OYOया OYO रूम का नाम तो अपने सुना ही होगा,नहीं भी सुना तो किसी न किसी होटल के बाहर इसका बड़ा सा लाल रंग का बोर्ड देखा होगा। आज अगर कोई व्यक्ति भारत के किसी दूसरे शहर में जाता है तो वह वहाँ ठहरने के लिए सबसे पहले OYO रूम ही ढूँढता है, और वह सीधे अपने मोबाइल से ही अपने बजट के अनुसार मनपसंद कमरे को बुक कर लेता है। बता दें कि OYO एक ऐसा ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, जहां अपार्टमेंट्स और रूम्स की लिस्टिंग में से आप अपने लिए आरामदायक और अफोर्डेबल रूम्स तलाश सकते थे और बुक कर सकते है। आज भारत के 180 शहरों में 1,43,000 रूम्स की लिस्टिंग के साथ यह कंपनी संचालित होती है। जो उसी क्षेत्र में समान सुविधाएं प्रदान करने वाले होटलों की आधी कीमत में उपलब्ध होते हैं। सस्ते दाम में बेहतरीन सुविधा के नाम पर इसका कोई मुकाबला नहीं है। वर्ष 2012 में ओडिशा के 18 वर्षीय लड़के रितेश अग्रवाल के द्वारा शुरू किया गया यह होटल रूम बुकिंग बिजनेस आज 1.8 अरब डॉलर का हो चुका है। अगर इस कंपनी पर लिस्टिड कमरों की संख्या के लिहाज से तुलना करें, तो OYO इंटर-कटीनेंटल ग्रुप, एकोर और विंधम जैसी विश्व की बड़ी कंपनियों को पछाड़ कर यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी होटल चेन कंपनी बन चुकी है। वह दिन दूर नहीं जब यह भारतीय कंपनी मैरियट और हिल्टन जैसी कंपनियों को पछाड़ कर विश्व की सबसे बड़ी होटल चेन कंपनी बन जाएगी।
OYO रूम के संस्थापक की कहानी भी किसी गुदड़ी के लाल से कम नहीं है। ओडिशा के बिस्सम कटक गांव में जन्मे रितेश अग्रवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा रायगड़ा के सेक्रेट हार्ट स्कूल से की है। मिजाज से घुमक्कड़ रितेश छोटी उम्र से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क ज़करबर्ग से बहुत प्रेरित रहे हैं और वेदांता के अनिल अग्रवाल को अपना आदर्श मानते हैं। दरअसल रितेश के माता-पिता चाहते थे कि वो आईआईटी में दाखिला ले और इंजीनियर बनें। रितेश भी कोटा, राजस्थान में रह कर आईआईटी एंट्रेस एग्जाम की ही तैयारियों में जुट गए थे लेकिन उन्होंने IIT की तैयारी छोड़कर अपने बिजनेस की तैयारी शुरू कर दी। बाद में उन्होंने दिल्ली के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड फाइनेंस में एडमिशन लिया था लेकिन अपनी कंपनी शुरू करने के लिए कोर्स को बीच में ही छोड़ दिया।
वर्ष 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की थी। जब रितेश अग्रवाल ने ओरावेल डॉट कॉम की शुरुआत की, तब वह सिर्फ 17 वर्ष के थे। इस वेंचर की शुरुआत के पीछे रितेश का मकसद देश भर के पर्यटकों को किफायती दरों पर ठहरने की सुविधा मुहैया करवाना था। रितेश के आइडिया से प्रभावित होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश किया और को-फाउंडर बन गए। फिर 2012 में ओरावेल को आर्थिक मजबूती मिली, जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट-अप एक्सलेरेटर वेंचर, नर्सरी एंजल से बुनियादी पूंजी प्राप्त हुई। हालांकि, वेंचर को खड़ा करने में रितेश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें प्रमुख थीं फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के मालिकों और निवेशकों तक पहुंचना। उन्होंने साल 2013 में ओरावेल का नाम बदल कर OYO रूम्स कर दिया। जून 2013 में उन्होंने 60 हजार रुपए का निवेश कर OYO रूम्स की शुरुआत की।
फर्म ने ऐसी होटलों से संपर्क साधा, जो कोई ब्रांड नहीं थे। इस फर्म ने उनके मालिकों को सुविधाएं बढ़ाने और स्टाफ को प्रशिक्षित करने के लिए कहा। साथ ही OYO ने उनकी ब्रांडिंग का बीड़ा उठाया। देखते ही देखते इन होटलों का राजस्व बढ़ना शुरू हो गया।
इसके बाद रितेश अग्रवाल को साल 2013 में ‘थिल फेलोशिप’ के ’20 अंडर 20′ के लिए चुना गया था। इस फेलोशिप के बारे में जानकर रितेश ने इसके लिए आवेदन किया था। रितेश थिल फेलोशिप में चुने जाने वाले पहले भारतीय बन गए थे। इस फेलोशिप में 22 साल से कम उम्र के ऐसे ड्रॉपआउट को 1 लाख डॉलर की मदद दी जाती है जो अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहता है, साथ ही यह फ़ेलोशिप दुनिया के आंत्रप्रेन्योर, इन्वेस्टर और लीडर्स को मेंटरशिप प्रदान करती है।
इसके बाद रितेश के OYO रूम्स में जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप के साथ-साथ ग्रीनओक्स, सेक्यूइया कैपिटल और लाइटस्प्रेड इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों ने भी निवेश किया।
धीरे-धीरे यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी होटल चेन कंपनी बन गयी, इसके साथ ही यह कंपनी चीन की तीसरी सबसे बड़ी होटल चेन कंपनी बन गई। आज यह भारत के 180 शहरों में 1,43,000 रूम के साथ संचालित होती है। इतना ही नहीं रितेश इस कंपनी को विश्व के अनेक बड़े शहरों में शुरू कर चुके है। कंपनी के अनुसार आने वाले समय में लंदन और डलास प्रमुख बाज़ार है जहां पर इस कंपनी की नज़र है।
मलेशिया, यूएई, नेपाल, चीन और इन्डोनेशिया जैसे देशों के 337 शहरों में ‘OYO’ लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया देश जैसे प्रमुख पर्यटन केंद्र में OYO के जरिये प्रति 10.79 सेकंड में एक रूम बुक किया जाता है। आज OYO तेजी से विस्तार करने वाली एक ऐसी होटल चेन है जिसके पास विश्व में अब 800 से अधिक शहरों के लगभग 23 हज़ार होटलों में 8 लाख 50 हज़ार कमरों का पोर्टफोलियो है। रितेश अग्रवाल अपनी इस सफलता पर कहते है,‘हमने रहने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक छोटे मिशन के साथ शुरुआत की थी। अब OYO से जुड़े होटलों के कमरों में रोजाना लगभग 5 लाख से अधिक लोग आराम करते हैं। हम इसे 2023 तक विश्व की सबसे बड़ी होटल चेन बना देंगे।’
रितेश का ध्यान हमेशा अपने व्यवसाय में टेक्नॉलॉजी का लाभ उठाने पर केंद्रित रहा है। चीन में उनके 700 सॉफ्टवेयर इंजीनियर और बाकी दुनिया में भी अलग से 700 इंजीनियर लगातार नए-नए सुविधाओं की खोज करने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं, जो OYO को और बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम करते रहते हैं। अगर रितेश की मानें तो वर्ष 2023 तक OYO विश्व की सबसे बड़ी होटल चेन बन बन जाएगी।
एक भारतीय कंपनी का विश्व में इस तरह से अपना वर्चस्व बढ़ाना और मैरियट और हिल्टन जैसी कंपनियों को चुनौती देना देश के लिए गर्व की बात है। एक 18 वर्षीय लड़के द्वारा शुरू किए गए स्टार्टअप का इंटर-कटीनेंटल ग्रुप,एकोर और विंधम जैसी कंपनी को पछाड़ कर दुनिया में नंबर 3 तक पंहुचना देश के अन्य स्टार्टअप्स के लिए एक प्रेरणा है। अगर भारत के अन्य स्टार्टअप्स भी ऐसे ही दुनिया भर में अपनी सफलता के परचम लहराने में सफल होते हैं, तो इससे ना सिर्फ दुनियाभर में भारत का कद बढ़ेगा बल्कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी काफी मजबूती मिलेगी।