दुनिया में 5जी तकनीक को लेकर काफी उत्साह है और चीन की हुवावे (Huawei) कंपनी अभी दुनियाभर में इस तकनीक को विस्तार देने पर योजना बना रही है। अभी हुवावे स्मार्टफोन मार्केट में दुनिया की सबसे दिग्गज कंपनी है और इस साल वह फरवरी में दुनिया का सबसे पहली 5जी तकनीक फोन लॉंच भी कर चुकी है। लेकिन हुवावे के बढ़ते वर्चस्व के साथ-साथ कई पश्चिमी देशों ने इस चीनी कंपनी के 5जी कार्यक्रम पर अपनी चिंतायें भी जताई है। इन देशों का मानना है कि हुवावे कंपनी चीनी सरकार के प्रभाव में काम करती है और सुरक्षा के लिहाज से यह इन देशों के लिए खतरा साबित हो सकती है। भारत सरकार अपने यहां 5जी तकनीक के ट्रायल को शुरू करने की अनुमति दे चुकी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत को भी हुवावे को प्रतिबंधित कर देना चाहिए?
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने चाइनीज कंपनी हुवावे को अपने यहां 5जी का ट्रायल करने से साफ तौर पर मना कर दिया है। यहां तक कि जापान ने भी हुवावे के खिलाफ सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि जो पश्चिमी देश हुवावे को अपने यहां 5जी ट्रायल करने की इजाजत नहीं दे रहे हैं, उनका मानना है कि चीन की यह कंपनी उनकी सुरक्षा में सेंध लगा सकती है। इसके अलावा इन देशों को यह भी शक है कि हुवावे इन देशों से संवेदनशील जानकारी चुराकर चीनी सेना के साथ साझा कर सकती है, जो कि इन देशो की सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है। हुवावे कंपनी पर अन्य देशों की कंपनियों के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का उल्लंघन करने का आरोप भी लगता रहा है।
अभी सबसे ताज़ा मामले में हुवावे कंपनी पर चेक रिपब्लिक में भी चीनी सरकार के साथ मिलीभगत के आरोप लगे थे। चेक रिपब्लिक के कुछ ब्रॉडकास्टर्स ने हुवावे पर आरोप लगाया था कि यह कंपनी अपनी सेवाओं के बदले अपने क्लाइंट्स के कुछ गोपनीय जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही थी। हुवावे के फाउंडर की बेटी और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर मेंग वांझाऊ पर पहले ही फ्रॉड के चार्ज लगे हुए हैं। अमेरिका ने हुवावे पर आरोप लगाया था कि उनका एक ऐसी कंपनी के साथ संबंध है, जो ईरान को उपकरण बेच रही है, जबकि अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं।
एक तरफ जहां पूरी दुनिया में हुवावे कंपनी के परिचालन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ भारत में इस चीनी कंपनी के परिचालन को लेकर चीन धमकी देने पर उतर आया है। इस विषय पर चीन भारत को विश्वास में लेने की बजाय आंखें दिखाने का काम कर रहा है। चीन ने इसी महीने भारत को धमकी देते हुए कहा था कि यदि हुवावे पर भारत में प्रतिबंध लगाया जाता है तो चीन भी अपने यहां काम कर रही भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकता है। हालांकि, चीन को ऐसी धमकी देने से पहले यह समझ लेना चाहिए था कि वह इस वक्त भारत के साथ कोई तनाव बढ़ाने की स्थिति में बिल्कुल नहीं है। चीन पहले ही अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार युद्ध के कारण घुटनों पर है, और ऐसी स्थिति में भारत के साथ पंगा लेना चीन के लिए अच्छा नहीं होगा।
जहां भारत में तकनीक का विस्तार जरूरी है, तो वहीं दूसरी तरफ देश की सुरक्षा से भी समझौता नहीं किया जा सकता। जिस तरह पश्चिमी देशों ने अपने यहां हुवावे द्वारा खड़ी की गई सुरक्षा चुनौती को पहचानकर कंपनी पर प्रतिबंध लगाने का काम किया है, ठीक उसी तरह भारत को भी सतर्क होकर कंपनी के परिचालन से जुड़े विवादों के मद्देनजर जांच करने की ज़रूरत है। अगर भारत सरकार को हुवावे के परिचालन पर कोई भी शक पैदा होता है, तो सरकार को तुरंत कंपनी को बैन कर देना चाहिए। सरकार के लिए 5जी तकनीक नहीं, बल्कि लोगों की निजता और देश की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए, और हमें उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में कोई बड़ा कदम जरूर उठाएगी।