पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के खिलाफ जांच की मांग कर रहे भारत के खुफिया विभाग रॉ के पूर्व अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अब इस मामले में जल्द कारवाई करने की उम्मीद कर रहे हैं। द संडे गार्डियन में अभिनंदन मिश्रा की एक रिपोर्ट के अनुसार रॉ के पूर्व अधिकारियों ने हामिद अंसारी के खिलाफ जांच की मांग की थी जिसमें उनके खिलाफ रॉ के ‘ऑपरेशन को क्षति पहुंचाने’ का आरोप लगाया गया था। बता दें कि वर्ष 1990 में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ईरान की राजधानी तेहरान में राजदूत की हैसियत से तैनात थे, और रॉ के पूर्व अधिकारियों के मुताबिक वहां तैनाती के दौरान उन्होंने जमकर देशहित के खिलाफ काम किया। इन अधिकारियों ने प्रधानमंत्री से पहली बार अगस्त 2017 में अंसारी के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की थी।
प्रधानमंत्री को शिकायत पत्र में इन अधिकारियों ने यह दावा किया है कि अपनी पोस्टिंग के दौरान अंसारी ना सिर्फ राष्ट्रहित बचाने में असफल रहे बल्कि ईरान सरकार और वहाँ की खुफिया एजेंसी “सवाक” से जानकारी साझा कर रॉ के मिशन और अधिकारियों की जान खतरे में डाली। उनके अनुसार “सवाक” द्वारा भारतीय अधिकारियों के अगवा किए जाने की चार घटनायें हुईं थीं, लेकिन हामिद अंसारी ने इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की और देशहित के साथ समझौता किया।
शिकायत करने वाले अधिकारियों में से एक, रॉ से वर्ष 2010 में रिटायर हुये एन के सूद ने संडे गार्डियन को बताया कि हामिद अंसारी ने तो ईरान में रॉ के केंद्र को बंद करने की सलाह तक दे डाली थी।
सूद ने कई ऐसे मौके बताए जब अंसारी ने अपनी कर्तव्यों को सही से नहीं निभाया।
मई 1991 में एक भारतीय अधिकारी संदीप कपूर को तेहरान एयरपोर्ट पर ईरान की खूफिया एजेंसी सवाक ने अगवा कर लिया था। जब यह मामला हामिद अंसारी के समक्ष लाया गया तो उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। सूद के अनुसार अंसारी ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कि लेकिन उन्होने विदेश मंत्रालय को एक गुप्त रिपोर्ट भेज दी जिसमे यह लिखा था कि कपूर कई दिनों से गायब है और ईरान में उसकी हरकतों की वजह से वह संदेह के घेरे में भी है। हामिद अंसारी ने रिपोर्ट में जानबूझ कर यह नहीं लिखा कि रॉ पहले इस घटना को रिपोर्ट कर चुका है।
तीन दिन बाद एक अज्ञात फोन से पता चला कि कपूर किसी इलाके में रोड के किनारे पड़े है। उन्हे कई प्रकार की नशीली दवाईयां देकर बेहोश किया गया था जिसका असर कपूर पर कई सालों तक रहा। रॉ ने इन मामलो को ईरान सरकार और वहाँ की विदेश मंत्रालय को रिपोर्ट करने का सुझाव दिया था लेकिन हामिद अंसारी ने यहां कोई भी कदम नहीं उठाया।
सूद ने बताया कि अगस्त 1991 में रॉ उन कश्मीरी युवकों पर नज़र रख रहा था जो ईरान के एक धार्मिक केंद्र में जाकर हथियारों की ट्रेनिंग लेते थे। उस वक्त तेहरान में नियुक्त रॉ के नए केंद्र प्रमुख ने इस ऑपरेशन की जानकारी हामिद अंसारी से साझा की थी। इसके बाद अंसारी ने ईरान के विदेश मंत्रालय को यह खुफिया जानकारी दे दी कि इस ऑपरेशन पर डीबी माथुर नाम का अधिकारी काम कर रहा है। ईरान के विदेश मंत्रालय से यह जानकारी ईरान की खुफिया एजेंसी सवाक तक पहुँच गई और इसके बाद डीबी माथुर को भारतीय दूतावास आते समय अगवा कर लिया गया। ये सभी घटनाएं प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में बताई गई हैं। डीबी माथुर के अगवा होने की खबर पर भी हामिद अंसारी द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। जैसे-तैसे इस मामलें को दूसरे दिन रॉ के अधिकारियों ने अटल बिहारी वाजपेयी को बताया और फिर उन्होने इस मामले की जानकारी तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से साझा की। और फिर डीबी माथुर को एविन जेल से रिहा कराने के लिए कदम उठाए गए। जब माथुर रिहा हो कर आए तब उन्होनें बताया की एनके सूद सहित रॉ के सभी अधिकारियों की जानकारी ‘सवाक’ के पास मौजूद है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह भी लिखा गया था कि हो सकता है कि उस वक्त अंसारी ने ही सभी खुफिया जानकारियों को ईरानी विदेश मंत्रालय के साथ साझा किया हो।
गौरतलब है की एक और रॉ के अधिकारी श्री आर के यादव ने भी ‘मिशन रॉ’ नाम की पुस्तक में और ऐसी घटनाओं का जिक्र किया है।
एक और घटना का जिक्र करते हुए सूद बताते है कि रॉ के तत्कालीन तेहरान केंद्र के प्रमूख पीके वेणुगोपाल को सवाक द्वारा पीटा जाना रॉ के लिए बेहद शर्मनाक था। सवाक ने उन्हे एक ईरानी महिला के साथ घूमते वक्त अगवा कर लिया था। अंसारी ने इस घटना के खिलाफ भी ईरानी सरकार को अपना विरोध नहीं जताया, और उल्टा भारत सरकार से ही वेणुगोपाल को वापस भारत बुलाने की सिफ़ारिश कर डाली। इसके बाद वेणुगोपाल को उसकी सभी सेवाओं से मुक्त कर दिया गया था। यही कहानी अभी और दिलचस्प है। वेणुगोपाल को जिस महिला के साथ घूमते हुए अगवा किया गया था, उस महिला ने वेणुगोपाल से मिलने के लिय भारतीय वीजा की थी। रॉ ने इसके खिलाफ अपनी आपत्ति जताई थी लेकिन उसके बावजूद हामिद अंसारी ने उस महिला को वीजा दिलवाया था।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह भी बताया गया है कि कैसे काल्पनिक भारतीय यूनिवर्सिटियों के आधार पर भारतीय दूतावास के द्वारा ईरानी छात्रों को भारतीय वीजा 500$ में दिया जा रहा था। इस मामले को भी हामिद अंसारी ने दबा कर रखा।
एनके सूद और उनके साथी अधिकारियों ने इन सभी घटनाओं की विस्तृत जांच की मांग की है ताकि ईरान और खाड़ी के दूसरे देशों में रॉ के मिशन को क्षति पहुंचाने में हामिद अंसारी की भूमिका का पता लगाया जा सके। अब यह देखने वाली बात है की प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस पर क्या कदम उठाया जाता है।