मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को भी मंजूरी मिल गई है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा। इस दौरान घाटी में किसी तरह की वारदात या अनहोनी न हो इस वजह से जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। वहां के जेलों में बंद कैदियों को दूसरे राज्यों में शिफ्ट किया जा रहा है। गुरूवार को 70 आतंकियों और कट्टर अलगाववादियों को कड़ी सुरक्षा में आगरा लाया गया है। वायु मार्ग से इन सभी 70 अलगाववादियों को जम्मू-कश्मीर से आगरा के केंद्रीय कारागार में शिफ्ट किया गया है।
गुरुवार दोपहर जम्मू-कश्मीर से विशेष विमान के जरिए कैदी आगरा के खेरिया एयरपोर्ट वायुसेना की विशेष विमान द्वारा लाए गए। इसके बाद आगरा एयरफोर्स हवाई अड्डे से सभी बंदियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अलग-अलग तीन गाड़ियों से आगरा केंद्रीय कारागार लाया गया। जिन वाहनों में कैदी सवार थे, उन वाहनों की खिड़कियों को कपड़े से बंद कर दिया गया था। केंद्रीय कारागार की हाई सिक्योरिटी बैरक में इन कैदियों को रखा जाएगा। जेल के बाहर अतिरिक्त बलों, प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) और स्वॉट टीमों को भी जेल के बाहर तैनात किया गया है।
शिफ्टिंग को लेकर आगरा जेल में अधिकारियों के बीच हलचल बढ़ गई। खास बात यह है कि कश्मीर घाटी से आगरा जेल तक कैदियों की इस शिफ्टिंग को बिल्कुल गुप्त रखा गया था और किसी को भी इसकी भनक नहीं लगी।
सरकार ने यह कदम जम्मू-कश्मीर में शांति कायम करने और सुरक्षा व्यवस्था चुस्त रखने के लिए उठाया है। इस काम के लिए भारतीय वायुसेना के खास विमान का इस्तेमाल किया गया। इन 70 अपराधियों में 25 ऐसे हैं जो अलगाववादियों के एक समूह में शामिल थे। सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार ये लोग घाटी में पथराव संबंधी घटनाओं को बढ़ावा देते थे व उसमें शामिल रहते थे। ये सभी आरोपी कश्मीर घाटी में अलगाववादी समूहों के कथित तौर पर सक्रिय सदस्य रहे हैं।
सेंट्रल जेल में 1 अगस्त को पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों द्वारा छापा मारा गया था। वहां बैरकों की तलाशी लेने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया था। माना जा रहा है कि यह सारी कवायद कैदियों को यहां भेजने से पहले का हिस्सा थी। जम्मू-कश्मीर के कैदियों की सुरक्षा के लिए पीएसी की प्लाटून बढ़ाने की तैयारी है। साथ ही पहले से बंद कुख्यात अलगाववादियों व अपराधियों की निगरानी भी बढ़ा दी गई है।
द पायनियर की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अपने जम्मू-कश्मीर दौरे पर एक उच्च स्तरीय बैठक की थी जिसमें इन कट्टर अलगाववादियों को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के कारागार विभाग ने एक ताजा रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें घाटी के अलग-अलग जेलों में बंद इन आतंकवादियों और कट्टर अलगाववादियों के पिछले रिकॉर्ड का विवरण शामिल था।
बता दें कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद, पाकिस्तान भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं इमरान खान ने एक शर्मनाक बयान देते हुए यह भी कह दिया कि भारत को ‘पुलवामा’ जैसे आतंकी हमलों का सामना करना पड़ सकता है।
इस बात से स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में पनपते आतंक को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इस क्षेत्र ने दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुसीबत को झेला है। अब मोदी सरकार के 370 हटाने और सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने से निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए एक झटका है, जो वर्षों से ऑपरेशन टोपाक चलाकर घाटी की शांति भंग करता रहा है।