने बाद में डैमज कंट्रोल करने के लिए एक ट्वीट किया और सफाई दी कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है लेकिन इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अमेरिका मध्यस्तता के लिए तैयार है’।

ट्रम्प का यह बयान अमेरिका के लिए शर्मिंदगी भरा साबित हुआ। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। यह हर कोई जानता है कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद फैलाता है और भारत तब तक पाकिस्तान से कोई बात नहीं करेगा जब तक वह आतंकवाद के एक्सपोर्ट को नहीं रोक लेता। अमेरिका के राष्ट्रपति का यह विवादित बयान भारत और अमेरिका के रिश्तों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ऐसे में अमेरिका के बड़बोले राष्ट्रपति को भारत के संबंध में ऐसा कोई भी बयान देने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए।

 

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