किसी देश या प्रदेश में यदि आपको आर्थिक विकास करना है, तो आपको उस क्षेत्र में शांति स्थापित करनी ही होगी। अगर किसी देश में शांति नहीं है, तो वहां आर्थिक विकास हो ही नहीं सकता, क्योंकि कोई भी उस क्षेत्र में निवेश नहीं करना चाहेगा और वहां रोजगार के अवसर भी पैदा नहीं होंगे। आज़ादी के बाद से कश्मीर में आर्थिक विकास ना होने का सबसे बड़ा कारण वहां पाकिस्तान द्वारा फैलाई गई अशांति ही रही है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या के कारण कभी क्षेत्र का आर्थिक विकास नहीं हो पाया। अब चूंकि, जम्मू-कश्मीर को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया जा रहा है, तो घाटी में अब पहले के मुक़ाबले तेजी से आर्थिक विकास हो सकेगा।
जम्मू-कश्मीर आज़ादी एक बाद से आर्थिक तौर पर पिछड़ा ही रहा है। किस राज्य को कितना फंड मिले ये तय करने वाला फाइनेंस कमीशन, हमेशा जम्मू कश्मीर को दूसरे राज्यों से ज्यादा मदद करता रहा। यहां तक कि दूसरे विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को भी वो सहूलियतें नहीं मिलीं जो कश्मीर को मिलीं, लेकिन इसके बावजूद कश्मीर का विकास नहीं हो पाया। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि राज्य का प्रति व्यक्ति आय 2000-01 में 8644 रू था जो 2004-05 में बढ़कर 9553 रु हो गया, जबकि देश भर में यही दर 18,113 से बढ़कर 21,806 तक पहुंच गया, यानि कश्मीर के आर्थिक विकास और देश के दूसरे हिस्सों के आर्थिक विकास में एक बड़ा अंतर देखने को मिलता है।
कश्मीर के विकास ना होने का सबसे बड़ा कारण अनुच्छेद 370 ही था। अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू और कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी बड़ी कंपनियां नहीं जा सकती थीं। अगर ये कंपनियाँ वहां गई होती, तो लोगों को रोजगार मिलता। बड़ी कंपनियां वहां गईं होती, तो पर्यटन बढ़ता और प्रदेश का आर्थिक विकास होता। अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर में देश का कोई बड़ा डॉक्टर नहीं जाना चाहता, क्योंकि वहां वो अपना घर नहीं खरीद सकता, वहां का मतदाता नहीं बन सकता था और वहां खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करता था।
चूंकि, अनुच्छेद 370 अब नहीं रहा, तो प्रदेश में व्यापार करने हेतु पाबंदियाँ भी हट गई हैं और अब प्रदेश में नए उद्योग स्थापित होने के अनुमान हैं। इतना ही नहीं, कई कंपनियों ने तो अभी से पहले ही राज्य में निवेश करने के लिए अपनी रूचि दिखा दी है। 370 हटने की घोषणा के दूसरे दिन ही एशिया की सबसे बड़ी हेल्मेट निर्माता कंपनी स्टीलबर्ड हाई-टेक इंडिया ने जम्मू कश्मीर में इकाई लगाने की पेशकश की। कंपनी ने एक बयान जारी करके अनुच्छेद 370 हटाने के सरकार के फैसले का भरपूर स्वागत किया, और कहा कि इससे कश्मीर घाटी में नई औद्योगिक क्रांति आएगी और स्थानीय नागरिकों को रोजगार मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि हम जम्मू कश्मीर में उत्पादन इकाई लगाने के लिए प्रस्ताव को अगले अक्टूबर में होने वाली इन्वेस्टर समिट में पेश करने की योजना बना रहे हैं। बता दें कि स्टीलबर्ड हिमाचल प्रदेश के बद्दी में 150 करोड़ रुपये पहले ही निवेश कर चुकी है। अब वह अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 44,500 हेल्मट प्रति करने की योजना बना रही है। इसी क्रम में वह घाटी में प्लांट लगाने की इच्छुक है।
इतना ही नहीं, खुद केंद्र सरकार भी राज्य में विकास करने की इच्छुक रही है। इसी वर्ष जुलाई में केंद्र सरकार ने श्रीनगर मेट्रो चलाने का प्रस्ताव रखा था। तब जम्मू और श्रीनगर में मेट्रो के पहले चरण के लिए लगभग 8500 करोड़ रुपये की लागत को मंजूरी दी गई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीनगर मेट्रो परियोजना से लगभग 1300 इंजिनीयर्स को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा केंद्र सरकार हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इस वर्ष सितंबर-अक्तूबर में राज्य में इन्वेस्टर्स समित का आयोजन भी करेगी।
कश्मीर अब तक पर्यटन के लिए ही मशहूर रहा है, जिसके कारण क्षेत्रीय निवासियों को रोजगार मिलता रहा है। लेकिन आतंकवाद की वजह से कभी यह क्षेत्र भी विकास नहीं कर पाया, और नए उद्योग तो कभी स्थापित हो ही नहीं सके। अब अनुच्छेद 370 भी हट चुका है, और केंद्र सरकार की नियत भी सकारात्मक है, तो इससे आने वाले सालों में हमें घाटी में अधिक विकास देखने को मिल सकता है।