दुनिया में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ने के बाद अब हमारा पड़ोसी देश पूरी तरह बौखला चुका है। बौखलाहट में अब वो उटपटांग हरकतें करने पर उतार आया है। हाल ही में एक बार फिर हमारे पड़ोसी देश ने अपना एयरस्पेस बंद करने का निर्णय लिया है, जिसकी घोषणा अपने बयानों के लिए अक्सर विवादों में रहने वाले पाकिस्तान मंत्री फवाद हुसैन चौधरी ने की है। इसके बाद राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भारत सरकार को कराची बंदरगाह के लिए अरब सागर से जाने वाले जहाजों के लिए मार्ग बंद करने की सलाह दी है।
बता दें कि पाक मंत्री फवाद ने कहा था कि, ‘हमारे वज़ीर ए आज़म भारत के लिए अपने एयरस्पेस को पूरी तरह बंद करने पर विचार कर रहे हैं। अफगानिस्तान में व्यापार करने के लिए भारत पाकिस्तान के जिस सड़क मार्ग का इस्तेमाल करता है, उसे भी पूरी तरह बंद किए जाने पर विचार किया जा रहा है। कैबिनेट मीटिंग में इन सभी फैसलों के कानूनी पहलुओं पर भी मशवरा किया गया। मोदी ने इसकी शुरुआत की है, खत्म हम करेंगे।’
पाकिस्तान के इस कदम का प्रखर राष्ट्रवादी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कड़ा जवाब दिया है। पाकिस्तान की धमकियों के जवाब में सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा, “अगर पाकिस्तान हमारे वाणिज्यिक(कॉमर्शियल) और नागरिक विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर देता है तो भारत को कराची बंदरगाह के लिए अरब सागर से जाने वाले जहाजों के लिए यह मार्ग बंद कर देना चाहिए।” अब अगर भारत सच में ऐसा कर देता है तो पाक को इससे भारी नुकसान होगा और उसकी रही सही आर्थिक व्यवस्था तबाह हो जाएगी।
कराची पोर्ट ट्रस्ट के अनुसार इस पोर्ट पर सालाना 1600 जहाज पहुंचते हैं और यदि ये बंद हो जाता है तो कराची जाने वाले लगभग 60% जहाजों को अपना मार्ग बदलना होगा। चीन के भी ज्यादातर जहाज बंगाल की खाड़ी से होते हुए श्रीलंका की तरफ से अरब सागर के रास्ते कराची बंदरगाह जाते हैं। ऐसे में अगर भारत ये मार्ग बंद कर देता है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान चीन और पाक को ही होगा। यही नहीं इस मार्ग के बंद होने से सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के जहाज अफ्रीका, यमन, ओमान के मार्ग से ही पश्चिम की तरफ जा सकेंगे। इस यात्रा का समय भी काफी ज्यादा बढ़ जायेगा और इंधन खर्च भी बढ़ेगा। इसका असर कराची बंदरगाह पर काम कर रहे कर्मचारियों पर भी पड़ेगा। कराची बंदरगाह से पाक को होने वाली कमाई में भी भारी गिरावट आएगी क्योंकि पाक समुद्र के रास्ते से होने वाली कमाई का करीब 61 फीसदी हिस्सा कराची बंदरगाह से कमाता है। ऐसे में पाक को होने वाले नुकसान का अंदाजा आप खुद ही हैं। मतलब यह कि पहले से ही आर्थिक तंगहाली झेल रहे पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लग सकता है।
यही नहीं पाक तो इससे पहले ऐसा नुकसान हो चुका है। वर्ष 1999 में जब हमारे पड़ोसी देश ने कारगिल और द्रास में स्थित भारतीय चौकियों पर कब्जा किया था, तो सैन्य कार्रवाई के अलावा भारतीय नौसेना को ऑपरेशन तलवार के अंतर्गत कराची पोर्ट ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया था। जहां एक ओर हमारे थलसेना और वायुसेना के बहादुर वीरों ने घुसपैठियों के दाँत खट्टे कर दिये थे, तो वहीं हमारी नौसेना ने बिना एक गोली चलाये हमारे पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था को ही जकड़ लिया था, क्योंकि कराची पोर्ट पाक नौसेना का मुख्यालय होने के साथ-साथ हमारे पड़ोसी देश की आर्थिक लाइफलाइन भी मानी जाती है। स्वतंत्रता पूर्व अविभाजित भारत का अधिकांश व्यापार भी यहीं से होता था।
स्पष्ट है सुब्रमण्यम स्वामी ने जब पाक के एयरस्पेस बंद करने की धमकी देने पर कराची पोर्ट ब्लॉक करने का सुझाव दिया, तो उनका सीधा निशाना पाक की अर्थव्यवस्था पर था। जब पाक ने फरवरी में बालाकोट पर हुए हवाई हमले के जवाब में अपना एयरस्पेस पूरी तरह बंद कर दिया था, तो उस समय पाक को 850 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन लगता है हमारा पड़ोसी देश अपनी गलतियों से सबक नहीं लेना चाहता।
अब पाकिस्तान भारत के लिए अपना एयरस्पेस बंद करके भी अपना ही घाटा करेगा और अगर भारत सरकार पाक के लिए समुद्री रास्ता बंद कर देती है तो पाकिस्तान की बची खुची आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से तबाह हो जाएगी।