लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से बिखरने के कगार पर दिख रही है। आम चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी पर इस्तीफे के लिए दबे शब्दों में पूरे देश के कांग्रेसी कार्यकताओं से मांग उठी थी जिसके बाद दबाव में आकर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। भले ही कई कांग्रेसी नेता गांधी परिवार की वफादारी करते हुए अभी भी पार्टी में बने हुए हैं लेकिन धीरे-धीरे पार्टी में बिखराव की खबर सामने आ रही है। इसके साथ ही कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता हैं जो गांधी परिवार की वंशवादी साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है इस बात का सबूत है एएनआई की एक रिपोर्ट, जिसके अनुसार हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की एक रैली के लिए जारी पोस्टर में गांधी परिवार के किसी भी नेता को जगह नहीं दी गई है।
दरअसल, इसी साल नवंबर माह में हरियाणा का विधानसभा चुनाव होने वाला है। इसके मद्देनज़र भूपेंद्र सिंह हुड्डा 18 अगस्त को रोहतक में ‘परिवर्तन महारैली’ का आयोजन कर रहे हैं। रैली की अंतिम तैयारियों के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 4 अगस्त को प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया है। इस सम्मेलन के लिए जारी पोस्टर्स में हुड्डा परिवार ने गांधी परिवार के तीनों सदस्यों यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को आउट कर दिया है। इन पोस्टर्स में सिर्फ भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा की फोटो दिख रही है। दीपेंदर सिंह हुड्डा से जब इन पोस्टर्स में राहुल व सोनिया गांधी के गायब होने का कारण पूछा गया तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया और कहा कि उन्हें इस मामले में टिप्पणी करना अभी उचित नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा, “मेरे ख्याल से इस मामले में टीका-टिप्पणी का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। मैं तो मानता हूं कि इस सवाल का जवाब ही नहीं दिया जाना चाहिए। कोई अगर सोशल मीडिया पर कुछ डाल दे तो इस पर क्या कहा जा सकता है?”
बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 10 में से एक भी सीट हरियाणा में नही जीत पाई थी और अब दो महीने बाद यानी नवंबर में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। हुड्डा परिवार कांग्रेस की शर्मनाक हार के लिए गांधी परिवार को ही जिम्मेदार मानता है। इसलिए हुड्डा परिवार आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में बिना गांधी परिवार के सहारे ही मैदान में उतरना चाहता है।
बता दें कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य में पंजाब के अमरिंदर सिंह की तरह दबदबे वाला नेतृत्व चाहते थे लेकिन राहुल गांधी ने उन्हें यह छूट नहीं दी और अशोक तंवर पर अपना भरोसा बनाए रखा। दिलचस्प बात यह है कि कैप्टन का भी राहुल से छत्तीस का आंकड़ा है। हमेशा से कांग्रेस में जिस तरह की परंपराओं को निभाया जाता था उसके विपरीत अमरिंदर सिंह ने एक अलग ही उदाहरण पेश किया है जो उन्हें अन्य कांग्रेसी नेताओं से कहीं अलग बनाता है। खास तौर पर जब नवजोत सिंह सिद्धू की बात आती है तो उनका कद समझ में आता है। एक तरफ राहुल गांधी के लिए सिद्धू प्रिय हैं वहीं कैप्टन अमरिंदर, सिद्धू को नकार चुके हैं। दोनों नेताओं के बीच मतभेद की खबरें कई बार देखने को मिली हैं। जब पाकिस्तान दौरे से नवजोत सिंह सिद्धू वापस भारत आए थे तब उन्होंने कहा था कि उनके कैप्टन तो राहुल गांधी हैं जबकि अमरिंदर सिंह सेना के कैप्टन हैं।
अब ऐसा लग रहा है की हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अपने पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर से सीख लेकर कुछ अलग करना चाहते हैं। हुड्डा शायद केंद्रीय नेतृत्व को यह भी दिखाना चाहते हैं कि वे अपने दम पर हरियाणा की राजनीति संभाल लेंगे। शायद यही वजह है कि पोस्टर में गांधी परिवार के किसी चेहरे को जगह नहीं दिया गया है, हो सकता है कि ये कांग्रेस आलाकमान को हुड्डा का संदेश हो।
कांग्रेस के नेतृत्व विहीन होने से देश भर के कांग्रेस नेता परेशान हो चुके हैं लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस अवसर का उपयोग करते हुए गांधी परिवार को एक कड़ा संदेश दिया है। पोस्टर्स से गांधी परिवार को आउट करके हुड्डा परिवार ने यह इशारा कर दिया है कि उन्हें अपनी सियासत करने के लिए गांधी परिवार के कंधों की जरूरत नहीं है और वे अब अपने बलबूते हरियाणा की राजनीति में दमखम दिखा सकते हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस कदम के बाद पूरे देश के क्षेत्रीय नेता गांधी परिवार पर हावी होने की कोशिश करेंगे। इससे कमजोर हो चुकी कांग्रेस की वंशवादी साम्राज्य पर करारा आघात पहुंचेगा।