पिछले वर्ष फरवरी में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आठ दिवसीय दौरे पर भारत आये थे। उस वक्त मीडिया ने इस बात को प्रकाशित किया था कि भारत में कनाडा के प्रधानमंत्री का गर्मजोशी के साथ स्वागत नहीं हुआ, और उनको भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह नकार दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत अक्सर कनाडा सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने और उन्हें भारत विरोधी बयान देने के लिए मंच प्रदान करने के आरोप लगाती रहती है। कनाडा के पीएम की भारत की यह यात्रा पूरी तरह विफल साबित हुई थी और इस यात्रा के तुरंत बाद भारत ने कनाडा से आयत होने वाले चनों पर इम्पोर्ट ड्यूटी को बढ़ा दिया था। इसके बाद कनाडा की विपक्षी पार्टियों ने भारत जैसी भावी आर्थिक महाशक्ति के साथ रिश्ते ख़राब करने के लिए ट्रूडो को अपने निशाने पर लिया था। हालांकि, अब कनाडा की विपक्षी पार्टियां ने इसे चुनावी मुद्दे में बदलने का पूरा मन बना लिया है। अक्टूबर में कनाडा में चुनाव होंगे और विपक्षी कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता एंड्रू शीयर बड़ी प्रमुखता से इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो की भारत यात्रा कई मायनों में बड़ी विवादित रही थी। वे जब भारत आये थे तो उनके स्वागत में दिल्ली में मौजूद कनाडा के हाई कमीशन ने एक डिन्नर का आयोजन किया था। वहां तब बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब इस आयोजन के लिए कनाडाई प्रधानमंत्री के कार्यालय द्वारा मेहमानों की लिस्ट जारी की गई और इस लिस्ट में आतंकवादी जसपाल अटवाल का नाम भी शामिल था। ये वही खालिस्तानी आतंकवादी था जिसपर वर्ष 1986 में पंजाब के एक कैबिनेट मिनिस्टर की हत्या की कोशिश करने के आरोप सिद्ध हुए थे। इस खबर के सामने आने के बाद भारत और कनाडा की मीडिया में यह मुद्दा छाया रहा और बाद में कनाडाई सरकार द्वारा मेहमानों की सूची से उस आतंकवादी का नाम हटाना पड़ा था।
इस विफल यात्रा के बाद जब जस्टिन ट्रूडो कनाडा पहुंचे थे, तो हाउस ऑफ़ कॉमन्स में विपक्षी सांसदों ने उन्हें जमकर घेरा था और उनसे कई सवाल पूछे थे। हालांकि, अपने जवाब में वहां भी ट्रूडो ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया। ट्रूडो ने दावा किया कि उनके एक सुरक्षा अधिकारी को लगता है कि भारत सरकार में मौजूद कुछ दुष्ट तत्वों ने जानबूझकर उन्हें शर्मिंदा करने एक लिए ऐसा किया। ट्रूडो के इस जवाब को भारत सरकार ने तुरंत ख़ारिज कर दिया था और इसके बाद कनाडा की विपक्षी पार्टियों ने ट्रूडो की लिबरल पार्टी पर हमला और ज्यादा तीव्र कर दिया था।
अब कनाडा में चुनाव होने वाले हैं और कनाडा की विपक्षी पार्टी चुनावों में इसे बड़ा मुद्दा बना रही है। विपक्षी नेता एंड्रू शीयर आरोप लगा रहे हैं कि ट्रूडो कनाडा को विश्वपटल पर एक महत्वपूर्ण देश के तौर पर स्थापित करने के वादे के साथ सत्ता में आये थे, लेकिन ट्रूडो सरकार ने चीन और भारत जैसे देशों के साथ कनाडा के रिश्तों को ख़राब कर दिया है। कनाडाई पीएम की लिबरल पार्टी को इन चुनावों में हार मिलना तय माना जा रहा है और ऐसे में अब कनाडाई पीएम की नाकामियों को छुपाने के लिए जस्टिन ट्रूडो के साथी लेखक गेरी बट्स भारत सरकार पर ही आरोप मढ़ रहे हैं। गेरी बट्स ने अपनी किताब में फिर से यही दोहराया है कि कनाडाई पीएम की भारत की विफल यात्रा की दोषी भारतीय सरकार ही थी और उसमें कनाडा सरकार का कोई दोष नहीं था। कनाडा के लोग अब लिबरल पार्टी की देश विरोधी निति से तंग आ चुके हैं और इस बात की पूरी आशंका है कि उन्हें इन चुनावों में हार मिल सकती है। यही कारण है कि अब कनाडा की ट्रूडो एंड कम्पनी मिलकर भारत सरकार पर आरोप लगाने में जुटी है। हालांकि, चुनावों में ट्रूडो के साथियों का यह झूठ किस पार्टी को कितना फायदा पहुंचाएगा, यह तो समय ही बताएगा।