भारत की केंद्र सरकार ने एक बड़ा और अहम फैसला लेते हुए सोमवार को जम्मू-कश्मीर राज्य का स्पेशल स्टेटस निरस्त कर दिया और इस तरह से जम्मू-कश्मीर भी भारत के अन्य राज्यों के समान बन गया है। इस निर्णय के साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है और दोनों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का प्रस्ताव भी राज्य सभा ने पारित कर दिया है। मोदी सरकार के इस फैसले से अभी तक किसी देश के बड़े नेता का बयान नहीं आया है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र संघ के अलावा कुछ देशों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है लेकिन बाकी बड़े देशों ने अपनी चुप्पी से ही इस पर अपनी स्वीकृति दे दी है।
Stéphane Dujarric, Spokesman for the UN Secretary-General: Over the past few days, the United Nations Military Observer Group in India & Pakistan (UNMOGIP) has observed and reported an increase in military activity along the Line of Control (LoC). https://t.co/okEh6chVyA
— ANI (@ANI) August 5, 2019
आज मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से प्रतिक्रिया देखने को मिली है। यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जम्मू-कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में लगे प्रतिबंधों की जानकारी ली गई है। क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति पर हमारी नजर लगातार बनी हुई है। सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की जाती है।‘ यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को कहा कि वह भारतीय पक्ष के कश्मीर में प्रतिबंधों की रिपोर्ट से अवगत हैं और इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से संयम रखने की अपील करते हैं। दुजारिक ने कहा कि ‘उन्हें भारत और पाकिस्तान में तैनात यूएन मिलिट्री ऑब्जर्वर ग्रुप (यूएनएमओजीआईपी) के जरिए पिछले दिनों रिपोर्ट मिली थी एलओसी पर सैन्य गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है।‘ उन्होंने आगे कहा, ‘हम इस क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हमने मामले से जुड़े सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।‘
इस बीच अमेरिका ने भी कहा है कि वह भी भारत के संविधान से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर नजर रखे हुए है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्तागस ने कहा कि भारत और पाकिस्तान शांति कायम रखें। हम भारत के कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनने और उसे केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के फैसले पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। भारत ने हमसे कहा है कि यह उसका आंतरिक मुद्दा है। हम दोनों पक्षों से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील करते हैं।
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ब्रिटिश सरकार ने फिलहाल इस कदम पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है लेकिन उसने अपने नागरिकों को यात्रा परामर्श जारी करके क्षेत्र की यात्रा से बचने और क्षेत्र में पहले से मौजूद अपने नागरिकों को सतर्क रहने के लिए कहा है।
वहीं भारत के इस कदम के खिलाफ पाकिस्तान दुनिया भर से मदद मांग रहा है लेकिन इसे दुनिया भर में कहीं से भी मदद नहीं मिल रही है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर कहा था कि भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय तौर पर विवादित क्षेत्र है। पाकिस्तान ने UNSC जाने की भी धमकी दी है लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले इस्लामिक सहयोग संगठन की तरफ से भी अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हालांकि, मोदी सरकार का यह फैसला पूरी तरह से संवैधानिक है। पत्रकार और रक्षा विशेषज्ञ अभिजीत अय्यर ने द प्रिंट में लिखे अपने एक लेख में बताया है कि यह फैसला किसी भी घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन नहीं करता है। उन्होंने बताया कि हम देख सकते है कि कैसे अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और इज़राइल ने अपने नागरिकों को कश्मीर से निकलने और वहाँ न जाने का एड्वाइजरी जारी की थी। भारत ने पहले ही इन देशों के लिए संक्षिप्त सूचना जारी कर दी थी और इन सभी को पता था यह भारत का आंतरिक मामला है इसलिए जम्मू-कश्मीर मामलों पर अधिकतर देशों ने चुप्पी बनाई हुई है।
अभिजीत अय्यर ने अपने लेख में ये भी उल्लेख किया कि वास्तव में कश्मीर मुद्दे पर यह प्रधानमंत्री मोदी की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी बेहतरीन कूटनीति को दर्शाता है। उन्होंने ने अपने जापान के ओसाका में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में ही इसके संकेत अन्य देशों को दे दिए थे। उन्होंने ने इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति समेत अन्य देशों के प्रमुख नेताओं को अपने विश्वास में ले लिया था। बता दें कि विश्व के ज़्यादातर देश अमेरिका के प्रभाव में रहते हैं इसलिए किसी ने इस फैसले का विरोध नहीं किया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का इस मामले को भारत का आंतरिक मामला बताना ही अन्य देशों के लिए संकेत था कि कश्मीर पर भारत कोई भी फैसला ले सकता है और इस विषय पर किसी अन्य देश को टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। यह प्रधानमंत्री मोदी की अंतराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति का ही परिणाम है कि कोई भी देश भारत के इस फैसले का विरोध नहीं करना चाहता। विश्व में भारत की सकारात्मक छवि के वजह से पाकिस्तान द्वारा मदद के लिए हाथ फैलाने के बावजूद कोई भी देश उसकी मदद करने के लिए सामने नहीं आ रहा है और सभी देशों की चुप्पी उनकी रजामंदी दर्शा रही है। कुल मिलाकर भारत के साथ सभी देश खड़े हैं जबकि पाकिस्तान इस मुद्दे पर अलग-थलग पड़ गया है।