राज्यसभा में अल्पमत फिर भी 4 विधेयक पारित, हर मोर्चे पर विपक्ष को मात दे रहे हैं अमित शाह

अमित शाह विधेयक

PC : BeforePrint

अमित शाह ने जब से गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाला है तब से एक के बाद एक 4 विधेयक लोकसभा में और 4 विधेयक राज्यसभा में पेश किये है। इसके साथ ही वह इन विधेयकों को दोनों ही सदनों से पारित कराने में सफल रहे हैं वो भी विपक्ष के बिना किसी हंगामे के। एक तरफ लोकसभा में जहां अप्रत्याशित बहुमत है तो वहीं राज्यसभा में एनडीए की मौजूदा सरकार अल्पमत में है लेकिन फिर भी अमित शाह ने एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण और सुरक्षा मामलों से जुड़े विधेयक को पारित करवाने में सफलता हासिल की है।

आज शुक्रवार को अमित शाह ने राज्य सभा में ‘द अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल 2019 (UAPA)’ यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक पारित कराया। इसके पक्ष में 147 और विरोध में 42 वोट पड़े। वहीं, सदन में विपक्ष के पास इसे सेलेक्‍ट कमेटी में भेजने का भी प्रस्‍ताव था लेकिन 84 सांसद ही इसके पक्ष में थे जबकि 104 सासंद इसके पक्ष में नहीं थे और अंततः विपक्ष को यहां भी मात मिली। इस UAPA विधेयक के जरिए संगठनों के साथ-साथ आतंकी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किए जाने का प्रावधान है।

दरअसल, अमित शाह ने पिछले महीने जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल पेश किए थे। जिसमें एक बिल जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने तक और बढ़ाने के लिए था, दूसरा जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल था जिसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को भी आरक्षण देने का प्रस्ताव था। इन दोनों ही बिल को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में पारित करा लिया गया था। उस समय भी विपक्ष के ओर से बहुत ही कम विरोध देखने को मिला था।

राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। यह कयास लगाए जाते रहे हैं कि विपक्ष इसमें अड़चन डाल सकता है। लेकिन यहां भी विपक्ष ने अपनी सहमति दिखाई थी। यह अमित शाह के व्यक्तित्व का ही प्रभाव है जिस वजह से विपक्ष सदन में किसी भी बिल का विरोध नहीं कर रहा है। सदन में चीखने चिल्लाने, नारेबाजी और यहां तक कि वॉक आउट करने वाला विपक्ष अमित शाह द्वारा पेश किये जा रहे बिल पर अपनी सहमति दे रहा है।

गृह मंत्री ने शुरू से ही राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दो पर विशेष ध्यान दिया है चाहे वो आंतरिक हो या बाहरी। इसी क्रम में गृह मंत्री ने एनआईए संशोधन बिल पेश किया था। इस विधेयक में एनआईए को और ज्यादा शक्तिशाली बनाने और विदेशों में भी जा कर जांच करने का प्रावधान था। इस बिल का आतंकवाद पर व्यापक असर देखते हुए विपक्ष की तरफ से हंगामे की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इस बिल को भी अमित शाह ने लोकसभा में सिर्फ 6 विरोधी मतों के साथ पारित करवा लिया।

अमित शाह का डर कहे या उनके व्यक्तित्व का प्रभाव जो विपक्ष को हर बार धराशायी कर रहा है और सभी बिल बिना किसी रुकावट के पारित होते जा रहे हैं। यह अमित शाह का फ्लोर मैनेजमेंट ही है जो एनडीए को इस कार्यकाल में बढ़त दे रहा है। इस कार्यकाल में एनडीए ने जिस तरह से दोनों ही सदनों में बिल पारित करवाया है उससे यही लगता है कि अमित शाह ने चुनाव में एनडीए को शानदार जीत दिला कर अब संसद के दोनों सदनों में भी ऐसी रणनीति बनाई है कि विपक्ष को एक जुट होने का मौका भी नहीं मिल रहा है। लोकसभा में तो पूर्ण बहुमत है लेकीन राज्यसभा में भी बहुमत न होने के बावजूद भी सभी बिल पारित होते जा रहे हैं।

एनडीए के कई बिल राज्यसभा में पारित न होने और पिछली लोकसभा भंग हो जाने के कारण रद्द हो गए थे लेकिन इस बार 17वीं लोकसभा के गठन होने के बाद अब कोई भी बिल राज्यसभा में भी नहीं अटक रहा है। गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति ऐसी रही है कि विपक्ष बहुमत में होने के बावजूद अभी तक एकजुट नहीं हो सका है और न ही मीडिया के किसी वर्ग को किसी भी विधेयक से संबंधित मसाला मिल रहा है जिससे वो सरकार के खिलाफ कुछ दिखा सकें। साथ ही गृह मंत्री जिस अंदाज में विपक्ष के सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं उससे विपक्ष की बोलती बंद हो जाती है। लगता है अमित शाह की शक्तिशाली छवि का डर उनके विरोधियों के मन में घर कर गया है। ऐसा नहीं है कि विपक्ष सदन में उत्पात नहीं मचाना चाहता लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ये प्रश्न ऐसा है जिसका फिलहाल कोई उत्तर विपक्ष के पास नहीं हैं।

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