ज़ी मीडिया और महुआ मोइत्रा के बीच चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। ज़ी मीडिया ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ अब आपराधिक मुकदमा दर्ज़ करवाया है। ज़ी मीडिया ने चैनल के मालिक को ‘चोर’ कहने और चैनल पर ‘पेड़ न्यूज़’ चलाने के आरोपों पर टीएमसी सांसद के खिलाफ केस दर्ज़ किया है। चैनल की तरफ से चैनल के चीफ़ एडिटर सुधीर चौधरी ने यह केस दर्ज़ किया है। कोर्ट में वकील विजय अग्रवाल ने चैनल का पक्ष रखा और उन्होंने कोर्ट को बताया कि महुआ मोइत्रा ने चैनल के मालिक को चोर कहने के साथ-साथ चैनल से जुड़े लोगों को अनपढ़ और बुड़बक यानि बेवकूफ कहा था।
बता दें कि 25 जून को संसद में महुआ मोइत्रा ने सरकार पर फासीवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था और सरकार पर मीडिया की आज़ादी का हनन करने के आरोप लगाया था। संसद में महुआ मोइत्रा द्वारा दिए गये भाषण की ज़ी न्यूज़ के चीफ़ एडिटर सुधीर चौधरी ने आलोचना की थी। सुधीर चौधरी ने अपने प्राइम टाइम शो में कहा था कि “संसद में दिया गया भाषण, उनके मौलिक विचार नहीं थे। उन्होंने इस विचार को कहीं और से उठाया और ऐसा करके उन्होंने भारत की गरिमा को ठेस पहुंचाई।”
देखें, महुआ मोइत्रा के भाषण का DNA टेस्ट, भाषण को लेकर रिसर्च में सामने आई चौंकाने वाली बात @sudhirchaudhary #DNA pic.twitter.com/CULVX3BXWi
— Zee News (@ZeeNews) July 2, 2019
इसके बाद इस आलोचना से क्रोधित फासीवाद के खिलाफ बड़ी-बड़ी बाते करने वाली महुआ ने पहले सुधीर चौधरी के खिलाफ संसद में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा, और जब उससे भी उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने सुधीर के खिलाफ दिल्ली की निचली अदालत में मानहानि का मुकदमा दर्ज किया। इससे स्पष्ट हो गया कि मीडिया की आज़ादी के कथित हनन को लेकर सरकार पर आरोप लगाने वाली महुआ को अपनी आलोचना करने वाली मीडिया की अभिव्यक्ति की आज़ादी बिलकुल पसंद नहीं है।
हालांकि, सुधीर चौधरी के खिलाफ उनके द्वारा उठाए गए कदमों से यह स्पष्ट हो गया है कि वे स्वयं ही देश में फासीवाद की स्थिति उत्पन्न कर रही हैं। वे संसद में खड़े होकर सिर्फ भाषण देना चाहती है और अपनी आलोचना को बिलकुल भी सहन नहीं कर पाती। सुधीर चौधरी ने अपने कार्यक्रम डीएनए में भी इस बात को उठाया था । उन्होंने महुआ के इस दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए कहा था ‘जब उनके फ़्रीडम ऑफ एक्स्प्रेश्न की बात आती है, तो सब कुछ ठीक है, उन्हें पूरी आज़ादी है, वे कुछ भी कह सकती हैं, लेकिन जब उसी अधिकार का उपयोग करते हुए मैं, आप या कोई और उनसे सवाल करता है, तो वे हमसे नाराज़ हो जाती हैं’।
बता दें कि महुआ मोइत्रा ने आईपीसी की धारा 499 का प्रयोग करते हुए सुधीर चौधरी और ज़ी न्यूज़ के खिलाफ केस किया था और ऐसा करके उन्होंने मीडिया की आज़ादी पर प्रहार करने की कोशिश की थी। हालांकि, धारा 499 के तहत उनके द्वारा दायर मुकदमा कोर्ट में नहीं टिक पाएगा क्योंकि इसी धारा के स्पष्टीकरण नंबर 4 में लिखा है ‘-कोई लांछन किसी व्यक्ति की ख्याति की क्षति करने वाला नहीं कहा जाता जब तक कि वह लांछन दूसरों की दृष्टि में प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उस व्यक्ति के सदाचारिक या बौद्धिक स्वरूप की उपेक्षा न करे’।
सुधीर चौधरी ने महुआ मित्रा के सदाचार या बौद्धिक क्षमता पर सवाल नहीं उठाया था बल्कि देश की संसद में किसी अन्य के विचारों के आधार पर देश के लोकतन्त्र पर सवाल उठाने को लेकर उनकी आलोचना की थी। लोकतंत्र के मंदिर में खड़े होकर उसी लोकतन्त्र को गाली देना भला कहां तक उचित है? साफ है कि सुधीर चौधरी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाने के पीछे का उनका मकसद केवल एक प्रतिष्ठित पत्रकर के सम्मान को ठेस पहुंचाना है।
इसी के विरोध में अब ज़ी मीडिया ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज़ करवाया है। कंपनी की शिकायत पर एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने इस मामले में विचार के लिए एक अगस्त की तारीख रखी है। महुआ मोइत्रा ने सोचा था कि वह ज़ी मीडिया और सुधीर चौधरी के खिलाफ केस करके सुर्खियां बंटोरेगी और बाद में आराम से इस पूरे मामले से दूरी बना लेंगी, लेकिन ज़ी मीडिया के इस पलटवार से उनको तगड़ा झटका लगना तय है।