जब से केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 के सभी प्रावधान हटाये हैं,तभी से दुनिया भर के लिबरल्स छाती पीटने लगे हैं, ऐसा लग रहा है जैसे उनकी जागीर छीन ली गई हो। यूं तो ऐसे मामलों में एक बुद्धिजीवी लिबरल सच्चाई की तह तक जाने की कोशिश करता है, लेकिन यहाँ दिक्कत यह है की ऐसे लेफ्ट लिबरल्स को घाटी की वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है, और वे किसी मूर्ख, जड़बुद्धि व्यक्ति की तरह ज्ञान बांच रहे हैं।
कुछ इसी तरह का एक जड़बुद्धि व्यक्ति सामने निकलकर आया है, जिसका नाम है हसन मिन्हाज जो खुद को सबसे मशहूर कॉमेडियन मानता है। जॉन स्टीवर्ट की देख रेख में डेली शो से ख्याति पाने वाले हसन आज कल अपने नए शो ‘पेट्रीयट एक्ट’ पर भारत के विरुद्ध काफी जहर उगलते रहे हैं। उन्होनें लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी, आरएसएस और बीजेपी को भारत में कुछ कथित अत्याचारों के लिए दोषी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि जिस तरह भारत में अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, वो मुझे एक अरबी सुल्तान के अत्याचारों की याद दिलाता हैं।
हसन मिन्हाज ने ये भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार के राज में अगर कोई मांसाहार अपनाता है तो उसे मार दिया जाता है और मिन्हाज ने यह भी दावा किया कि भाजपा देश में बढ़ते वैमनस्य के लिए दोषी है। 29 मिनट के लंबे बकवास में कहीं भी अपनी बात को सिद्ध करने के लिए हसन मिन्हाज के पास कोई ठोस सबूत नहीं था।
इसी तरह एक बार फिर विवादों को जन्म देते हुए हसन मिन्हाज ने भारतीय स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर कश्मीर का मुद्दा उठाकर उन्होने अपने शो में एक बार फिर भ्रामक खबरें फैलाने का प्रयास किया है, जिसमें उन्होनें इंटरनेट कम्यूनिकेशन पर पाबंदी व कश्मीरियों की आजादी हनन करने का आरोप लगाया है।
हालांकि मिन्हाज के शो के दौरान उनके बयानों से साफ पता चलता है कि वे किसी भी प्रकार का उचित तर्क देने में असफल रहे व उन्हें इस मामले की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है, केवल वे अंधविरोध कर रहे हैं। शो के दौरान उन्होनें अनुच्छेद 370 को सेक्शन 370 बताया, और फिर उन्होंने कश्मीर में कथित रूप से स्थानीय निवासियों पर भारतीय सेना के अत्याचारों और कश्मीर की आज़ादी के बारे में भ्रामक खबरें फैलाने का प्रयास किया –
https://twitter.com/hasanminhaj/status/1162070236155318274
पर मिन्हाज के बकवास में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि आखिर अनुच्छेद 370 क्या था, इसके कारण कैसे राज्य में आतंकियों और अलगाववादियों को बढ़ावा मिला, और कैसे ये कश्मीरियों को मुख्यधारा से अलग करने का काम करता था। मिन्हाज ने ये बताने की भी आवश्यकता नहीं समझी कि कम्युनिकेशन की सुविधाओं पर लगी रोक केवल अस्थाई है, हालात बदलते ही सब कुछ धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगा, और यह ईद के अवसर पर देखने को भी मिला। कश्मीर में व्याप्त आतंकवाद के बारे में तो मिन्हाज को शायद ही कोई ज्ञान होगा। हसन मिन्हाज के दोहरे मापदंड इस बात से उजागर हो गए हैं कि उन्होंने लद्दाख के बारे में एक बार भी नहीं बोला। लद्दाख के निवासी अपने क्षेत्र को केन्द्रित शासित प्रदेश बनाए जाने से काफी खुश हैं, और उन्होंने भारत के 73वें स्वतन्त्रता दिवस को अपना प्रथम स्वतन्त्रता दिवस भी बताया है।
हसन मिन्हाज के बयानों से एक बात तो साफ हो जाती है, वे भी दुनिया भर के लिबरल्स की तरह मानसिक रोगी हैं, जो बिना जमीनी वास्तविकता जाने कश्मीर के मुद्दे पर झूठ फैलाने में लगे हुये हैं। ऐसे में हसन मिन्हाज के शो में जनता को स्वस्थ कॉमेडी के बजाए केवल भ्रामक खबरों से भरा हुआ एक प्रोपेगैंडा शो देखने को मिला। लेकिन हसन मिन्हाज ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं, क्योंकि उनके साथ दुनिया भर के लेफ्ट लिबरल कश्मीर के मुद्दे पर पाक के पक्ष में भ्रामक खबरें फैलाने में लगे हुए हैं। दुनिया भर के मीडिया प्लैटफ़ार्म कश्मीर मुद्दे की तुलना फ़िलस्तीन से करने में लगे हुए हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि धूमिल हो सके।
चाहे वो ब्लूमबर्ग हो, या फिर 972 मैग, लेफ्ट लिबरल मीडिया ने कश्मीर मुद्दे पर भारत को निशाने पर लेने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने दिया। बीबीसी ने इस दिशा में दस कदम आगे बढ़कर भारत के विरुद्ध मानो एक निजी मोर्चा खोल दिया है। जहां एक तरफ बीबीसी ने कश्मीर को भारत के कब्जे में पड़े एक स्वाधीन क्षेत्र की संज्ञा देकर अपना एजेंडा आगे बढ़ाया तो वहीं उसने 370 हटाये जाने को लेकर लद्दाख और जम्मू के लोगों की प्रतिक्रिया के बारे में भी भ्रामक खबरें फैलाईं।
इस प्रकार के अज्ञानी एक्टिविज़्म से ये साफ सिद्ध हो जाता है कि उन्हें अब कोई क्यों सुनने को तैयार नहीं है। पिछले 60 सालों से लिबरल्स ने शिक्षा और राजनीति में अपना वर्चस्व जमा रखा था, जो इनके बचकाने तर्कों के कारण इनके हाथों से फिसल चुका है। जितना ज़्यादा ये लिबरल अपना महत्व खोते जा रहे हैं, उतने ही ये अपने विचारों में तथ्यहीन और बेतुके दिखाई देते हैं। अब लिबरल एक दूसरे से जानकारी इकट्ठा कर एक घटना को किसी अलग घटना से जोड़ने का बचकाना प्रयास कर रहे हैं, जैसा हसन मिन्हाज जैसे लेफ्ट लिबरल कश्मीर के साथ कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि अब इन लेफ्ट लिबरल को कोई भी नहीं सुन रहा, जिसकी वजह से इनके अस्तित्व पर ही बड़ा खतरा मंडराना शुरू हो गया है।