कर्ज़ माफी के नाम पर किसानों को ठगने के बाद अब केंद्र सरकार की शरण में पहुंचे कमलनाथ और गहलोत

इनके पास मोदी सरकार की शरण में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प बचा ही नहीं है

पीएम-किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत 24 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से की थी। इसे मानधन योजना नाम दिया गया था। इसके तहत किसानों को साल में तीन किस्तों में 6,000 रुपये दिए जाते हैं। पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के तहत देशभर के 8 करोड़ किसानों का रजिट्रेशन भी हो चुका है और 6.25 करोड़ किसानों को पहली और 3.81 करोड़ किसानों को दूसरी किस्त मिल चुकी है। हालांकि, इस लाभकारी योजना के आते ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई थी।

केंद्र की मोदी सरकार की किसानों के लिए इस लाभकारी योजना को कई गैर बीजेपी शासित राज्यों ने ठुकरा दिया था। पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश इनमें से प्रमुख थे। कांग्रेस शासित राज्यों जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश ने तो किसानो की कर्ज माफी के बड़े-बड़े वादे किए थे लेकिन लगता है कि वादों को पूरा करने के चक्कर में इन राज्यों की सरकारों के पसीने छूट गए हैं और अब इनके पास मोदी सरकार की शरण में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प बचा ही नहीं है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन दोनों राज्यों ने पीएम किसान योजना के लिए बड़ी संख्या में पंजीकृत किसानों की सूची को केंद्र सरकार के पास भेजा है।

बता दें कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा के बाद कई राज्यों ने प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना की उपेक्षा की थी ताकि बीजेपी को आम चुनाव में इसका लाभ न मिले। ऐसे राज्यों में तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी द्वारा शासित पश्चिम बंगाल और केजरीवाल द्वारा शासित दिल्ली आते हैं, जिन्होंने अपने यहां पीएम किसान योजना को लागू नहीं किया है। कांग्रेस शासित राज्य मध्यप्रदेश और राजस्थान ने जानबूझकर केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय को एक भी किसान का विवरण नहीं भेजा था।

कांग्रेस इन राज्यों में किसानों को कर्ज माफी का लालच देकर सत्ता में आई थी। अशोक गहलोत की अगुवाई वाली राजस्थान सरकार ने भी नवंबर 2018 तक लिए गए 2 लाख रुपये तक के कृषि ऋण को माफ करने का ऐलान किया था। हालांकि, ये कोई भी राज्य अपने वादों को पूरा करने में विफल साबित हुए थे। मध्य प्रदेश में तो कर्ज माफी के नाम पर किसानों से मज़ाक ही किया गया था। ऐसे कई रिपोर्ट्स सामने आई थी जिसमें किसानो के सिर्फ 30 रुपये या 25 रुपये माफ हुए थे।

इसके बाद लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। वहीं मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। इन दोनों राज्यों को मिलाकर कांग्रेस सिर्फ 1 ही सीट जीत पाई बाकी सीटें एनडीए के खाते में गई। अब जब मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आ चुकी है, और वह भी पिछली बार से ज्यादा सीटों के साथ, तो इन दोनों राज्य सरकारों ने अपनी घटती लोकप्रियता को देखते हुए पीएम किसान योजना को लागू करने का निर्देश दिया था। मध्यप्रदेश में कुल 80 लाख किसान हैं। वहीं राजस्थान में 55 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिल सकता है।

एक तरफ एमपी ने जहां 36 लाख किसानों का विवरण भेजा है तो वही राजस्थान ने 55 लाख किसानों का नाम कृषि मंत्रालय को भेजा है। मतलब साफ है कि अब इन दोनों ही कांग्रेस शासित राज्य केंद्र की मोदी सरकार की योजना का पूरी तरह से लाभ उठाना चाहते है। कांग्रेस द्वारा शासित अन्य राज्य जैसे पंजाब और छत्तीसगढ़ पहले से ही इस योजना का लाभ ले रहे है।

इस योजना का ऐलान 1 फरवरी को अंतरिम बजट में अंतरिम वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने किया था। किसानों के लिए ‘निश्चित आय’ योजना यानि पीएम किसान सम्मान निधि के विस्तार के लिए केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से लाभार्थियों की प्रमाणित सूची उपलब्ध कराने को कहा है। इस योजना के तहत करीब 14.5 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। इस योजना की सफलता को देखते हुए जिस तरह से कांग्रेस शासित राजस्थान और मध्य प्रदेश ने देर से ही सही, लेकिन इस योजना को अपने राज्यों में लागू करने का निर्णय लिया, ठीक उसी तरह बाकी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और दिल्ली को भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर किसानों के हित में इस केंद्र की योजनाओं को लागू करने पर विचार करना चाहिए। इनको समझना चाहिए कि यह योजना किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही है जिससे देश का किसान समृद्ध होगा।

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