भारतीय वायुसेना के लिए बेहद राहत भरी खबर आई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं वर्तमान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ जल्द ही फ़्रांस के लिए रवाना होंगे, जहां वे भारतीय वायुसेना के लिए निर्मित सर्वप्रथम राफ़ेल जेट को आधिकारिक रूप से सौंपे जाने के लिए विशेष हैंडिंग ओवर सेरेमनी में उपस्थित होंगे।
नई दिल्ली स्थित आईएएफ़ के सूत्रों की माने, तो “आईएएफ़ प्रमुख और रक्षा मंत्री के उपस्थिति में और विभिन्न रक्षात्मक एवं प्रशासनिक नौकरशाहों के सामने राफ़ेल जेट को अपने अधिकार में लेंगे”।
उक्त समारोह सितंबर के तीसरे हफ्ते में आयोजित होगा, जिसमें फ़्रांस और भारत, दोनों ही देशों से भारी संख्या में अधिकारियों की उपस्थिति दर्ज़ होगी। भारतीय वायुसेना राफ़ेल जेट के लिए तीन अलग बैचों में 24 पायलट्स को मई 2020 तक प्रशिक्षित करेगी, क्योंकि आधिकारिक रूप से राफ़ेल जेट्स की पहली खेप इसी समय भारत में आएगी।
सच पूछें, तो राफ़ेल जेट का आगमन वायुसेना को अत्याधुनिक जेट्स से सुसज्जित करने की लंबी लड़ाई में निर्णायक पल रहा है। सितंबर 2016 में इस कथा का आरंभ हुआ था, जब भारत ने फ्रेंच सरकार और डस्सौल्ट एविएशन के साथ संधि कर 7.8 बिलियन यूरो के मूल्य पर 36 राफ़ेल फाइटर जेट के अधिग्रहण का अधिकार प्राप्त किया था। यह संधि आईएएफ़ के कॉम्बैट स्क्वाड्रन्स के घटती संख्या को पाटने के लिए और पूर्वी एवं पश्चिमी मोर्चों पर त्वरित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की गयी थी। ये संधि तत्कालीन रक्षा मंत्री, स्व० मनोहर पर्रिकर की उपस्थिति में की गयी थी, जिससे वर्षों तक बाधित आईएएफ़ के स्क्वाड्रन अपग्रेडेशन को दोबारा से चालू किया गया।
पर चूंकि ये डील बिना किसी धांधली के सफलतापूर्वक की गयी थी, इसीलिए अपनी हार स्वीकारने में असमर्थ काँग्रेस पार्टी और उसके चाटुकार एनडीए सरकार, डस्सौल्ट एविएशन एवं फ्रेंच सरकार पर धांधली का आरोप लगाने लग गए, और उन्होने राफ़ेल जेट के अधिग्रहण में बाधा डालने का हरसंभव प्रयास किया।
इन आरोपों के बावजूद राफेल डील पर सफाई देने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर रक्षा मंत्री, डस्सौल्ट एविएशन और पूर्व सैन्य प्रमुख तक सामने आए, पर काँग्रेस के पास इस डील को रोकने के लिए अनावश्यक तर्क देने के अलावा कोई और चारा नहीं था। जब उनसे पूछा गया कि उनके सरकार में राफ़ेल डील क्यों नहीं संभव हो पायी, तो यूपीए सरकार के एक प्रमुख मंत्री का बयान कुछ यूं था, “मैंने ये डील को राष्ट्रहित में रोक कर रखा था। परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रहित की बलि दे दी”।
सूत्रों के अनुसार, आईएएफ़ राफ़ेल का एक स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एवं बंगाल के हाशिमरा में स्थित अपने एयरबेस पर करेगी। यही नहीं, यदि कुछ मीडिया सूत्रों की माने, तो फ्रेंच सरकार आईएएफ़ को राफ़ेल के दो और स्क्वाड्रन सौंपने को तैयार है। मजे की बात तो यह है कि इन दो स्क्वाड्रनों को फ्रेंच सरकार मूल डील से कम दाम पर सौंपने को तैयार है। अब हम गर्व से कह सकते हैं कि राफ़ेल घर आ रहा है।