क्या फिल्में करना इस्लाम में अवैध हैं? क्या मुसलमानों को फिल्में नहीं करनी चाहिए? और अगर नहीं करनी चाहिए तो ये कहां तक जायज़ है? ये सवाल आज सभी के मन में उठ रहे हैं और वो इसलिए क्योंकि बीते रविवार को मुस्लिम एक्टर ज़ायरा वसीम ने इस्लाम का हवाला देकर बॉलीवुड से हमेशा के लिए दूरी बनाने का ऐलान कर लिया। रविवार को उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में इस बात का ऐलान किया। उन्होंने पोस्ट में लिखा ‘मैं बॉलीवुड में शायद फिट तो हो सकती हूं, लेकिन यह मेरी जगह नहीं है। मैंने बॉलीवुड में ऐसे माहौल में काम किया है जिसकी वजह से अल्लाह और इस्लाम के साथ मेरे रिश्ते खतरे में आ गए हैं’। हालांकि, यह ऐलान करने से पहले ज़ायरा ने एक बार भी उन महान मुस्लिम एक्टर्स के बारे में नहीं सोचा जिन्होंने इसी इस्लाम धर्म का अनुसरण करते हुए फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाई, और बड़े पर्दे पर उनके योगदान के लिए आज भी उन्हें जाना जाता है।
ऐसे ही महान एक्टर्स में सबसे पहले वहीदा रहमान का नाम आता है। वहीदा ने सिर्फ हिन्दी ही नहीं, बल्कि तमिल, तेलुगू और बंगाली फिल्मों में भी काम किया है। वर्ष 1956 में उनकी पहली फिल्म ‘सीआईडी’ रिलीज़ हुई थी और वे आज भी बॉलीवुड में सक्रिय हैं। फिल्मी जगत में योगदान के लिए उन्हें Filmfare lifetime achievement award, the national film award for best actress, और 2 बार filmfare award for best actress से नवाजा जा चुका है। मीडिया में आज भी उन्हें ‘most beautiful film actress’ यानि सबसे सुंदर अभिनेत्री कहकर संबोधित किया जाता है।
वहीदा रहमान के अलावा सायरा बानो भी अपने दौर की एक महान अभिनेत्री रह चुकी हैं। ज़ायरा वसीम की तरह ही सायरा बानो ने भी सिर्फ 16 वर्ष की आयु में फिल्मी दुनिया में प्रवेश किया था और वर्ष 1988 तक उन्होंने जंगली, ब्लफ़ मास्टर और हेरा फेरी जैसी बड़ी फिल्मों के काम किया। सायरा ने एक्टिंग के साथ-साथ कत्थक और भारत नाट्यम जैसी नृत्य शैलियों को भी सीखा था।
बात अगर महान मुस्लिम अभिनेत्रियों की हो रही हो तो भला ज़ीनत अमान को कौन भूल सकता है? वे अपने 50 साल से ज़्यादा के फिल्मी करियर में 90 फिल्मों में काम कर चुकी हैं और उनके योगदान के लिए उन्हें दो बार filmfare best actress का अवार्ड मिल चुका है और एक बार filmfare best supporting actor पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है। वे आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं ज़ीनत अमान को बॉलीवुड के आधुनिकीकरण के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत की सबसे प्रभावशाली अभिनेत्रियों में गिना जाता है जिन्होंने कई बॉलीवुड की दुनिया में कई अभिनेत्रियों के लिए दरवाज़े खोले और आज भी वे उन सब के लिए एक प्रेरणास्रोत के रूप में काम करती हैं। ज़ायरा वसीम को भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए थी।
इनके अलावा ज़ायरा वसीम अगर चाहती तो करामाती एक्टर मधुबाला से भी प्रेरणा ले सकती थीं जिन्होने सिर्फ 9 वर्ष की उम्र में फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया था। उन्हें उनकी खूबसूरती, व्यक्तित्व और प्रभावी छवि के लिए जाना जाता था। उनकी खूबसूरती की वजह से उन्हें the beauty with tragedy और The venus queen of Indian cinema कहकर भी संबोधित किया जाता था। 22 साल के करियर में उन्होंने लगभग 73 फिल्मों में काम किया और उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया। वे बॉलीवुड में वर्ष 1964 तक सक्रिय रहीं। मधुबाला को हॉलीवुड में पहली भारतीय महिला के तौर पर भी जाना जाता है। ‘इंसान जग उठा’ और ‘बरसात की रात’ जैसी बड़ी फिल्मों से उन्हें काफी लोकप्रियता मिली।
इन सब के अलावा तबस्सुम फातिमा हाशमी भी आज की सफल मुस्लिम अभिनेत्रियों में से एक हैं। वे 6 filmfare awards जीत चुकी हैं और भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 2011 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 1980 में उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और हाल ही में उन्होंने ‘दे दे प्यार दे’ फिल्म में अभिनय किया था।
वहीदा रहमान से लेकर तबस्सुम फातिमा तक, जितनी भी अभिनेत्रियों का नाम हमने आपको आज बताया है, वे सब भी मुसलमान हैं और इस्लाम का अनुसरण करते हैं। इसके बावजूद फिल्मों में काम करने को लेकर ना तो कभी इनपर किसी ने कोई सवाल खड़ा किया और ना ही इन्होंने खुद इस्लाम को अपनी सफलता की राह में रोड़ा बनना दिया। ये सभी अभिनेत्री या तो अपने दौर की सबसे सफल अभिनेत्री रह चुकी हैं, या फिर ये आज भी फिल्म इंडस्ट्री में अपना योगदान दे रहीं हैं। ज़ायरा वसीम को बॉलीवुड छोड़ने का फैसला लेने से पहले इन सभी के महान जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता थी। इन मुस्लिम अभिनेत्रियों की सफलता अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि ज़ायरा वसीम का बॉलीवुड से एक्ज़िट करने का यह कारण बेतुका है और वे चाहती तो वे बेहतर विकल्प को चुनकर इन महान लोगों की सूची में अपना नाम जोड़ने की कोशिश कर सकती थीं।