लोकसभा चुनाव में दोबारा प्रचंड बहुमत से जीतने के बाद मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में अधिक सक्रिय दिखी है। वैसे तो मोदी सरकार के सभी मंत्री समान रूप से कार्यरत रहे हैं लेकिन गृह मंत्री अमित शाह की सक्रियता सबसे ज्यादा है। एक तरफ उन्होंने बजट सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण बिल जैसे जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल, एनआईए संशोधन बिल, यूएपीए संशोधन बिल पारित करवा देश की सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाया वहीं, दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद जड़ से खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर सभी खंडों को निरस्त कर दिया और साथ ही जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के लिए राज्य को दो हिस्सों में भी बांटने का फैसला लिया। आतंकवाद पर कड़े प्रहार और बाहरी खतरों से देश को सुरक्षित करने के बाद अब अमित शाह ने देश के अंदर बैठे नक्सलीयों से निपटने के लिए कदम उठाया है। इसके लिए सोमवार को उन्होंने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, शीर्ष पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था। इस बैठक में अर्धसैनिक बलों और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। बैठक में उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों और वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा भी की।
Union Home Minister Amit Shah: Had a very fruitful meeting with Chief Ministers of the Left Wing Extremism (LWE) affected states. Discussed several issues related to security & development of these states. pic.twitter.com/Fi2wbm73Uf
— ANI (@ANI) August 26, 2019
इस दौरान उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा,“ वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बहुत सार्थक बैठक हुई। इन राज्यों में सुरक्षा और विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। वामपंथी उग्रवाद लोकतंत्र के विचार के खिलाफ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम इसे उखाड़ फेंकने के लिये प्रतिबद्ध हैं।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को जीतने के लिए उनकी फंडिंग पर लगाम को मूलमंत्र बताया। जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकियों की फंडिंग पर रोक लगाकर स्थिति को काबू करने में सफल रहे शाह नक्सलवाद के खिलाफ भी यही तरीका अपनाने जा रहे हैं। बता दें कि गृह मंत्री का पदभार संभालने के बाद अमित शाह की यह वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ इस तरह की पहली बैठक थी।
बता दें कि मोदी सरकार वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही नक्सलियों को जड़ से खत्म करने के मंत्र पर काम कर रही है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने इस समस्या से निपटने के लिए ‘नेशनल पॉलिसी एंड एक्शन प्लान’ शुरू किया था, जिसके बाद से नक्सल हमलों में कमी देखने को मिली थी। एक तरफ जहां 2017 में भारत के 144 जिले नक्सल समस्या से प्रभावित थे तो 2018 में यह घट कर 82 तक आ पहुंची थी। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2009-13 के दौरान नक्सल हिंसा के कुल 8,782 मामले सामने आए जबकि 2014-18 के दौरान 43.4 फीसदी की कमी के साथ 4,969 मामले सामने आए। गृह मंत्रालय के अनुसार 2009-13 के दौरान सुरक्षा बल के कर्मियों सहित 3,326 लोगों की जान गई, जबकि 2014-18 में 60.4 प्रतिशत कम 1,321 मौतें हुईं। 2009 और 2018 के बीच कुल 1,400 नक्सली मारे गए। देशभर में इस साल के पहले पांच महीनों में नक्सल हिंसा की 310 घटनाएं हुईं, जिसमें 88 लोग मारे गए हैं।
इससे पहले अब तक यह होता था कि एक इलाके में दबाव बढ़ने पर नक्सली दूसरे इलाके या राज्य में पनाह ले लेते थे लेकिन अब गृह मंत्रालय के ‘ऑपरेशन विध्वंस’ के तहत अलग-अलग राज्यों में कोबरा कमांडो की छोटी-छोटी टीमों ने नक्सलियों की नींद हराम कर दी है। उन्हें कहीं छुपने की जगह भी नहीं मिल रही है। इन टीमों के पास बेल्जियन मेलिनॉयस (Belgian malinois) प्रजाति के खोजी कुत्ते हैं जो नक्सलियों के ठिकाने और उनके IED का पता लगा सकते हैं। कोबरा कमांडो टीम दिन रात जंगल में ऑपरेशन चलाती है, और मौके के मुताबिक रणनीति बनाकर नक्सलियों का सफाया कर देती है। कोबरा टीम को तैयार करने के लिए खासतौर पर कोबरा स्कूल ऑफ जंगल वारफेयर एंड टेक्टिस भी बनाया गया है।
मोदी सरकार ने नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए कई स्तर पर काम किया है। पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने नक्सल प्रभावीत क्षेत्रों के विकास पर भी ज़ोर दिया। एक तरफ जहां सुरक्षाबलों को चाक चौबंद किया गया है, वहीं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण समेत दूसरी परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 44 नक्सल प्रभावित जिलों में 5,442 किलोमीटर सड़क निर्माण की परियोजना को मंजूरी दी गई है। मोदी सरकार ने ओडिशा में 130 किलोमीटर लंबी जैपोर-मलकानगिरी नई लाइन परियोजना को मंजूरी दी है। 2,676.11 करोड़ की लागत से बनने वाली इस रेल परियोजना की 2021-22 तक पूरा होने की संभावना है। नक्सली हमेशा अपने प्रभाव वाले इलाकों में सड़कों के निर्माण का विरोध करते हैं। सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि सड़कें बनेंगी, तो विकास के द्वार खुलेंगे। जनता का दूर-दराज के लोगों से मेल-जोल बढ़ेगा। वो नक्सलियों और माओवादियों के डर से बाहर निकल सकेंगे, उनमें इनके खिलाफ लड़ने का आत्मविश्वास जागेगा।
इसके अलावा मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर के युवाओं की भर्ती कर सीआरपीएफ में बस्तरिया बटालियन बनाई है, जो नक्सलवादियों की तरह बस्तर के चप्पे चप्पे से वाकिफ हैं और स्थानीय बोली, रीति-रिवाज की जानकार है। इस बटालियन के लिए बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा जिले से आदिवासी युवाओं की भर्ती हुई है। इसके अलावा कई नक्सलवादी खुद समपर्ण करने के लिए आगे भी आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले नारायणपुर में 6 नवंबर 2018 को एक साथ 62 नक्सलियों ने पुलिस और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था।
अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अपने कड़े निर्णयों के लिए मशहूर अमित शाह ने कमान अपने हाथों में ले ली है। उनकी इस बैठक से अब यह तो साफ हो गया है अब नक्सलियों की भी वाट लगने वाली है। इसके साथ ही मोदी सरकार का यही रुख शहरों में रह रहे अर्बन नक्सलियों के लिए चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। अमित शाह ने लोकसभा में यह कहा भी था कि उनकी सरकार किसी भी सूरत में देश के अर्बन नक्सलियों के प्रति नर्म रुख नहीं दिखाएगी और सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह जिस तरह से एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं उससे अब यही लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक होगा।