दो परिवार एक राजनीति क्षेत्र, कभी जीत कभी हार लेकिन सत्ता की चाबी इन दो परिवारों के पास ही रही। हम बात कर रहे हैं अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार की, जो आज़ादी के बाद से ही लोगों को गुमराह कर घाटी की राजनीति पर कब्जा जमाए रहे। ये दोनों ही परिवार पूरे राज्य को अपना अधिकार क्षेत्र मानते थे और ये खुद ही अपने-आप को जम्मू-कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधि मान बैठे थे। वैसे तो पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस लंबे अर्से से राजनीतिक दुश्मन रहे हैं लेकिन किसी भी ऐसे फैसले के विरोध में वे साथ आ जाते हैं जिससे जम्मू-कश्मीर में उनकी राजनीतिक दुकान पर क्षति पहुंचती हो।
लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद और जम्मू-कश्मीर पर लगातार कई बड़े लेकिन मूलभूत जरूरतों के लिए फैसले लेने की वजह से इन दोनों ही परिवारों के नेताओं के बीच दरार पड़ चुकी है और वाकयुद्ध शुरू हो चुका है। रविवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के बीच यह वाकयुद्ध देखने को मिला। यह लड़ाई इतनी बढ़ गयी कि दोनों नेताओं को अलग-अलग जगह नज़रबंद किया गया।
बता दें की जम्मू-कश्मीर में सेना की अतिरिक्त तैनाती के बाद से दोनों दलों में एकजुटता देखने को मिली थी। जिसके बाद अनुच्छेद 370 हटने पर दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं को नजरबंद कर दिया गया।
नजरबंदी के दौरान ही एक दिन उमर नीचे टहल रहे थे तभी महबूबा और उमर अब्दुल्ला में झगड़ा हो गया। दोनों एक-दूसरे पर इस बात का आरोप लगा रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को कौन लेकर आया? दोनों इन हालातों के लिए एक-दूसरे को दोष देने लगे। इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने मुफ्ती मोहम्मद सईद पर भाजपा से 2015 और 2018 में गठबंधन करने का ताना जड़ा।
देखते ही देखते दोनों नेताओं के बीच भयंकर वाक-युद्द छिड़ गया। महबूबा मुफ्ती ने उमर के परिवार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आपके दादा शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में क्यों कराया?” महबूबा ने उमर पर वॉर करते हुए उन्हें याद दिलाया कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गठबंधन किया था। अधिकारियों का तो कहना यह भी है कि उस दौरान आप जूनियर मिनिस्टर फॉर एक्सटर्नल अफेयर थे। काफी बहसा-बहसी के बाद दोनों को अलग-अलग करना पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार वहाँ के अधिकारी ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच विवाद बढ़ने पर यह फैसला किया गया कि उन्हें अलग रखा जाए। उमर अब्दुल्ला को महादेव पहाड़ी के पास चेश्माशाही में वन विभाग के भवन में रखा गया है जबकि महबूबा हरि निवास महल में ही हैं। झगड़े से पहले उमर हरि निवास की ग्राउंड फ्लोर पर थे और महबूबा पहली मंजिल पर। बता दें कि हरि निवास महल आतंकियों से पूछताछ के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जगह के रूप में जाना जाता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने घाटी के राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं समेत 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है क्योंकि उनसे कश्मीर घाटी में शांति भंग होने का खतरा था।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब दोनों नेता आपस में भिड़े हों, जब केंद्र की मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक पर विधेयक पास करवाई तो ट्विटर पर उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती आपस में भिड़ गए थे।
इन दोनों नेताओं के बीच का झगड़ा लाजमी है क्योंकि अब मोदी सरकार के सख्त कदमों से इनके वर्षों का बनाया हुआ साम्राज्य अब बिखर चुका है। इन दोनों ही परिवारों की नीति साफ थी दूसरे राजनीतिक दल को जम्मू-कश्मीर राज्य से दूर रखो ताकि अपनी दुकान चलती रहे। अब अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से कश्मीर में अपने स्वार्थ की राजनीति करने वाले इन नेताओं को अब वो स्वाद नहीं मिलेगा जिसका ये लाभ उठाकर वर्षों से जम्मू-कश्मीर के हितों को ताक पर रखते थे।