अरविंद केजरीवाल की सरकार में पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने बीते शनिवार को भाजपा जॉइन कर ली। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू और दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने उनका पार्टी में स्वागत किया। कपिल मिश्रा के पार्टी में शामिल होने के बाद भाजपा को इसका बड़ा फायदा पहुंचने वाला है। केजरीवाल सरकार में कई मंत्री-पद संभालने वाले कपिल मिश्रा ना सिर्फ अरविंद केजरीवाल के करीबी रह चुके हैं, बल्कि वे आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीतियों से भी काफी हद तक परिचित हैं। इसके अलावा कपिल मिश्रा सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रहते हैं और दिल्ली जैसे शहरी इलाके में सोशल मीडिया की पहुंच लगभग हर घर तक होती है, यानि इसका भाजपा को चुनाव प्रचार करने में भी फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर अगले साल दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होकर वे पार्टी के लिए एक बड़े एसेट साबित होंगे।
कपिल मिश्रा का भाजपा में शामिल होने की खबरें आना तो तभी शुरू हो गयी थी जब वर्ष 2017 में मिश्रा ने खुलकर केजरीवाल के खिलाफ बोलना शुरू किया था। इससे पहले दिल्ली सरकार में उन्होंने कानून, टूरिज़्म, जल, कला और संस्कृति मंत्रालय का पदभार संभाला था, हालांकि उनके कानून मंत्रालय संभालने के दो महीने बाद ही उनको पद से हटा दिया गया और इसी के बाद से कपिल मिश्रा और अरविंद केजरीवाल के बीच दूरी बढ़ना शुरू हो गयी थी।
इसी के बाद कपिल मिश्रा आप विरोधी हुए थे और उन्होंने सोशल मीडिया पर केजरीवाल सरकार की पोल खोलना शुरू किया था, और अब जाकर वे भाजपा में शामिल हुए हैं। वर्ष 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को दिल्ली की 70 सीटों में से 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि, केजरीवाल सरकार ने पिछले चार सालों के दौरान दिल्ली की ऐसी सूरत बिगाड़ी कि अब वोटर्स का उनपर से विश्वास पूरी तरह उठ चुका है। इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पार्टी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली में एक भी सीट नसीब न हो सकी।
अब चूंकि, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी दिल्ली के लोगों का विश्वास पूरी तरह खो चुके हैं, ऐसे में भाजपा को दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने में अब बड़ी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, आम आदमी पार्टी के करीबी रह चुके कपिल मिश्रा जैसे नेता के पार्टी में आने से भाजपा की जीत और आसान होने वाली है। कपिल मिश्रा एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें आम आदमी पार्टी की सभी चुनावी चालों का पता है, और वे उनका सामना करने में भाजपा की मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी के कार्यकाल के दौरान आप सरकार की सहायता से किए गए घोटालों को उजागर करने में भी उनकी अहम भूमिका हो सकती है, और इनमें सबसे प्रमुख घोटाला होगा दिल्ली जल बोर्ड टैंकर घोटाला, जिसमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम भी सामने आता है।
बता दें कि दिल्ली सरकार में जब कपिल मिश्रा को कानून मंत्री बनाया गया था, तो उसके मात्र दो महीने के अंदर-अंदर ही उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था। दरअसल, उनको उनके पद से हटाये जाने से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल को एक पत्र लिखा था। इस पत्र के साथ ही कपिल मिश्रा ने ‘वॉटर टैंकर डिस्ट्रिब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम’ के तथ्यों की जांच कर रही कमिटी की एक रिपोर्ट भी भेजी थी जिसमें यह साफ तौर पर लिखा था कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और तत्कालीन दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष की मिलीभगत के कारण दिल्ली जल बोर्ड को 400 करोड़ का चूना लगाया गया था। अपने पत्र में उन्होंने यहां तक लिखा था कि उनके इस एक्स्पोज़ के बाद उनके खिलाफ साजिश की जा सकती है और यह भी हो सकता है कि दिल्ली सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जाए। कपिल मिश्रा को उम्मीद थी कि शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार की पोल खोलने में अरविंद केजरीवाल उनका साथ देंगे, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इस पत्र के बाद उन्हें पद से ही हटा दिया और इसी के बाद कपिल मिश्रा का आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर से भरोसा उठ गया।
कपिल मिश्रा एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें ना सिर्फ आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार के बारे में पता है, बल्कि वे उन्हें एक्स्पोज़ करने में भी पीछे नहीं हटते। कुछ साल पहले, कपिल मिश्रा ने यह दावा किया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने अवैध तरीके से 2 करोड़ रुपये दिये थे। कपिल मिश्रा कई मौकों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आप सरकार की पोल खोलते रहे हैं। वर्ष 2017 में कपिल मिश्रा ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में 35-35 करोड़ के 2 चेक दिखाए थे और दावा किया था कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी में ये पैसा नोटबंदी के दौरान काले धन को सफेद में बदलकर चंदे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। यानि कपिल मिश्रा के दावों के मुताबिक आम आदमी पार्टी ने यहां भी पूरे 70 करोड़ का घोटाला किया था।
इसके अलावा पिछले वर्ष मार्च में कपिल मिश्रा ने आप सरकार की पोल खोलते हुए यह दावा भी किया था कि आम आदमी पार्टी शिक्षा के लिए आवंटित बजट का एक-चौथाई हिस्सा भी खर्च करने में विफल रही है। मिश्रा ने दावा किया था कि दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने वर्ष 2017 में दिल्ली की शिक्षा के लिए 500 नए स्कूल बनाने के लिए ज़मीन देने का वादा किया था, लेकिन स्कूलों की बजाये “कक्षाओं” का निर्माण करवाने की बात कही गयी। यही नहीं उस वक्त मिश्रा ने यह भी दावा किया था दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य बजट का एक चौथाई भाग भी अभी तक खर्च नहीं किया है।
इन सभी बातों से यह स्पष्ट हो चुका है कि कपिल मिश्रा एक ऐसे व्यक्ति हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू से ही आवाज़ उठाते आए हैं। वे मज़ाकिया इंसान हैं और सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय हैं। ऐसे में भाजपा आने वाले चुनावों में कपिल मिश्रा जैसे नेता का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी ताकि दिल्ली में जीत हासिल करने के लिए उसे और ज़्यादा आसानी हो सके।