लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा, अब मुख्यधारा से जुड़ सकेगा लद्दाख

जम्मू-कश्मीर अमित शाह

PC: The Statesman

आज यानी सोमवार को ‘जम्मू और कश्मीर’ राज्य को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बड़ा ऐलान किया। गृहमंत्री ने सदन में बताया कि राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 (1) के अलावा सभी खंड पूर्ण रूप से हटा दिए जाएंगे। गृहमंत्री के बयान के कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 370 हटाने की मंजूरी दे दी है।

इसके साथ ही सदन में लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करने का प्रस्ताव पेश किया गया। जिसमें अमित शाह ने कहा था कि लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं बल्कि केंद्र शासित प्रदेश होगा और लद्दाख में विधानसभा की व्यवस्था नहीं होगी। यानी चंडीगढ़ की तर्ज पर लद्दाख में शासन होगा।

मोदी सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा खुशी लद्दाखवासियों को मिली है जो लंबे समय से मांग करते आएं हैं कि उनके क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाए। ताकि यहां के स्थानीय लोग मुख्य धारा में आ सकें। अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि क्षेत्र को केंद्र शासित राज्य का दर्ज दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकें। इस फैसले पर लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्‍याल ने अपना समर्थन देते हुए कहा, ‘मैं लद्दाख के नागरिकों की ओर से इस विधेयक का समर्थन करता हूं। जनता लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाना चाहती है। जिसका फैसला आज लिया जा चुका है।

लद्दाख के केंद्र केंद्रशासित प्रदेश बन जाने के बाद राज्य में विकास के कई रास्ते खुल जाएंगे। मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर के साथ जुड़े होने से सबसे ज्यादा नुकसान लद्दाख को ही उठाना पड़ता था। आजादी के बाद से ही लद्दाख को कश्मीरी सरकार ने लगातार नज़रअंदाज़ किया। बजट का भी अधिकतर हिस्सा कश्मीर पर ही खर्च कर दिया जाता था जिससे इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। यूं कह सकते हैं कि लद्दाख के लोगों का अब तक कश्मीर के नेताओं ने आर्थिक शोषण किया है। लद्दाख के अंतर्गत नोबरा, लेह, कारगिल और ज़ंस्कार कुल 4 विधानसभा क्षेत्र आते थे पर अब इस फैसले से इन सभी क्षेत्रों में केंद्र का शासन होगा।

इससे पहले भाजपा मुख्यालय में बुधवार को लद्दाख के सांसद जमेयांग ने विधान परिषद के सदस्य एवं पूर्व मंत्री शेरिंग दोरजे की मौजूदगी में एक प्रेस कॉन्फ्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद लेह ने केंद्र शासित प्रदेश की मांग को कमजोर नहीं होने दिया है। लद्दाख के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं कि उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए।

केंद्र शासित प्रदेश की मांग करने वाले लद्दाखी समर्थकों ने हमेशा आरोप लगाया है कि कश्मीरी शासकों ने हमेशा ही लद्दाख को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने तथा उसका संप्रदाय के आधार पर बांटने का प्रयास किया है।

बता दें कि लद्दाख कश्मीर से पूरी तरह अलग है। यहां की भाषा, संस्कृति से लेकर भौगौलिक परिस्थितियां भी भिन्न हैं। साल में छह महीने मौसम की मार से लद्दाख देश के अन्य हिस्सों से अलग हो जाता हो जाता है। लद्दाख में जम्मू-कश्मीर का कुल 70 फीसदी भौगौलिक क्षेत्र आता है। लद्दाख के साथ दो गैर मित्र देशों की सीमा भी है। अगर केंद्र शासित प्रदेश बनता है तो इस क्षेत्र में विकास के कई रास्ते खुल जाएंगे। ऐसे में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने की मांग पूरी तरह से जायज है।

पर्यटन की दृष्टि से यह क्षेत्र भारत के खूबसूरत जगहों में से एक है। नीले पानी और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पांगोंग त्सो झील लद्दाख के खूबसूरत जहगों में से एक है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल 80,000 से अधिक पर्यटक लद्दाख आते हैं। लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य का वह क्षेत्र है जो पिछले बीस वर्षों से चल रही हिंसा से प्रभावित नहीं हुआ। पश्मिना शॉल, फ़िरोज़ा गहने, हैंडवेन रग्स और कालीन जैसे वहां की कई चीजें हैं जो पर्यटक लद्दाख से खरीदकर ले जाते हैं। अब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की घोषणा के बाद विकास के हर रास्ते खुल जाएंगे।

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